जेल प्रबंधन प्रतिवर्ष कैदियों के उपचार पर कर रहा लाखों का खर्च

Edited By ,Updated: 21 Oct, 2016 07:47 AM

on the treatment of prisoners by prison management annually cost millions

जेल में सजा काट रहे कैदियों और अन्य बंदियों के बीमार होने पर उनके इलाज का जिम्मा जेल प्रबंधन का होता है जिसके चलते हर वर्ष लाखों रुपए कैदियों व बंदियों के इलाज पर खर्च किए जाते है जिसकी कोई अधिकतम सीमा भी निर्धारित नहीं है।

चंडीगढ़(संदीप) : जेल में सजा काट रहे कैदियों और अन्य बंदियों के बीमार होने पर उनके इलाज का जिम्मा जेल प्रबंधन का होता है जिसके चलते हर वर्ष लाखों रुपए कैदियों व बंदियों के इलाज पर खर्च किए जाते है जिसकी कोई अधिकतम सीमा भी निर्धारित नहीं है। उपचार को लेकर जेल प्रबंधन किस कद्र संजीदा है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष जेल प्रबंधन कैदियों के उपचार पर औसतन 20 से 25 लाख रुपए खर्च कर रहा है। हाल ही में जेल में बंद एक कैदी के कान से संबंधित उपचार पर 5 लाख रुपया खर्च किया गया था। जेल अधिकारियों की मानें तो कैदियों के सामाजिक जीवन और स्वास्थ्य को देखते हुए यहां कैदियों के उपचार के लिए विशेष इंतजाम किए गए है।


बीमार कैदी इलाज के लिए नहीं लेते जमानत :
जेल सूत्रों के अनुसार कई कैदी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है जिनका इलाज चल रहा है जो कि जेल से बहार जाना नहीं चाहते क्योंकि बहार जाकर जेब से इलाज करवाना होगा जो कि काफी महंगा है इसलिए वह जानबूझकर जमानत नहीं लेते। जेल प्रशासन की ओर से ऐसे कैदियों या बंदियों की सूचना कोर्ट को भेजी जाती है और अपील की जाती है कि इलाज के लिए बंदियों को जमानत दी जाए लेकिन बंदी लाखों का इलाज मुफ्त में करवाने की खातिर जमानत को टाल देते हैं।

गत वर्ष खर्च हुए 28.61 लाख :
जेल में बंद कैदियों के उपचार से संबंधित आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल जेल प्रबंधन ने यहां बंद एक कैदी के कान से संबंधित उपचार पर सबसे अधिक 5 लाख रुपए का खर्च किया था। इस कैदी को सुनाई नहीं देता था जिसका पी.जी.आई. में ऑप्रेशन करवाकर उपचार करवाया गया था। इसके आलावा एक कैदी के पेट से संबंधित इलाज पर अढ़ाई लाख रुपया खर्च किया गया, जिससे एक कैदी की रीढ़ की हड्डी और दूसरे के हरनिया व पेट से संबंधित उपचार पर 1-1 लाख रुपए का खर्च किया गया। जेल में कैदी या बंदी के इलाज से संबंधित सारा रिकार्ड जेल परिसर में स्थित डिस्पैंसरी के रिकार्ड में रखा जाता हैं, ताकि समय-समय पर उस मरीज का फॉलोअप किया जा सके। जेल से पर उसका मैडीकल रिकार्ड भी दे है ताकि जेल से बाहर जाकर भी वह फॉलोअप करवा सके।

जेल की डिस्पैंसरी में उपलब्ध होते हैं एक्सपर्ट डाक्टर :
जेल में कैदियों को विशेषज्ञों से उपचार दिलवाने के उद्देश्य से यहां सप्ताह में अलग-अलग बीमारियों की ओ.पी.डी. की व्यवस्था की गई है जैसे सोमवार को जेल में में दांतों के रोग का विशेषज्ञ उपलब्ध होता है मंगलवार को हड्डियों के विशेषज्ञ, बुधवार को आंख, नाक, कान व स्कीन से संबंधित, शुक्रवार को सर्जरी और मनोचिकित्सक की ड्यूटी हाती है। डाक्टरों की सलाह पर मरीज को विशेषज्ञ डाक्टर को बड़े अस्पताल में ले जाकर इलाज करवाया जाता है। 


एच.आई.वी. ग्रस्त कैदी के उपचार पर पिछले साल 40 हजार रुपए खर्च किए :
इसके अलावा एक कैदी को शुगर थी जिसके इलाज पर 55 हजार और एक एच.आई.वी. ग्रस्त कैदी के इलाज के लिए 40 हजार खर्च किए गए। तरह से जेल में बंद कैदियों का यहा रुटीन से इलाज करवाया जाता है डाक्टर की सलाह के अनुसार समय-समय पर कैदियों को सरकारी अस्पतालों में ले जाकर उन्हें बेहतर इलाज मुहैया करवाया जाता है। 

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