नई शिक्षा नीति में हो सैक्स एजुकेशन का समावेश : कैलाश सत्यार्थी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Oct, 2017 09:14 AM

kailash satyarthi in pu

नई शिक्षा नीति में सैक्स एजुकेशन का समावेश हो। बच्चों को सिलैबस में गुड टच-बैड टच के अलावा उनके साथ होने वाले किसी भी तरह के यौन हमले के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।

चंडीगढ़(रश्मि) : नई शिक्षा नीति में सैक्स एजुकेशन का समावेश हो। बच्चों को सिलैबस में गुड टच-बैड टच के अलावा उनके साथ होने वाले किसी भी तरह के यौन हमले के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। इस बारे में मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उनसे सहमति जताई है। यह कहना है नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जो वीरवार को पी.यू. के फाऊंडेशन डे पर कैंपस में पहुंचे हुए थे। 

 

पी.यू. के लॉ अॅाडिटोरियम में हुए कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि साइबर मीडिया का मिसयूज हो रहा है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी और पोर्न फिल्मों से बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके लिए कई लीगल नियम बनाए जा सकते हैं। बच्चे ऐसे साईबर क्राईम में संलिप्त ना हों या उनकी पहुंच में ये साइट्स ना हो इसके लिए कोई फिल्टर या लॉक सिस्टम विकसित किया जाए। 

 

बच्चों का बोलना जरूरी : 
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि आज बच्चे घुटन महसूस कर रहे हैं, उनमें बेहद गुस्सा है, हताशा और अवसाद है। अब उन्हें चुप्पी तोडऩी होगी। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों पर होने वाले यौन हमलों में 70 फीसदी परिवार के लोग या जानकार ही होते हैं। समाज में 100 में से 53 बच्चों का बाजार, घर स्कूल आदि में शोषण होता है। ऐसी रिपोर्ट यूनिसेफ और सरकार ने 10 साल पहले जारी की थी। हालांकि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। 

 

इस दौरान डॉ. कैलाश सत्यार्थी ने शिमला में छात्रा के रेप कांड में पीड़ित मां-बाप की मानसिक स्थिति से सभी को अवगत करवाया। उन्होंने चंडीगढ़ की 10 दस साल की बच्ची के मां बनने और परिवार के सदस्यों के शामिल होने का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि अंतिम वर्ष देश भर में 15 हजार मामले एन.सी.आर.बी. रिकार्ड के अनुसार पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं। इनमें से 4 प्रतिशत आरोपियों को सजा, 6 प्रतिशत को दोषी और 90 प्रतिशत मामले पैंडिंग पड़े हैं। 

 

छोटी उम्र में नहीं करेंगे लोग लड़की की शादी :
नाबालिग पत्नी से संबंध बनाने को रेप बताए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सत्यार्थी ने स्वागत किया। यह ऐतिहासिक और दूरदर्शी फैसला है। इस फैसले के बाद लोग छोटी उम्र में बच्चियों की शादी करने से डरेंगे।

 

उन्होंने इसके लिए धर्मगुरुओं से भी अपील की कि वे बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन हमले या रेप के मामले में आरोपी को धर्म से निकालने का कड़ा निर्णय लें। साथ ही सरकार से भी आग्रह किया कि ऐसे आरोपी की हिस्ट्री तैयार करें और ऐसे लोगों को जहां बच्चों हों वहां उन्हें नौकरी ना दी जाए। पंजाब सहित देश में कई जगह नशे के लिए बच्चों का इस्तेमाल किए जाने का कड़ा संज्ञान लिया जाए। 

 

कानून और कोर्ट जरूरी :
कैलाश सत्यार्थी के मुताबिक भारत सरकार को चाइल्ड एब्यूज व ट्रैफिकिंग रोकने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए, साथ ही पुनर्वास केंद्र भी बनाए जाएं। बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के लिए जिला स्तर पर विशेष अदालतें स्थापित की जाएं। सत्यार्थी ने इस दौरान न्यायिक संस्थाओं को मजबूत बनाने पर जोर देते हुए पोक्सो कानून के तहत चल रहे मामलों के बारे में बताया। 

 

बदलाव के लिए तलाशना होगा हीरो :
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों के खिलाफ हिंसा मानवीय गरिमा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि  कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन बच्चों के खिलाफ हो रही हिंसा को खत्म करने के लिए प्रयासरत है। हमें ऐसे हीरो को तलाशना होगा जो समाज में बदलाव ला सके। हमारा लक्ष्य भारत यात्रा के जरिए देश के डर को खत्म करना है। सभी के पास अच्छा खाना हो और लड़कियां सुरक्षित हों यह जरूरी है। 

 

चार पी की रक्षा जरूरी :
सत्यार्थी ने कहा कि हमारे सामने चार पी हैं, जो आज खतरे में हैं। 

पहला पी मतलब पीपल : इनमें 23 करोड़ बच्चे युद्ध जैसे हालात के कारण पलायन या विस्थापित होने को मजबूर हैं। 13 करोड़ युद्ध के शिकार हैं। 15 करोड़ बच्चे कभी स्कूल नहीं गए। 

दूसरा पी यानि प्लेनेट : धरती ग्लोबल वार्मिंग के कारण खतरे में चलते बर्बादी के कगार पर है, जो देश सबसे ज्यादा उत्सर्जन करते हैं वे ही पर्यावरण संबंधी संधियों का विरोध करते हैं। 

तीसरा पी यानि प्रॉस्पेरिटी यानी खुशहाली : आज से 10 साल पहले दुनिया की आधी दौलत जितने लोगों के हाथ में थी अब और कम लोगों के हाथों में चली गई। इससे अन्याय बढ़ रहा है। 

चौथा पी यानी पीस (शांति) : आज असनशीलता बढ़ रही है। बच्चों के खिलाफ अपराध वैश्विक महामारी बन गई है। आज के युवा को तय करना होगा कि वह ग्रोथ इंजन का ड्राइवर बने या मोहरा। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज भी 100 करोड़ लोग भूखे सो रहे हैं और 200 करोड़ को साफ पानी नसीब नहीं हो रहा। 

 

पहले लोगों ने कहा था पागल :
कैलाश सत्यार्थी के मुताबिक नोबल पुरस्कार मिलने उनके जीवन में एक पड़ाव था पर फुलस्टॉप नहीं। वह बाल मुक्ति, बंधुआ मजदूरी, बाल यौन हिंसा और यौन उत्पीडऩ के खिलाफ लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में केवल 17 शांति नोबेल विजेता हैं, जिनसे मैंने भारत यात्रा शुरू करने से पहले इस अॅाइडिया के बारे में बात की तो कईयों ने कहा कि तुम पागल तो नहीं हो गए। कैलाश सत्यार्थी की 11 हजार किलोमीटर लंबी भारत यात्रा चार दिन बाद राष्ट्रपति भवन पर जाकर सम्पन्न होगी।

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