विश्व में 3 मिलियन लोग पैस्टीसाइड पॉयजनिंग का शिकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 09:58 AM

pesticide poisoning

विश्व में 3 मिलियन लोग पैस्टीसाइड पॉयजनिंग का शिकार होते हैं, जिसमें से 2 लाख 50 हजार हर वर्ष मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह बात डब्ल्यू.एच.ओ. के आंकड़ों में सामने आई है।

चंडीगढ़(पाल) : विश्व में 3 मिलियन लोग पैस्टीसाइड पॉयजनिंग का शिकार होते हैं, जिसमें से 2 लाख 50 हजार हर वर्ष मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह बात डब्ल्यू.एच.ओ. के आंकड़ों में सामने आई है। डाक्टर्स की मानें तो डेवलपिंग कंट्रीज में पैस्टीसाइड पॉयजनिंग की मृत्यु दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है। काफी पैस्टीसाइड और उन्हें डायग्नोस करने के तरीके भी अलग हैं। पैस्टीसाइड पॉयजनिंग में जितना जल्दी डायग्नोस होता है उतना ही इसमें इलाज आसान हो जाता है। 

 

एक्सपर्ट्स की मानें तो ऑर्गोफॉस्फोरस पैस्टीसाइड (कीटनाशक) का प्रयोग दूसरे पैस्टीसाइड्स के मुकाबले काफी आसान होता है। पी.जी.आई. एमरजैंसी में हर वर्ष 30 से 40 मरीज ऑर्गोफॉस्फोरस पैस्टीसाइड पॉयजनिंग को लेकर आते हैं जिसमें से कई काम के दौरान इसकी चपेट में आते हैं जबकि कुछ इस पैस्टीसाइड का इस्तेमाल सुसाइड के लिए करते हैं। एमरजैंसी में होने के कारण मरीज को तुंरत इस्तेमाल की जरूरत है, ऐसे में मरीज कौन से पैस्टीसाइड की चपेट में आया है उसका पता लगाने के लिए कई टैस्ट तो हैं लेकिन इनमें कई खामियां है।

 

पी.जी.आई. एक्सपैरीमैंटल मैडीसन एंड बॉयो टैक्नोलॉजी विभाग की पीएच.डी. स्कॉलर डा. शिमोना की मानें तो डायग्नोज के लिए जिन टैस्ट का सहारा लिया जा रहा है उसमें कई रुकावटें हैं। देर से रिपोर्ट मिलना, टैस्ट महंगा होना तो इसके आम से कारण हैं, लेकिन साथ ही इनमें कई मैडीकल लिमिटेशन भी है जिन्हें दूर करने की जरूरत है। 

 

प्वाइंट ऑफ केयर टूल होगा फायदेमंद :
कुछ बीमारियों को डायग्नोस करने के टैस्ट काफी सस्ते व आसान है जिसकी रिपोर्ट के लिए भी मरीजों को इंतजार नहीं करना पड़ता है। ऑर्गोफॉस्फोरस पैस्टीसाइड के जल्दी डायग्रोस के लिए डा. शिमोना एक प्वाइंट ऑफ केयर टूल के निमार्ण पर काम कर रही है। हाल ही में उन्होंने 12 ऑर्गोफॉस्फोर पैस्टीसाइड की चपेट में आए मरीजों पर रिसर्च की है, जिसमें जल्दी डायग्रोस को लेकर काफी रिजल्ट आए हैं। 

 

डा. शिमोना की विभाग के हैड प्रो. दिव्या ज्योति बैनर्जी के अंडर इस प्रोजैक्ट पर काम रही है। आमतौर पर सभी पैस्टीसाइड के लक्षण एक से ही होती हैं, ऐसे में जब मरीज एमरजैंसी में आता है तो डाक्टर उसके फीचर्स सिमट्म्स को देखकर ही उसका इलाज शुरू कर देते हैं, क्योंकि रिपोर्ट्स ऑन द स्पॉट नहीं मिल पातीं। 

 

उन्होंने पी.जी.आई. एमरजैंसी में आए 12 मरीजों को जल्दी डायग्रोस के लिए नया मैथड तैयार किया है जिसे अब प्वाइंट ऑफ केयर टूल में कनवर्ट करने की तैयारी की जा रही है। काफी अलग-अलग बीमारियों को जल्दी डायग्नोस करने के लिए प्वाइंट ऑफ केयर टूल बनाए जा रहे हैं जिससे एक पार्टीकुलर बीमारी डायग्नोस करने में मदद मिल रही है। 

 

सुसाइडल केस ज्यादा :
पिछले एक वर्ष में पी.जी.आई. पैस्टीसाइड पॉयजनिंग को लेकर पी.जी.आई. में 40 तक मरीजों की संख्या रहती है। स्टडी में जिन 12 मरीजों को शामिल किया है वह सभी सुसाइडल केस थे। डाक्टर्स की मानें तो कई बार लोग अनजाने में भी इसके शिकार हो जाते हैं। 

 

फसलों में पैस्टीसाइड का छिड़काव करने का एक समय होता है जो जरूरी भी है। लोगों में इसके इस्तेमाल को लेकर जागरूकता की कमी है जिसे बढ़ाने की जरूरत है। कई बार अस्पताल में ऐसे मामले भी आते हैं जिसमें पैस्टीसाइड के छिड़काव के बाद उन चीजों को बिना धोए खा लिया, जिस कारण उनमें पॉयजनिंग हो गया। 
 

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