नई पार्किंग नीति का विरोध: पूर्व सांसद बंसल ने ऐतराज दर्ज करवाए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 01:44 AM

opposing new parking policy

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा घोषित अपनी नई पार्किंग नीति पर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं।

चंडीगढ़, (राय): पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा घोषित अपनी नई पार्किंग नीति पर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं। यू.टी. के मुख्य आर्कीटैक्ट को लिखे गए एक पत्र में यू.टी. द्वारा आमंत्रित आपत्तियों के जवाब में बंसल ने अनुरोध किया है कि इस संबंध में आखिरी फैसला करने से पहले आर.डब्ल्यू.ए., कारोबारियों के व्यापारिक संगठनों, उद्योग, संस्थानों, नगर निगम सदस्यों, जिला परिषद, पी.आर.आई. के सदस्यों, मार्कीट कमेटी आदि जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया जाए।

उन्होंने कहा कि 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए बसों को अनिवार्य रूप से चलाना लागू करना एक अच्छी मंशा से उठाया गया कदम हो सकता है लेकिन इससे विपरीत नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ सकते हैं। क्योंकि कंपनी को अपने कर्मचारियों को लेने के लिए एक लंबा बस रूट बनाना होगा और शहर की बाहरी सीमा तक जाना होगा और शहर की आंतरिक सड़कों का सफर तय कर कर्मचारियों को अलग-अलग जगहों से एकत्र करना होगा। इस प्रकार से काफी समय बेकार जाएगा और कीमती ईंधन की भी बर्बादी होगी। वहीं कई औद्योगिक इकाइयों के लिए असुविधा भी होगी, क्योंकि हो सकता है कि उनके कर्मचारी साइकिल पर ही आते जाते हों।

उन्होंने कहा कि वर्किंग प्लेस पार्किंग लेवी (डब्ल्यू.पी.पी.एल.) में जरूरी विवरण पूरी तरह से गायब है। उन्होंने कहा है कि प्रशासन दो गैर-तार्किक भारी भरकम लेवीज के साथ सामने आया है जिनमें सर्टीफिकेट ऑफ इंटाइटलमैंट (जो कि कार के मूल्य से भी अधिक है) और अगर पहली कार है तो दूसरी कार खरीदने पर रोड टैक्स दूसरे कार के आधे मूल्य तक होगा, फिर अगर पहली कार की कीमत 10 लाख रुपए या इससे अधिक हो तो भी रोड टैक्स कार की आधी कीमत तक वसूल किया जाएगा। यह नीति देश में कार निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की नीति के पूरी तरह से खिलाफ है और अगर इसको ध्यान से देखा जाए तो ये पूरी तरह से परस्पर विरोधी नीति है।

पत्र में लिखा गया है कि यह प्रावधान एक और महत्वपूर्ण मुद्दा नजरअंदाज कर रहा है, जिसमें घरों के आधार पर कारों की गणना की जा रही है जबकि एक ही घर में दो या इससे अधिक परिवार निवास कर रहे हैं। मां-बाप और उनके विवाहित बेटे अलग-अलग स्थानों पर काम करते हैं लेकिन वे सभी एक संयुक्त परिवार के रूप में रह रहे हैं। यहां तक कि उनके जीवनसाथी भी काम के विभिन्न स्थानों पर जा सकते हैं इसलिए, प्रति परिवार एक कार का यह नियम पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है और ज्यादातर मामलों में बड़ी मुश्किलें पैदा करेगा। बेहतर होता कि इस नियम को एक व्यक्ति एक कार के नियम के तौर पर विस्तार दिया जाना चाहिए। अन्यथा, लोगों को अपनी कार पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के आसपास के शहरों में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इससे यू.टी. को कर वसूली के एक बड़े हिस्से से भी हाथ धोना पड़ेगा और समस्या का भी समाधान नहीं होगा।

पूर्व सांसद ने कहा है कि वी-4, वी-5, वी-6 सड़कों के चौराहों पर ‘नो पार्किंग जोन’ के तौर पर 15 मीटर खाली स्थान छोडऩा एक अच्छा विचार हो सकता है लेकिन इसे व्यावहारिक तौर पर लागू करना मुश्किल है, क्योंकि सड़क के पास ही कुछ छोटे घर हैं। पार्किंग नियमों के तहत ई.सी.एस. का प्रावधान, औसत व्यक्ति के लिए अपर्याप्त है, जिसमें मैं स्वयं भी शामिल हूं। मूल्य निर्धारण पद्धति के तहत पार्किंग दरों का निर्धारण करने के लिए लागू किया जा रहा फॉर्मूला पार्किंग की दरों को काफी बढ़ा देगा। इसे संशोधित करने की जरूरत है।

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