पी.जी.आई. के हड़ताली डाक्टरों पर होगी कानूनी कार्रवाई!

Edited By ,Updated: 25 Aug, 2016 07:42 AM

legal investigation of doctors in pgi those were on strike

हड़ताल के दौरान पी.जी.आई. में रैजीडैंट डाक्टरोंं पर मुख्य गेट बंदकर न्वॉइज फ्री एरिया में हंगामा करने, धारा 144 तोडऩे पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी, पुलिस जांच में जुट गई है।

चंडीगढ़, (कुलदीप शुक्ला): हड़ताल के दौरान पी.जी.आई. में रैजीडैंट डाक्टरोंं पर मुख्य गेट बंदकर न्वॉइज फ्री एरिया में हंगामा करने, धारा 144 तोडऩे पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी, पुलिस जांच में जुट गई है। 

 

रविवार देर रात महिला मरीज की मौत के बाद गुस्साई उसके बेटे ने रैजीडैंट  डाक्टर को पी.जी.आई. की एमरजैंसी में थप्पड़ मार दिया था जिसके विरोध में रैजीडैंट डाक्टरोंं ने सोमवार को हड़ताल शुरू कर दी थी। इस हड़ताल के दौरान 2 लोगों की जान जाने की भी शिकायत पीड़ित परिजनों ने पुलिस से की है। 


खाली पड़ी थी एमरजैंसी, मरीज परेशान

डाक्टरोंं के हड़ताल का खामियाजा एमरजैंसी में मरीजों को भुगतना पड़ा था। आमतौर पर मरीजों से खचाखच भरी रहने वाली एमरजैंसी सोमवार को खाली दिखाई दे रही थी। वहीं, सुबह से डाक्टरोंं का इंतजार करने वाले पीड़ित व उनके परिजनों को आश्वाशन ही मिला। 

 

हड़ताली डाक्टरों ने हजारों मरीजों की जान जोखिम में डाली क्या यह जुर्म की श्रेणी में नहीं आता, ऐसे ही सवाल हड़ताल के दौरान परेशान हुए सैकड़ों लोगों के जहन में है जिनका जवाब जल्द रहा है, क्योंकि पुलिस ने रैजीडैंट डाक्टरों की कारगुजारी की जांच शुरू कर दी है। 

 

कफ्र्यू जैसे हालत में भी हॉस्पिटल के गेट बंद नहीं होते लेकिन एक मरीज और डाक्टर की छोटी से लड़ाई ने पी.जी.आई. का मेन गेट 3 घंटे बंद करवा दिया। पी.जी.आई. के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि संस्थान का मेन गेट बंद हो। 

 

चीफ सिक्योरिटी इंचार्ज पी.सी. शर्मा ने बताया कि हालांकि इस दौरान बाकी सभी गेट खोल दिए गए थे। डाक्टरों ने मुख्य द्वार बंद कर न केवल मरीजों को रोका, बल्कि गेट के बाहर लगी धारा 144  तोड़ते हुए नारेबाजी की सैकड़ों डाक्टरों ने हो हाला किया बर्तन बजाए जो कि साइलेंस जोन में नहीं। 

 

यही नहीं रैजीडैंट डाक्टरों ने पी.जी.आई. परिसर के भीतर भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर नारेबाजी की और टैंट लगाकर प्रदर्शन किया, एडवांस्ड बाल रोग विभाग और एडवांस हार्ट सैंटर को भी बंद किया गया। 

 

एडवांस बाल रोग विभाग से तो 9 नवजात बच्चों को पंचकूला के सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा जिसके जिम्मेदार भी रैजीडैंट डाक्टर ही है जिनके खिलाफ अभी तक न तो पी.जी.आई. प्रशासन ने कोई विभागीय कार्रवाई की है न ही पुलिस ने जबकि मां की मौत के बाद सदमे में डाक्टर से उलझे व्यक्ति पर दो घंटे के भीतर मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

 

 

 

 

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