स्टूडेंट को उसकी मां की जिद ने बनाया मशहूर कत्थक डांसर

Edited By ,Updated: 30 Jul, 2016 07:10 PM

kathak dancer sanchita

चाहत हो कुछ सीखने की या कुछ कर पाने की तो हौंसले से बढ़कर कुछ और नहीं, बुलंदियां खुद ब खुद आपके कदम चूमती हैं।

चंडीगढ़ : चाहत हो कुछ सीखने की या कुछ कर पाने की तो हौंसले से बढ़कर कुछ और नहीं, बुलंदियां खुद ब खुद आपके कदम चूमती हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है इंगलिश साहित्य की स्टूडेंट संचिता बनर्जी की। संचिता की मां की जिद थी कि बेटी को कुछ अलग कराना है और उनकी ही इस जिद ने संचिता को कत्थक डांसर बना दिया। 

 

ओडिसी डांसर संचिता बनर्जी ने बताया कि कोलकाता में जहां वह रहती थी, वहां के लोगों का मानना था कि शादी के लिए लड़की को संगीत आना जरूरी है इसीलिए वहां लड़कियों के घर वाले उन्हें ऐसे स्कूल में दाखिला दिलाते थे, जहां संगीत सिखाया जाता हो। लेकिन मेरी मां की जिद तो कुछ और ही थी उन्होंने संगीत की जगह डांस स्कूल में मेरा दाखिला करा दिया। यह बात चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में मंगलवार से आयोजित वर्कशॉप में बच्चों को ओडिसी डांस सिखा रही संचिता बनर्जी ने कही। उन्होंने बताया कि डांस स्कूल में उन्होंने कत्थक सीखना शुरू किया। उस समय वह मात्र पांच साल की थी। 

 

बच्चों को उनकी भाषा में सिखाया जाना चाहिए डांस :

संचिता मुखर्जी ने बताया कि अगर बच्चों को उनकी भाषा में कोई बात सिखाई जाए तो वह आसानी से सीख लेते हैं। अगर एक टीचर उनका दोस्त बनकर सिखाए तो बच्चे उसे रुचि से सीखते हैं। ओडिसी हो या कोई और नृत्य शैली, यह ऐसी कला नहीं कि देखा और आप इसमें निपुण हो गए। इसके लिए कड़ी मेहनत व रुचि जरूरी है।

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