बिजली चोरी रोकने के लिए प्रशासन ढूंढ निकाला नया तरीका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Sep, 2017 09:10 AM

new method of finding power to stop electricity theft

शहर में बढ़ रही बिजली की चोरी को रोकने के लिए अब चंडीगढ़ प्रशासन के बिजली विभाग ने एक नया तरीका निकाला है।

चंडीगढ़ (विजय): शहर में बढ़ रही बिजली की चोरी को रोकने के लिए अब चंडीगढ़ प्रशासन के बिजली विभाग ने एक नया तरीका निकाला है। विभाग ने अपने उन कंज्यूमर्स को मौका दिया है जिन्होंने बिजली के मीटर के साथ टैंपरिंग कर रखी है। विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि अगर कोई कंज्यूमर्स अपनी मर्जी से टैंपर्ड मीटर को डिक्लेयर करेगा उसे तुरंत नया मीटर दे दिया जाएगा। हालांकि इसके बदले कंज्यूमर को जुर्माना भी भुगतना पड़ेगा। 

 

ज्वाइंट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटरी कमीशन (जे.ई.आर.सी.) के नियम के अनुसार ऐसे कंज्यूमर्स से तीन महीने का नॉर्मल टैरिफ वसूल किया जाएगा। यानी ऐसे कंज्यूमर को तीन महीने का बिल एक साथ भुगतना होगा। इससे पहले विभाग की ओर से बिल की पूरी जांच की जाएगी। तीन महीने का ऑप्शन केवल डोमैस्टिक और एग्रीकल्चर कैटेगरी के कंज्यूमर्स के लिए रखा गया है। जबकि अन्य सभी कैटेगरी के कंज्यूमर्स को छह महीने का बिल एक साथ देना होगा। ऐसे मामलों में विभाग टैंपर्ड मीटर्स को डिफैक्टिव मीटर्स के तौर पर काऊंट करेगा।


 

विभाग की ओर से केस नहीं किया जाएगा
बिजली विभाग की ओर से आश्वासन दिया गया है कि अगर कोई कंज्यूमर अपनी मर्जी से टैंपर्ड मीटर को सबमिट करवाता है तो उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। विभाग अपने स्तर पर किसी भी तरह के केस को बुक करने की सिफारिश नहीं करेगा। अगर फिर भी शहर में कहीं टैंपर्ड मीटर्स पाए गए तो एफ.आई.आर. दर्ज करवाने का भी प्रावधान रखा गया है। 

 

15 प्रतिशत तक पहुंचा टी. एंड डी. लॉस
लाख कोशिशों के बावजूद शहर में बिजली की चोरी रोके जाने के सारे दावे असफल साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि चंडीगढ़ का ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रिब्यूशन लॉस (टी. एंड डी.) इस समय 15 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। कमीशन के नियम के अनुसार टी. एंड डी. लॉस 13.75 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। लेकिन चंडीगढ़ में यह लॉस पिछले तीन सालों के दौरान 15 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इससे लगभग 40 करोड़ रुपए का नुक्सान अभी तक हो चुका है। डिपार्टमैंट ने 2014 में 15.1 प्रतिशत टी. एंड डी. लॉस घोषित किया था। यह बिजली की चोरी 2015 में 15.17 प्रतिशत और 2016 में 15.24 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
 

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