नगर निगम चुनाव - कांग्रेस की पॉलिसी से उम्मीदवारों में मचा हड़कंप

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2016 08:19 AM

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नगर निगम चुनाव-2016 को लेकर शहर में राजनीतिक सरगर्मियां जोर पकड़ रही हैं। चुनाव लडऩे के इच्छुक नेता टिकट पाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं।

चंडीगढ़ (अधिकारी): नगर निगम चुनाव-2016 को लेकर शहर में राजनीतिक सरगर्मियां जोर पकड़ रही हैं। चुनाव लडऩे के इच्छुक नेता टिकट पाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस और भाजपा में उम्मीदवारी की दावेदारी का सिलसिला चल रहा है। इस बीच, टिकट वितरण के लिए कांग्रेस की ताजा पॉलिसी ने कांग्रेसी उम्मीदवारों में हड़कंप मचा दिया है। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि हर वार्ड में लोकल यानी वहीं के रहने वाले नेता को प्राथमिकता दी जाएगी। कांग्रेस की इस पॉलिसी से कई उम्मीदवारों को झटका लग सकता है। लिहाजा, कांग्रेस के कद्दावर दो पूर्व मेयरों की टिकट पर संकट की तलवार लटक गई है। 

अब 14 अक्तूबर को सामान्य वर्ग की महिला के लिए रिजर्व होने वाले 7 वार्डों पर सबकी नजर है। शहर में कांग्रेस के लिए इस बार का नगर निगम चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 11 सीटें और भाजपा को 12 सीटें मिली थीं लेकिन बाद में एक सीट पर हुए उप-चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस के पास 12 सीटें हो गईं और मनोनीत पार्षदों के समर्थन से कांग्रेस लगातार 4 साल तक नगर निगम में अपना मेयर बनवाती रही लेकिन 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने और शहर में भाजपा का सांसद बनने के बाद कांग्रेस की फूट का भाजपा ने फायदा उठाया। 

कांग्रेस के 4 पार्षद भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा की सीटें बढऩे और मनोनीत पार्षदों का झुकाव भी भाजपा की ओर हो जाने से पांचवें साल में भाजपा ने मेयर की सीट भी कांग्रेस से छीन ली थी। चंडीगढ़ नगर निगम गठन के पहले पांच सालों को छोड़ दें तो निगम में कांग्रेस की सीटों की संख्या और उसकी ऐसी फजीहत कभी नहीं हुई। इस लिहाज से केंद्र से शहर और निगम तक भाजपा के शासन में दिसम्बर में होने जा रहा नगर निगम चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसी स्थिति पैदा कर चुका है। यदि इस चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षित सीटें नहीं मिलीं तो इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। 


चावला व पूनम शर्मा की टिकट पर संकट
ताजा पॉलिसी की चपेट में कांग्रेस दो कद्दावर पूर्व मेयर सुभाष चावला और पूनम शर्मा भी आ गए हैं। सुभाष चावला का वार्ड नंबर-5 और पूनम शर्मा का वार्ड नंबर-7 एस.सी. उम्मीदवार के लिए रिजर्व हो चुका है। ऐसे में चावला अपने निवास के पूर्व वार्ड से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि वह एक बार भाजपा प्रत्याशी से अपने ही इस वार्ड में हार चुके हैं और पिछले चुनाव में महिला रिजर्वेशन के कारण इस वार्ड को छोड़ गए थे। लगातार 10 साल इस वार्ड से नुमाइंदगी न करने के कारण पार्टी उन्हें यहां दोबारा उतारने पर असमंजस में है। 

किसी अन्य वार्ड से चावला को लड़ाने पर पार्टी की पॉलिसी आड़े आ रही है। वह वार्ड-5 से भी बहुत मुश्किल से जीत पाए थे। पूनम शर्मा का भी यही हाल है। अब पार्टी में दोनों के कद को देखते हुए कांग्रेस क्या तय करेगी, यह टिकट बंटवारे के दौरान सामने आएगा। कांग्रेसी पार्षद दर्शन कुमार गर्ग को भी पार्टी वार्ड नंबर-11 एस.सी. के लिए रिजर्व होने के कारण गंभीरता से नहीं ले रही। कई अन्य कांग्रेसी दावेदारों को लेकर स्थिति 14 अक्तूबर को साफ होगी, जब 7 अन्य वार्ड सामान्य वर्ग की महिला के लिए रिजर्व होंगे। 

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