दीवाली पर पता चलेगा चंडीगढ़ की हवा में कितना जहर?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 10:47 AM

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इस साल पहली बार पता चलेगा कि चंडीगढ़ की हवा में कितना जहर घुल चुका है?

चंडीगढ़ (विजय): इस साल पहली बार पता चलेगा कि चंडीगढ़ की हवा में कितना जहर घुल चुका है? कई सालों के इंतजार के बाद आखिरकार चंडीगढ़ में कोंटिन्योस एंबियट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग (सी.ए.ए.सी.एम.) मशीन आ चुकी है। सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने इसी साल चंडीगढ़ को यह मशीन अलॉट की थी। चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) इसी सप्ताह मशीन को इंस्टॉल करने की प्लानिंग कर रहा है। जिससे इस साल दीवाली की रात शहर में होने वाले ध्वनि व वायु प्रदूषण की पूरी जानकारी हासिल की जा सके। 

 

इस मशीन की खास बात यह है कि इससे सारे पॉल्यूटैंट्स कवर किए जा सकेंगे। यह मशीन लगभग 1 करोड़ रुपए की है। खास बात यह है कि इस एक मशीन से न केवल पॉल्यूशन लेवल चेक किया जा सकेगा बल्कि मौसम की भी पूरी जानकारी मिल सकेगी। यानि मॉनसून के लिए अब पूरी तरह से मौसम विभाग पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही अन्य तरह की मौसम की भविष्यवाणी भी इस मशीन के जरिए हासिल की जा सकेगी। 


 

शिक्षा विभाग से मांगी अप्रूवल
सी.पी.सी.सी. इस मशीन को दक्षिणी एरिया में इंस्टॉल करना चाहती है। इसके लिए कमेटी ने एक सरकारी स्कूल का भी चयन कर लिया है। इस स्कूल में मशीन को इंस्टॉल करने की परमीशन कमेटी ने यू.टी. के एजुकेशन डिपार्टमैंट से मांगी है। एक बार अप्रूवल मिलने के बाद सी.पी.सी.सी. द्वारा तुरंत इस मशीन को लगा दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि चंडीगढ़ का पॉल्यूशन लेवल ने अभी खतरे का निशान क्रॉस नहीं किया है। इसलिए सी.पी.सी.बी. से निर्देश मिलते रहेंगे कि पॉल्यूशन लेवल को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। जिस बारे में कमेटी यहां अवेयरनैस कैंपेन चलाएगी।

 

चंडीगढ़ में जल्द ही दूसरी ऐसी एक अन्य मशीन आएगी। सी.पी.सी.बी. ने दूसरी मशीन लगाने के लिए भी अप्रूवल दे दी है। सी.पी.सी.सी. द्वारा यह मशीन सैक्टर-26 स्थित नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्निकल टीचर्स ट्रैनिंग एंड रिसर्च (एन.आई.टी.टी.टी.आर.) में लगाई जाएगी। इस मशीन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि चंडीगढ़ का पॉल्यूशन लेवल अब सीधे दिल्ली तक पहुंचेगा। मशीन में ऑनलाइन एयर क्वालिटी डाटा सेंड करने की सुविधा है। इसके साथ ही सी.पी.सी.सी. के पास भी इसी तरह का डाटा सेव रहेगा। जब भी एयर क्वालिटी खराब होगी तो दिल्ली से इसके कारणों की जानकारी मिलेगी।


 

16 पॉल्यूटैंट्स कवर करेगी मशीन
पिछले साल तक जो पॉल्यूशन का डाटा कमेटी की ओर से एकत्रित किया जाता था उसमें केवल सल्फर डायऑक्साइड और ऑक्साइड्स ऑफ नाइट्रोजन की ही जानकारी मिल पाती थी। जिससे शहर की हवा में घुल रहे अन्य पॉल्यूटैंट्स की रोकथाम के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे थे। लेकिन अब इस मशीन के आने से लगभग 16 पॉल्यूटैंट्स का डाटा मिल सकेगा। इस मशीन के लिए प्रशासन ने पिछले साल अप्लाई किया था। 

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