Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 02:02 AM
शिक्षा विभाग और प्राइवेट स्कूल्स के बीच इस बार फिर ई.डब्ल्यू.एस. कोटे पर एडमिशन को लेकर मतभेद हो गया है। इससे फिर से गरीब अभिभावकों की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है।
चंडीगढ़, (रश्मि रोहिला): शिक्षा विभाग और प्राइवेट स्कूल्स के बीच इस बार फिर ई.डब्ल्यू.एस. कोटे पर एडमिशन को लेकर मतभेद हो गया है। इससे फिर से गरीब अभिभावकों की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है।
वीरवार को एजुकेशन सैक्रेटरी डायरैक्टर ऑफ स्कूल एजुकेशन और प्राइवेट स्कूल की नई गठित कमेटी की मिटिंग में सभी प्राइवेट स्कूलों द्वार इस मुद्दे को अहम रूप से उठाया गया, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने सभी प्राइवेट स्कूल्स से रिइंबर्समेंट मुद्दे पर सोच विचार करने के लिए 10 दिन का वक्त मांगा है।
वहीं अगर शिक्षा विभाग और प्राइवेट स्कूलों के बीच मतभेद नहीं खत्म होता है तो इसका खमियाजा ई.डब्ल्यू.एस. कोटे के तहत आने वाले बच्चों व उनके अभिभावकों को ही उठाना पड़ सकता है। हालांकि मिंटिग में एजुकेशन सैके्रटरी द्वारा मामले की जांच के बाद कोटे की सीटों की फीस लौटाने की बात कही गई है।
शिक्षा विभाग ने कभी नीहं किया पूरे पैसे का भुगतान:
इंडिपेंडैंट स्कूल एसोसिएशन के प्रैजीडैंट एच.एस. मामिक के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा 4 साल से रिइंबर्समैंट नहीं किया गया। अगर ऐसा ही रहा तो प्राइवेट स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे।
इतना ही नहीं 4 साल पहले भी शिक्षा विभाग की तरफ से ई.डब्ल्यू.एस. कैटेगिरी की एक सीट के लिए मात्र 750 रुपए का ही भुगतान किया जाता था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में हाईकोर्ट द्वारा एक सीट के लिए 1160 रुपए अदा करने को कहा था पर शिक्षा विभाग द्वारा हमेशा से ही ऐसा न कर 10 प्रतिशत सीटों के लिए भी मात्र 750 रुपए ही दिए जाते रहे हैं। लेकिन 4 वर्ष पहले शिक्षा विभाग द्वारा वे भी बंद कर दिए गए हैं।
वेतन देना हो जाएगा मुश्किल:
एच.एस मामिक के अनुसार अगर शिक्षा विभाग ने इस मुद्दे पर जल्द फैसला नहीं लिया तो टीचर्स का वेतन देना मुश्किल हो जाएगा और स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की किसी भी बात से इंकार नहीं है, हम 25 प्रतिशत सीटों पर ई.डब्ल्यू.एस कोटे के छात्रों को एडशिन देने को तैयार हैं लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा नियमों अनुसार उन सभी सीटों के लिए कम से कम उन्हें भुगतान तो किया जाए जो आर.टी.ई के तहत बनाए गए नियमों का ही एक हिस्सा है।