अवैध रेहड़ी वालों की मौज, वैंडरों के रिश्तदारों ने भी डाला शहर में डेरा

Edited By ,Updated: 01 Jul, 2016 09:31 AM

illegal street vendors places

टाऊन वैंडिंग कमेटी बना स्ट्रीट वैंडरों का सर्वे करने में हुई दो साल की देरी से शहर की मार्कीट अवैध अतिक्रमण से अट गई है। सैक्टर-19 हो, सैक्टर-22 या शहर के फुटपाथ हर जगह अवैध तरीके से वैंडिंग करने वालों की संख्या में बढ़ रही है।

चंडीगढ़, (विवेक शर्मा): टाऊन वैंडिंग कमेटी बना स्ट्रीट वैंडरों का सर्वे करने में हुई दो साल की देरी से शहर की मार्कीट अवैध अतिक्रमण से अट गई है। सैक्टर-19 हो, सैक्टर-22 या शहर के फुटपाथ हर जगह अवैध तरीके से वैंडिंग करने वालों की संख्या में बढ़ रही है। 

 

केंद्र सरकार द्वारा स्ट्रीट वैंडर(प्रोटैक्शन ऑफ लिविंग हुड एंड रैगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वैंडिंग) एक्ट पास करने बाद से ही लगातार इस एक्ट का लाभ उठा वैंडिंग करने वालों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। 

 

रेहड़ी फड़ी वालों से रोजगार न छिने इसके लिए केंद्र सरकार ने स्ट्रीट वैंडर(प्रोटैक्शन ऑफ लिविंगहुड एंड रैगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वैंडिंग) एक्ट 2014 में पास किया था। 1 मई 2014 से इसे लागू किया था जिसमें रेहड़ी फड़ी वालों का सर्वे करने और इनको लाईसैंस जारी करने का प्रावधान था।

 

एक्ट पास हुए 2 साल होने के बाद भी न तो प्रशासन ने कोई कमेटी बनाई थी और न ही सही प्रकार से कोई सर्वे किया था। इसके बाद आखिरकार स्ट्रीट वैंडरों को ही हाईकोर्ट में दस्तक देनी पड़ी थी।

 

लगातार सैकड़ों की तादात में स्ट्रीट वैंडरों की याचिकाएं हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद हाईकोर्ट ने प्रशासन की लापरवाही पर उन्हें फटकारते हुए टाऊन वैंडिंग कमेटी का गठन करने और रेहड़ी फड़ी वालों का सर्वे करने के आदेश दिए थे। 

 

इनके साथ ही रेहड़ी-फड़ी वालों को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि जब तक प्रशासन इस सर्वे की प्रक्रिया पूरा नहीं कर लेता और लाइसैंसिंग नहीं हो जाती है तब तक किसी स्ट्रीट वैंडर को परेशान न किया जाए। 

 

कोर्ट के आदेशों में इस प्रक्रिया के पूरा होने तक चालान न काटने का भी जिक्र है। हाईकोर्ट के यह आदेश और केंद्र सरकार के एक्ट को तोड़ मरोड़ कर इस्तेमाल करते हुए इसके बाद से ही शहर की मार्कीट में अचानक तेजी से रेहड़ी-फड़ी लगाने वालों की वृद्धि हो गई है। 

 

ऐसा नहीं है कि प्रशासन इससे अनजान है लेकिन ढीली प्रशासन प्रणाली का ही नतीजा है कि ऐसे लोंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। चंडीगढ़ प्रशासन और एम.सी. ने इस बारे में कोर्ट में भी दलील दी थी और कहा था कि कोर्ट के आदेशों को तोड़ मरोड़ कर इस्तेमाल करते हुए स्ट्रीट वैंडरों की संख्या बढ़ रही है। हाईकोर्ट ने इस पर साफ कर दिया था कि किसी भी अवैध तरीके से अतिक्रमण की इजाजत कोर्ट नहीं देता है। एक्ट और कानून के तहत जो भी राहत के हकदार हैं केवल उन्हें ही बख्शा जाए। 

 

यह है एम.सी. का वैंडरों के लिए प्लान 

चंडीगढ़ के मेयर अरुण सूद ने बढ़ती स्ट्रीट वैंडरों की संख्या और अवैध तरीके से बैठे वैंडरों पर चिंता जताते हुए एक्ट के लागू होने और हाईकोर्ट के आदेशों के चलते मजबूरियां बताते हुए कहा कि एक्ट लागू होने के बाद एम.सी. किसी वैंडर को उनके स्थान से हटा नहीं सकती है।

 

हालांकि अब एक कंपनी को हायर किया गया है जो सर्वे कर 3 माह में रिपोर्ट देगी। इसके आधार पर वैंडर की हिस्ट्री तैयार होगी और शहर को वैंडिंग, नॉन वैंडिंग और किसी निश्चित समय के लिए ही वैंडिंग की इजाजत वाले स्थानों में बांटा जाएगा। हर वैंडिंग प्लेस पर वैंडरों की अधिकतम संख्या तय की जाएगी और पुराने वेंडरों को उनकी चालान पर्ची देखकर प्राथमिकता दी जाएगी। 

 

भ्रम से बढ़ रही वैडरों की संख्या : मेयर 

मेयर अरुण सूद ने कहा कि वर्तमान में वैंडिंग कर रहे पुराने वैंडरों के बीच भ्रम फैला है कि उन्हें पक्का निर्माण करने की अनुमति और न जाने क्या-क्या सुविधाएं मिल जाएंगी। इसी भ्रम के चलते वे अपने रिश्तेदारों तक को शहर में बुला रहे हैं और उनसे वैंडिंग करवा रहे हैं। 

 

सूद ने कहा कि ऐसा नहीं है नियमों के अनुसार कोई पक्का निर्माण करने की अनुमति नहीं होगी एक्ट के तहत उन्हें रैगुलेट करने का प्रावधान है और उनसे रोजगार न छिने केवल यह प्रबंध है। 

 

ऐसे बना था एक्ट 

2013 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र एकता हॉकर्स यूनियन बनाम एम.सी. ग्रेटर मुंबई मामले का फैसला सुनाते हुए टाऊन वैंङ्क्षडग कमेटी बनाने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के बाद देश भर के वैंडरों के लिए भारत सरकार ने मार्च 2014 में स्ट्रीट वैंडर(प्रोटैक्शन ऑफ लिविंगहुड एंड रैगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वैंडिंग) एक्ट पास किया था। 

 

इस एक्ट को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 1 मई 2014 से लागू किया गया था। याची ने कहा कि इस एक्ट के तहत हर शहर में स्ट्रीट वैंडरों के लिए टाऊन वैंडिंग कमेटी बनाने का प्रावधान है जिन्हें वैंडरों का सर्वे कर इनके लिए आगे की योजना बनाने का प्रावधान है। 

 

नियमों के अनुसार यह होना चाहिए 

टाऊन वैंडिंग कमेटी के चेयरमैन व सदस्यों के बारे में एक्ट में प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार कमेटी में एम.सी. कमिश्नर अध्यक्ष होगा और इसके अलावा लोकल अथॉरिटी का प्रतिनिधित्व, मैडीकल ऑफिसर, प्लानिंग अथॉरिटी का प्रतिनिधित्व, ट्रैफिक पुलिस, पुलिस, स्ट्रीट वैंडर एसोसिएशन के सदस्य, मार्कीट एसोसिएशन के सदस्य, ट्रेडर्स एसोसिएशन के सदस्य, गैर सरकारी संगठन, कम्युनिटी बेस ऑर्गेनाइजेशन तथा रैजीडैंट वैल्फेयर ऑर्गेनाइजेशन के प्रतिनिधियों को शामिल करना अनिवार्य है।

 

एक्ट के अनुसार गैर सरकारी संगठन और कम्यूनिटी बेस ऑर्गेनाइजेशन का न्यूनतम 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्व तथा स्ट्रीट वैंडरों का 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व अनिवार्य है। साथ ही वैंडरों के 40 प्रतिशत में से 1 तिहाई महिला सदस्य होने की अनिवार्यता रखी गई है। साथ ही एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी., मायनॉरिटी तथा हैंडीकैप वैंडरों के प्रतिनिधित्व का भी प्रावधान है। 

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