पूर्व डायरैक्टर की परमिशन बिना सैक्टर-32 अस्पताल में मरीज को लगाया इंजैक्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 08:55 AM

permission of pre director without injection of patient

गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 के ऑपरेशन थियेटर में हॉस्पिटल के पूर्व डायरैक्टर प्रिंसीपल प्रो. राजबहादुर द्वारा दूसरे पूर्व डायरैक्टर प्रिंसीपल प्रो. अतुल सचदेव के पिता की स्पाइन में इंजैक्शन लगाए जाने पर विवाद छिड़ गया है।

चंडीगढ़ (अर्चना): गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 के ऑपरेशन थियेटर में हॉस्पिटल के पूर्व डायरैक्टर प्रिंसीपल प्रो. राजबहादुर द्वारा दूसरे पूर्व डायरैक्टर प्रिंसीपल प्रो. अतुल सचदेव के पिता की स्पाइन में इंजैक्शन लगाए जाने पर विवाद छिड़ गया है। हॉस्पिटल की फैकल्टी को पूर्व फैकल्टी द्वारा इंजैक्शन लगाए जाने पर ऐतराज है। हॉस्पिटल की फैकल्टी का कहना है कि एक डाक्टर जो हॉस्पिटल का इम्प्लाई नहीं है और अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद हॉस्पिटल छोड़ चुका है, वह हॉस्पिटल का ऑपरेशन थियेटर कैसे इस्तेमाल कर सकता है? 

 

हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक सर्जरी से जुड़े जटिल सेे जटिल ऑपरेशन किए जाते हैं, तो क्या यहां के डाक्टर्स एक इंजैक्शन लगाने की क्षमता नहीं रखते हैं, जो दूसरे किसी इंस्टीच्यूट के डायरैक्टर या पंजाब की किसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को हॉस्पिटल में आकर एक पेशैंट को इंजैक्शन लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है? अगर हॉस्पिटल का एक डाक्टर अपने पिता का ट्रीटमैंट हॉस्पिटल के डाक्टर्स से नहीं करवाना चाहता तो दूसरे पेशैंट्स जिनके नाते रिश्तेदार डाक्टर नहीं हैं उन्हें हॉस्पिटल के डाक्टर्स पर विश्वास करना चाहिए? 


 

फैकल्टी प्रशासनिक अधिकारियों से मांग रही जवाब  
सूत्रों की मानें तो प्रो.राजबहादुर के हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में आकर पेशैंट को इंजैक्शन लगाए जाने की वजह से फैकल्टी प्रशासनिक अधिकारियों से सवाल कर रही हैं कि पूर्व कर्मचारी कैसे हॉस्पिटल का ऑपरेशन थियेटर इस्तेमाल कर सकता है। जब एक यूनिट का डाक्टर दूसरे यूनिट के डाक्टर का ओ.टी. यूज नहीं कर सकता है तो फिर प्रो. राजबहादुर को सिर्फ इस वजह से ओ.टी. इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों दी गई क्योंकि वह किसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और एक सैंटर के डायरैक्टर हैं? 

 

जिस दिन ओ.टी. का इस्तेमाल किया गया उस दिन एक जूनियर डाक्टर का ओ.टी. था और वह डाक्टर प्रो. राजबहादुर द्वारा ओ.टी. इस्तेमाल किए जाने पर विरोध भी नहीं जता सकता था। सूत्र कहते हैं कि हॉस्पिटल में यह पहला मामला है जब बाहर के किसी डाक्टर या पूर्व डायरैक्टर ने आकर हॉस्पिटल का ओटी इस्तेमाल किया है। पहले कभी भी ऑर्थोपेडिक डिपार्टमैंट में ऐसा मामला सामने नहीं आया है। हालांकि दूसरे विभागों में एक यूनिट के डाक्टर द्वारा दूसरे यूनिट के डाक्टर द्वारा ओ.टी. इस्तेमाल किए जाने पर जरूर नोटिस जारी हुए हैं और डाक्टर्स से जवाब मांगे गए हैं कि किसी दूसरे यूनिट डाक्टर के ओ.टी. में अपने पेशैंट को कैसे ऑपरेट किया गया?

 

मौखिक रूप से इंजैक्शन लगाने की परमिशन ली थी
सूत्रों का कहना है कि डाक्टर्स को हॉस्पिटल प्रबंधन यह जवाब दे रहा है कि प्रो.राजबहादुर ने हॉस्पिटल के मौजूदा डायरैक्टर प्रिंसीपल प्रो. ए.के. जनमेजा से मौखिक रूप से इंजैक्शन लगाने की परमिशन ली थी, प्रो. जनमेजा से मंजूरी मिलने के बाद ही प्रो. सचदेव के पिता को प्रो.राजबहादुर ने इंजैक्शन लगाया जबकि उधर फैकल्टी का कहना है कि सरकारी दफ्तर में मौखिक तौर पर कोई परमिशन हासिल नहीं की जा सकती है, ऐसा करना नियमों का उल्लंघन है। अगर जी.एम.सी.एच.-32 के डाक्टर्स स्पाइन सैंटर में सर्जरी के दौरान अनैस्थिसिया देने के लिए जाते हैं तो इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन की स्वीकृति हासिल की गई है।

 

एक इंजैक्शन ही तो लगाया है, कोई प्रोसिजर तो नहीं किया? 
प्रो. राजबहादुर जी.एम.सी.एच.-32 के डायरैक्टर प्रिंसीपल रहे हैं। उन्होंने अगर हॉस्पिटल में आकर किसी पेशैंट को इंजैक्शन लगा भी दिया तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। मोहाली के स्पाइन सैंटर के लिए चंडीगढ़ प्रशासन और जी.एम.सी.एच-32 के बीच एम.ओ.यू. साइन है। इसके तहत जी.एम.सी.एच से अनैस्थिसिया के डाक्टर्स सैंटर में होने वाली सर्जरी के लिए पेशैंट्स को अनैस्थिसिया देने के लिए जाते हैं। अगर यहां के डाक्टर्स स्पाइन सैंटर जा सकते हैं तो प्रो.राजबहादुर भी तो हॉस्पिटल में आकर पेशैंट को इंजैक्शन लगा सकते हैं। एक डाक्टर के लिए पेशैंट ही प्राथमिकता होती है, वैसे भी प्रो. राजबहादुर ने ऑपरेशन थियेटर में किसी का ऑपरेशन नहीं किया सिर्फ एक इंजैक्शन लगाया है।  -डॉ. सुधीरगर्ग, ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट, जी.एम.सी.एच-32

 

नहीं हूं मैं प्राइवेट प्रैक्टिशनर, पेशैंट की मदद की है मैंने
मैंने पेशैंट को सिर्फ इंजैक्शन ही लगाया है। पेशैंट का घर सैक्टर-20 में है उसके लिए मोहाली आना मुश्किल था, मैंने पेशैंट की मदद की है। इंजैक्शन के लिए एक भी पैसा नहीं लिया। जी.एम.सी.एच 32 के साथ मैं पहले भी जुड़ा हुआ था, आज भी जुड़ा हुआ हूं और आने वाले समय में भी अगर किसी पेशैंट को मेरी मदद की जरूरत होगी तो मैं हॉस्पिटल में आऊंगा। मैं एक प्राइवेट प्रैक्टिशनर नहीं हूं। -प्रो.राजबहादुर, पूर्व डायरैक्टर प्रिंसीपल, जी.एम.सी.एच-32 


 

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