Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 09:39 AM
चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षद अध्ययन दौरों पर जाने को तो महत्वपूर्ण मानते हैं पर वहां क्या अध्ययन करके आते हैं इस पर अमल करने की न तो कोई इच्छा होती है व न ही उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।
चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षद अध्ययन दौरों पर जाने को तो महत्वपूर्ण मानते हैं पर वहां क्या अध्ययन करके आते हैं इस पर अमल करने की न तो कोई इच्छा होती है व न ही उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।
आज तक निगम करोड़ों रुपए खर्च कर देश-विदेश में पार्षदों व अधिकारियों को अध्ययन दौरे करवा चुका है पर एक भी योजना ऐसी नहीं लागू हुई जिसका ज्ञान अध्ययन दौरे से मिला हो। निगम को हर काम के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है अत: उसे अध्ययन कर केवल सुझाव देने का ही अधिकार है।
वर्तमान महापौर के कार्यकाल में तो पार्षदों के तीन दल अलग-अलग क्षेत्रों के दौरों पर गए व इसकी रिपोर्ट भी सदन की बैठक में चर्चा के लिए रखी गई। निगम पास अपने आप में कोई योजना फाइनल कर सकने के अधिकार न होने के कारण अभी तक यह योजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं।
मकानों व दुकानों के नक्शे पास करवाना टेढ़ी खीर :
अध्ययन दौरों पर पार्षदों ने देश के कुछ नगर निगमों में डिजिटल तकनीक से मकानों के नक्शे अप्रूव होते देखे। डिजिटल तकनीक से शहर के मकानों व दुकानों के नक्शों को पास करने के लिए ऐसा सिस्टम बनाया है। इसके तहत आवेदक एक जगह फाइल जमा करवाता है और 24 घंटे में नक्शा पास किया जाता है।
इसमें अधिकारियों को एरिया के अनुसार पावर दी है पर चंडीगढ़ में लोगों को मकानों व दुकानों के नक्शे पास करवाना टेढ़ी खीर होता है। इस प्रस्ताव पर अधिकारियों को मंथन करने को कहा गया जो आज तक नहीं हो पाया। अब तो मेयर भी भूल गई हैं कि ऐसे कुछ आदेश उन्होंने दिए थे।
मुम्बई दौरे के दौरान भी निगम के अधिकारियों ने वेस्ट वाटर रिसाइकिल कर किस प्रकार दोबारा प्रयोग में लाने की तकनीक, सीवरेज की सफाई की तकनीक एवं गारबेज मैनेजमैंट आदि क्षेत्रों में निगम मेयर आशा जायसवाल एवं चीफ इंजीनियर के साथ अन्य पार्षदों ने क्षेत्रों का मुआयना किया और जानकारी पाई। ऐसे ही विशाखापट्नम का निगम के पार्षदों एवं अधिकारियों ने दौरा कर निगम की वेस्ट सर्विस का अध्ययन किया और इसे निगम सदन में रखा गया।
इन स्टडी टूर में जो रिपोर्ट सदन की विशेष बैठक में रखी गई उसमें से अगर निगम के अधिकारी आधी को भी शहर में लागू करें तो इन टूर को सफल माना जाएगा। इससे पहले भी निगम के अधिकारी व पार्षद स्टडी टूर में गए लेकिन आज तक वहां जो देखा उसे शहर में लागू नहीं किया गया।
1.53 करोड़ रुपए किए जा चुके खर्च :
आंकड़ों के अनुसार पार्षदों व अधिकारियों के अध्ययन दौरों 1.53 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। अधिकांश दौरों के विवादों में रहने के बावजूद भी वर्ष 2017-18 के वित्त वर्ष के बजट में स्टडी टूरों के लिए 30 लाख रुपए का प्रावधान किया गया।
वर्ष 2016-17 के बजट में 50 लाख रुपए का प्रावधान किया गया था पर विवादों के चलते गत दिसम्बर माह में तो कांग्रेस ने स्टडी टूरों का बहिष्कार ही कर दिया था। निगम सदन में स्टडी टूरों का विरोध करने वाले भाजपा के पूर्व पार्षद सतिंद्र हमेशा ही इन दौरों का यह कह कर विरोध करते रहे हैं कि न तो दौरे पर जाने वाले पार्षद कभी को विस्तृत रिपोर्ट देते हैं व न ही निगम अपने स्तर पर कुछ लागू कर सकता है।