35 करोड़ की LED लाइट्स: दिल्ली में रिजैक्ट, चंडीगढ़ में सिलैक्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 10:51 AM

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चंडीगढ़ नगर निगम और एनर्जी एफिशिएंट सर्विसेज लिमिटेड (ई.ई.एस.एल.) के मध्य शहर की लगभग 48000 स्ट्रीट लाइटों को एल.ई.डी. में बदलने के लिए सात वर्षों के लिए करोड़ों का करार तो हुआ

चंडीगढ़ (राय): चंडीगढ़ नगर निगम और एनर्जी एफिशिएंट सर्विसेज लिमिटेड (ई.ई.एस.एल.) के मध्य शहर की लगभग 48000 स्ट्रीट लाइटों को एल.ई.डी. में बदलने के लिए सात वर्षों के लिए करोड़ों का करार तो हुआ लेकिन जिस तकनीक के लिए कम्पनी से लगभग 35 करोड़ का करार किया वह तकनीक  पुरानी हो चुकी है, यही कारण है कि कुछ समय में ही शहर की स्ट्रीट लाइटों की हालत खराब है। रात के समय अनेक संवेदनशील सडकों पर पसरे अंधेरे को देखते हुए निगम ने अपने सर्वे में अनुमान लगाया था कि उसे अभी लगभग 6000  से अधिक स्ट्रीट लाइट्स की जरूरत है। 

 

जानकारी के अनुसार उसके बाद रेडियो फ्रीक्वैंसी विद फोटो की नई तकनीक की लाइट्स भी मार्कीट में आ चुकी हैं, लेकिन करार पुरानी तकनीक की लाइट्स का किया गया जोकि संदेह के घेरे में है। प्रशासन के इंजीनियिरंग विभाग के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निगम ने जिस तकनीक के लिए कम्पनी से करोडों का करार किया वह तकनीक तो पुरानी हो चुकी है, यहां तक कि जो धूधिया रोशनी वाली एल.ई.डी. लाईटें शहर में लगाई जा रही हैं वह सर्दियों के मौसम में धूंध में कारगर नहीं होती। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में यह प्रयोग फेल हो चुका है और वहां वहां नई तकनीक से धूंध में कारगर लाईटें  लगाई जा रही हैं। चंडीगढ़  प्रशासन ने वही तकनीक क्यों अपनाई समझ से परे है।


 

मौजूदा स्ट्रीट लाइट्स में हैं कई समस्याएं 
कम्पनी ने करार से पहले निगम को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें कहा गया था कि शहर को ग्रीन बेल्टों में ही लगभग 4000 स्ट्रीट लाइटों की आवश्यकता है। कम्पनी की रिपोर्ट में कहा गया कि मौजूदा स्ट्रीट लाइट में कई समस्याएं हैं। चंडीगढ़ में न तो निगम ने व न ही प्रशासन ने पुराने पेड़ों की छंटाई का कभी प्रयास किया। चूंकि उक्त कम्पनी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पेड़ों की शाखाओं के कारण एल.ई.डी. की लाईट सडक तक नहीं पहुंच पाती, अत: निगम ने आनन-फानन में शहर के हरे-भरे पेड़ों की शाखाओं को काट दिया। इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि निगम एक निर्धारित सीमा तक के ही मोटे तनो को काट सकता है व उनसे उसी की अनुमति ली गई थी।


 

11,000 स्ट्रीट लाइटें काम नहीं कर रही 
इस रिपोर्ट में कहा गया कि शहर में लगभग 11,000 स्ट्रीट लाइटें काम नहीं कर रही हैं, 3,000 से ज्यादा पोल पेड़ों से ढंके हैं और करीब 2,000 बल्ब बिना हैं, लगभग 10,000 पोल के जंक्शन बॉक्स गायब हैं। वर्तमान में  शहर भर में 48,000 से अधिक स्ट्रीट लाइट हैं। इनमें से कुछ निगम  और शेष  प्रशासन के पास  हैं। कम्पनी ने दावा किया था कि स्ट्रीट लाइटों को बदलने के बाद निगम के बिजली बिलों में कमी आएगी। 

 

फिलहाल निगम स्ट्रीट लाइटों के बिजली के बिल के रूप में हर साल 12.64 करोड़ रुपए अदा करता है। एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट लगने से इस बिल में 50 से 60 प्रतिशत तक कमी आएगी व इसी में कम्पनी अपना हिस्सा तय करेगी। समझौते के मुताबिक सात वर्ष की अवधि तक वित्त, आपूर्ति, इंस्टालेशन, ढांचागत सुविधाएं, सर्विस एवं रखरखाव तथा वारंटी रिप्लेसमैंट ई.ई.एस.एल द्वारा किया जाएगा। 

 

लाइट्स जलती रहने की जिम्मेदारी भी कंपनी की
सड़कों पर 95 प्रतिशत तक स्ट्रीट लाईटें जलती रहें यह जिम्मेदारी भी कम्पनी की है।  इसके अतिरिक्त ई.ई.सी.एल. निगम के क्षेत्र में पुराने लाइटों की पुनर्खरीद सुनिश्चित करेगी। करार के दौरान ई.ई.एस.एल. आग, भूकंप और चोरी अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदा के दौरान अपग्रेड की गई स्ट्रीट लाइटों की सुरक्षा की जिम्मेदार भी होगी। इस परियोजना के लिए कंट्रोल रूम भी ई.ई.एस.एल. द्वार ही स्थापित किया गया है। 

 

हालांकि कम्पनी ने शडर की 95 प्रतिशत लाईटों को जलते रखने का दावा किया था पर इन दिनों शहर में स्ट्रीट लाईटों का जो हाल है उसे देखकर नहीं लगता कि कम्पनी अपने दावे पर खरी उतर रही है। यहां तक कि जिन मार्गों पर अब तक एल.ई.डी. लाईटें लग चुकी हैं उनमें भी कई सडकों पर रात को अंधेरा पसरा रहता है। वैसे भी इन बल्बों की रोशनी इतनी कम है की स्ट्रीट लाईटों के जलने का आभास ही नहीं होता। 


 

पहले प्रशासन ने भी शुरू किया था एल.ई.डी. लाइट्स लगाने का काम
इससे पहले वर्ष 2013 में भी निगम एल.ई.डी. लाइट्स लगाने का प्रस्ताव लेकर आया था, लेकिन बाद में इस प्रोजैक्ट पर प्रशासन की इलैक्ट्रीकल विंग ने काम शुरू किया था। इसके तहत 16 सैक्टरों में एल.ई.डी. लाइट्स लगाने का फैसला लिया गया था, जिसमें कि सैक्टर-20,21,22,23,24,25,29,30, 31,32,33,34,35,36,37,38, गांव धनास, मलोया व मनीमाजरा शामिल है। इसमें 2000 लाइट्स को एल.ई.डी. में तबदील किया जा चुका है, लेकिन अब ई.ई.एस.एल. ये काम अपने अंडर ले लेगा।

 

35 करोड़ रुपए का है प्रोजैक्ट
नगर निगम का यह प्रोजैक्ट करीब 35 करोड़ रुपए का है। इसके सर्वे, एल.ई.डी. लाइट्स लगाने व सात साल तक उसके रखरखाव का सारा काम कंपनी ने ही देखना है। निगम अधिकारियों द्वारा एरिया वाइज हर माह एल.ई.डी. लाइट्स लगने के बाद उसको चैक किया जाएगा और उसके बाद ही कंपनी को हर माह राशि का भुगतान किया जाएगा। निगम कंपनी को तभी राशि जारी करेगा, जब लाइट्स सही रूप से काम करेंगी, नहीं तो कंपनी को उक्त राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा। 

 

इसमें सभी मुख्य मार्ग व अंदरूनी सड़कें शामिल होंगी। इसके अलावा ग्रीन बेल्ट्स व नेबरहुड पार्कों में भी एल.ई.डी. लाइट्स लगाई जाएंगी। ई.ई.एस.एल. कंपनी का शहर में ही ऑफिस होगा और समय पर एल.ई.डी. लाइट्स की चैकिंग की जाएगी। कंपनी का दावा है कि 95 प्रतिशत एल.ई.डी. लाइट्स काम करेंगी।

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