PGI रिसर्च में हुआ खुलासा, इस कारण से 'किन्नर' के रूप में होता है जन्म

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 08:31 AM

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जीन्स की गड़बड़ी ने नॉर्थ इंडिया में 324 किन्नरों को जन्म दिया। पी.जी.आई. के रिसर्च की मानें तो एस.आर.वाई. जीन (सैक्स डेटरमाइनिंग रिजन) की वजह से वाई क्रोमोसोम में डिफैक्ट आ जाता है।

चंडीगढ़(अर्चना) : जीन्स की गड़बड़ी ने नॉर्थ इंडिया में 324 किन्नरों को जन्म दिया। पी.जी.आई. के रिसर्च की मानें तो एस.आर.वाई. जीन (सैक्स डेटरमाइनिंग रिजन) की वजह से वाई क्रोमोसोम में डिफैक्ट आ जाता है। यह डिफैक्ट मेल में फीमेल या फीमेल में मेल के अंग या हारमोन बनाने के सिग्नल दे देता है। एस.आर.वाई. जीन अगर वाई क्रोमोसोम से मिल जाए तो फीमेल ओवरी में यही जीन पहुंच जाता है और फीमेल में मेल हारमोन बनने लगता है, जबकि एक्स क्रोमोसोम की खराबी पर मेल में फीमेल हारमोन बनने लगते हैं। 

 

पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजी विभाग की रिसर्च की मानें तो पिछले 30 सालों में पी.जी.आई. पहुंचे 323 किन्नरों में से 84 ऐसे मेल थे जिनमें फीमेल वाले जीन्स मौजूद थे, 100 के करीब ऐसी फीमेल थी, जिनमें पुरुषों वाले जीन मिले, जबकि 150 ऐसे किन्नर थे जिनमें यह भी पता नहीं चला कि वह फीमेल थी या फिर मेल थे। जिन फीमेल में मेल जीन्स देखे गए उनमें दाढ़ी-मूंछ थी, उनकी टेसटीज या तो पेट के साथ चिपकी हुई थी या फिर पेट के अंदर ही रह गई थी। मेल में मेल ओर्गन अधूरे रह गए थे या उनमें फीमेल फीचर्स भी आ चुके थे। 

 

रिसर्च ने यह भी खुलासा किया कि ऐसे बच्चों के जन्म को छिपाकर रखा गया, उन्हें डाक्टर्स से दूर रखा गया जबकि अगर कम उम्र में ऐसे बच्चों की ट्रीटमैंट या सर्जरी कर दी जाती तो उसके अच्छे रिजल्ट आ सकते थे। ये लोग जब 12 या 13 साल के हुए और उनके ब्रेन ने उन्हें सिग्नल देना शुरू 
किया कि वह मेल हैं या फीमेल तब उन्होंने डाक्टर का दरवाजा खटखटाया। 

 

पी.जी.आई. ने ऐसे किया रिसर्च :
पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजी विभाग के हैड प्रो.अनिल भंसाली और अन्य डाक्टर्स में प्रो.रमा वालिया, प्रो. किम वायफाई, प्रो.कुमार एस आदि के नेतृत्व में डॉ.मनदीप सिंगला ने यह जानने के लिए रिसर्च किया कि सैक्स ओर्गन डिवेलपमैंट डिस्आर्डर की वजह क्या है, किन्नरों का जन्म क्यों होता है? 30 सालों के 

 

पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजी विभाग में 324 ऐसे लोग इलाज के लिए पहुंचे जिन्हें कुदरत ने न ही पुरुष और न ही महिला का शरीर दिया था। कुछ ऐसे पुरुष भी ट्रीटमैंट के लिए आए जो थे तो पुरुष लेकिन उनके शरीर में महिलाओं के अंग भी मौजूद थे। ऐसी महिलाओं ने भी जन्म लिया जिन्हें कुदरत ने आधा शरीर पुरुष का दिया था। 

 

12 साल की उम्र में दिमाग ने दिया सिग्नल लड़का हो तुम :
हिमाचल प्रदेश में 20 साल पहले एक ऐसे लड़के ने जन्म लिया जिसके शरीर में लड़की के अंग भी मौजूद थे। किन्नर मानकर पेरैंट्स ने ऐसे बच्चे को अपनाने से इंकार कर दिया और बच्चे को बौधिषट मोंक आश्रम को सौंप दिया। आश्रम में बच्चे को छोडऩे के बाद पेरैंट्स ने कभी बच्चे की सुध नहीं ली। 

 

मोंकस ने बच्चे को लड़की की तरह पाला। उसको लड़की का ही नाम दिया गया। लड़की जब 12 साल की हुई तो उसके दिमाग ने सिग्नल देना शुरू किया कि वो लड़की नहीं बल्कि एक लड़का है। उसके दिमाग ने बताना शुरू किया कि वो एक लड़का है, तब उसने दोस्तों की मदद के साथ डाक्टर्स से कंसल्ट करना शुरू कर दिया। 

 

पी.जी.आई. डाक्टर्स से लड़की ने वर्ष 2015 में संपर्क किया। एंडोक्रायनोलॉजी, यूरोलॉजी और साइकोलॉजी के डाक्टर्स ने मिलकर लड़की की सर्जरी की और उसे पुरुष बना दिया। उसके शरीर के अधूरे फीमेल ओर्गन हटा दिए गए, जबकि मेल ओर्गन को सर्जरी से विकसित कर दिया और उसे टेस्टोस्टेरोन हारमोन देना शुरू कर दिए गए।

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