स्कूलों में खेल मैदान न होने से कई खेलें हुई लुप्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 12:24 PM

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सरकारी स्कूलों में खेलों का स्तर किस कदर गिर चुका है, इसका असली चेहरा यदि आप देखना चाहते हो तो डेराबस्सी बसस्टैंड पर स्थिति स. गुरनाम सिंह सीनीयर सैकेंडरी स्कूल के खेल मैदान देखें।

डेराबस्सी(गुरप्रीत) : सरकारी स्कूलों में खेलों का स्तर किस कदर गिर चुका है, इसका असली चेहरा यदि आप देखना चाहते हो तो डेराबस्सी बसस्टैंड पर स्थिति स. गुरनाम सिंह सीनीयर सैकेंडरी स्कूल के खेल मैदान देखें। वर्षों से स्कूल के खेल मैदान की हालत ऐसी है कि यहां कोई गेम नहीं करवाई जा सकती है लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग द्वारा हर वर्ष जोनल स्तर पर गर्म व सर्द श्रुत की खेल प्रतियोगिताएं इसी मैदान में करवाकर खेलों के साथ मद्दा मजाक किया जाता चला आ रहा है। 

 

खेलों के नाम पर बास्केबॉल, वालीबॉल बने है लेकिन खेलने मुश्किल। बिना किसी योजना या सोच से स्कूल में नई बिल्डिंग बनने के नाम पर खेल मैदान सूरत खराब कर दी गई है। नगर परिषद द्वारा स्कूल मैदान में पानी का ट्यूबवैल लगाया गया। इसके अलावा सरकारी प्रोग्रामों के लिए मंच का निर्माण कर खेल मैदान को छोटा कर दिया गया। स्कूल मैदान के साथ इस कदर हुई छेड़छाड़ के बावजूद किसी ने इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठानी मुनासिब नहीं समझी। 

 

नतीजा आज खेल मैदान की हालत ऐसी है कि यहां खेल असंभव हो गया है। जगह जगह बने गड्ढे व उगा घास फूंस शिक्षा विभाग की स्कूल स्तर पर खेलों की दुरुदर्शा को मुंह चिढ़ा रहे है।  सरकारें आती व जाती है लेकिन किसी भी नेता ने डेराबस्सी इलाके में सरकारी स्कूलों में खेलों के गिरते स्तर पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन बयानबाजी में ही खेलों को उंचा उठते चले आ रहे है।

 

यह गेम्स हुई लुप्त : 
सरकारी स्कूलों में खेलों का स्तर इतना गिर चुका है कि फुटबॉल, हॉकी, बॉस्केबॉल जैसी गेग्स स्कूल स्तर पर लगभग खत्म हो चुकी है। स्कूली खेल प्रतियोगिताओं में फुटबॉल की तो कोई टीम ही नहीं आती है। इसके अलावा स्वीमिंग, लॉग टैनिस, टेबल टैनिस, कैरम जैसी गेम्स प्राईवेट स्कूलों तक ही समीति रह गई है। 

 

प्राइवेट स्कूलों का सहारा : 
सरकारी स्कूलों खेल मैदान न होने कारण हर वर्ष शिक्षा विभाग की ओर से जोनल स्तर पर करवाई जाती खेल प्रतियोगिताओं के लिए प्राईवेट स्कूलों के मैदानों का सहारा लेकर खानापूर्ती की जाती चली आ रही है। कई बार देखने में आया कि प्राईवेट स्कूल खेल मैदान देने में आनाकानी भी करते है जिससे मजबूरन डेराबस्सी सरकारी स्कूल के टुटे फुटे मैदान में करवाई कर कागजी कार्रवाई पूरा कर ली जाती है। जब सरकारी स्तर पर डेराबस्सी जोन में खेलों की हो रही दुरुदर्शा के बारे में मीडिया में खबरें प्रकाशित होती है तो शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी यहां के खेल टीचर्स पर गाज गिराकर कार्रवाई करती है लेकिन खेलों के लिए मैदान न होने की किसी की जिम्मेदारी है इस पर कोई कुछ नहीं बोलता है।

 

यह कहा टीचर ने : 
रिटा. खेल टीचर जोगिंद्र सिंह ने कहा कि स्कूल मैदानों की दुरदर्शा देखकर बड़ा दुख होता है। डेराबस्सी के इसी स्कूल मैदान में क्रिकेट, फुटबॉल व हॉकी के मेले लगते थे लेकिन सियासी नेताओं की गलत नीतियों के चलते आज स्कूल का मैदान पूरी तरह बिफर कर रह गया है। उन्होंने कहा कि अभी भी समय है कि सरकार सरकारी स्कूलों में खेल मैदानों को यकीनी बनाए नहीं तो सरकारी स्कूलों में लगते खेल मेले पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। यहीं कारण है कि बच्चों के स्वास्थ्य लगातार गिरते जा रहे है जिसके आने वाले समय में गंभीर नतीजे हमें देखने को मिलेंगे।  
 

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