दोपहिया वाहन फाइनैंस करवा लोगों को बेचने वाले 5 लोग काबू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 09:17 AM

over 2 people arrested who sell two wheeler vehicle

लोगों का लोन पास न होने पर उनके दस्तावेज चोरी करके उन्हीं पर दोपहिया वाहन फाइनैंस करवाकर लोगों को बेच ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को  आप्रेशन सैल ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनसे 20 स्कूटर बरामद किए हैं।

चंडीगढ़ (सुशील): लोगों का लोन पास न होने पर उनके दस्तावेज चोरी करके उन्हीं पर दोपहिया वाहन फाइनैंस करवाकर लोगों को बेच ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को  आप्रेशन सैल ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनसे 20 स्कूटर बरामद किए हैं। आरोपियों ने 2500 रुपए देकर स्कूटर निकलवाए और लोगों को 30 से 35 हजार में बेच दिए। 

 

आरोपियों की पहचान सैक्टर-48 निवासी सुखदेव सिंह, हल्लोमाजरा दीप कांप्लैक्स निवासी सुरजीत सिंह, रामदरबार फेज-1 निवासी संजय,  डेराबस्सी निवासी संदीप उर्फ सोनू और गुलाबगढ़ निवासी प्रदीप गौतम के रूप में हुई।  पुलिस ने बताया कि संदीप सुजुकी में सैल्समेन था और प्रदीप कैपिटल फस्र्ट कंपनी से वाहनों पर लोन करवाता था। 

 

आरोपियों को जिला अदालत ने 24 मार्च तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।  आप्रेशन सैल के एस.पी. रवि कुमार ने बताया कि इंस्पैक्टर नरेंद्र पटियाल को सूचना मिली थी कि रामदरबार में सुजुकी कंपनी के 5 स्कूटरों पर एक जैसे टैम्परेरी नंबर लगे हैं। पुलिस ने रामदरबार में जाकर यह स्कूटर बरामद कर रामदरबार निवासी संजय  को दबोच लिया। 

 

किराए पर भी देता था स्कूटर
जांच में पता चला कि संजय एक स्कूटर दिन के लिए 200 रुपए में किराए  पर भी देता था और उसने 5 स्कूटर जाली कागजात से लोन पर लिए थे।  पुलिस ने संजय की निशानदेही पर सुखदेव व सुरजीत सिंह को दबोच लिया। संजय, सुरजीत और सुखदेव ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने दोपहिया वाहन एम.एस. बेदी सुजुकी के सेल्समैन संदीप के जरिए कैपिटल फस्र्ट कंपनी के एजैंट प्रदीप से लिए हैं। 

 

पुलिस ने संदीप और प्रदीप को दबोच लिया। जांच में पता चला कि प्रदीप ने रिजैक्ट हुई लोन की फाइलों के दस्तावेज प्रयोग कर पता बदलने के बाद दोपहिया वाहन कैपिटल फस्र्ट कंपनी से फाइनैंस करवा दिए। 

 

ऐसे फंसा गिरोह
एस.पी. रवि कुमार ने बताया कि रामदरबार निवासी रविंदर के नाम पर दोपहिया वाहन लोन पर लिया गया। किस्त न जमा होने पर कंपनी ने कॉल कर किस्त चुकाने के लिए कहा तो रविंदर का माथा ठनका। उसने शिकायत पुलिस को दी। पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि रविंदर कुमार ने लोन के लिए अप्लाई तो किया था पर उसकी फाइल रिजैक्ट हो गई थी। रविंदर के दस्तावेजों पर प्रदीप ने दूसरे को स्कूटर लोन पर दिला दिया था। यहीं से पोल खुल गई।

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