Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 08:38 AM
पंजाब यूनिवर्सिटी में कंस्ट्रक्शन विभाग का 16 साल का रिकॉर्ड जांचने के लिए फरवरी में कमेटी गठित की थी।
चंडीगढ़ (हंस): पंजाब यूनिवर्सिटी में कंस्ट्रक्शन विभाग का 16 साल का रिकॉर्ड जांचने के लिए फरवरी में कमेटी गठित की थी। कमेटी ने पी.यू. की बन चुकी बिल्डिंगों की जांच का काम शुरू कर दिया है, जिसमें अभी तक कुछ ही बिल्डिंग को जांचा गया है। जांच के दौरान बिल्डिंग में लीकेज की समस्या, दीवारों में दरारें आदि की समस्या सामने आई है। कमेटी अभी अपनी जांच कर रही है। जानाकरी के मुताबिक पी.यू. की यूनिवर्सिटी इंस्टीच्यूट ऑफ एप्लाइड मैनेजमैंट एंड साइंसिज (यू.आई.एम.एस.) बिल्डिंग हाल ही में निर्मित की गई है, लेकिन यहां लीकेज की समस्या काफी है।
दीवारों में दरारें हैं। इंटरैनशनल हॅस्टल की बिल्डिंग की हालत भी खराब है। डैंटल कालेज में भी लीकेज की समस्या देखने को मिल रही है। बिल्डिंग के बाहर लगी टाईल्स को दीवार पर टिकाने के लिए पेच का सहारा लिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई नई बिल्डिंगों के बाहर लगी टाइल्स गिरने लगी थीं। यू.आई.एए.एम.एस. की बिल्डिंग को बने करीब पांच साल ही हुए हैं।
निर्माण सामग्री पर उठे थे सवाल
पिछले कुछ साल में बनाई गई नई बिल्ंिडग की निर्माण सामग्री पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। इसे लेकर इंक्वारी कमेटी भी बनाई गई थी। कमेटी ने जांच में पाया था कि सैक्टर-25 में यू.आई.ए.एम.एस., बॉयोटैकनोलॅाजी, पब्लिक हैल्थ और सैक्टर-14 में बने राजीव कॅालेज भवन की बिल्डिंग बनाने में सही निर्माण सांग्री प्रयोग नहीं की गई है। कमेटी की रिपोर्ट पी.यू. प्रबंधन को दे गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि जो जांच की जा रही है उसमें भी किसी पर कार्रवाई कर पाना संभव नहीं दिख रहा क्योंकि सभी कांट्रैक्टर आदि की अदायगी की जा चुकी है। है।
कमेटी में ये हैं सदस्य
कमेटी को हैड डी.यू.आई. प्रो. दिनेश गुप्ता को बनाया था। वहीं कमेटी में चंडीगढ़ आर्कीटैक्चर कालेज के प्रिंसीपल रजनीश वत्स, सीनेटर रविंद्र नाथ और सुवेरा उपल सदस्य होंगे। इनके अलावा पी.यू. के बाहर से दो इंजीनियर को भी शामिल करने को कहा था।