दीवाली पर भी शो पीस बनी रही पॉल्यूशन जांचने वाली 80 लाख रुपए की मशीन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Oct, 2017 08:42 AM

pollution machine

दीवाली के मौके पर शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए चंडीगढ़ प्रशासन की प्लानिंग धरी की धरी रह गई। यह सब हुआ प्रशासन के अपने ही विभागों की आपसी तालमेल की कमी की वजह से।

चंडीगढ़(विजय) : दीवाली के मौके पर शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए चंडीगढ़ प्रशासन की प्लानिंग धरी की धरी रह गई। यह सब हुआ प्रशासन के अपने ही विभागों की आपसी तालमेल की कमी की वजह से। चंडीगढ़ में पॉल्यूशन के सभी पॉल्यूटैंट्स की जानकारी हासिल करने के लिए अब चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) के पास लगभग 80 लाख रुपए की एक अत्याधुनिक मशीन मौजूद है। 

 

सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने इसी साल चंडीगढ़ को यह मशीन अलॉट की थी। लेकिन इसे इंस्टॉल करने के लिए कमेटी को पूरे शहर में कहीं जगह नहीं मिली। सी.पी.सी.सी. रियल टाइम एंबियंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन को दक्षिणी एरिया में इंस्टॉल करना चाहती थी। इसके लिए कमेटी ने गवर्नमैंट कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनैस एडमिनिस्ट्रेशन सैक्टर-50 को चुना था। इस मशीन को लगाने के लिए कमेटी ने 13 जुलाई को हायर एजूकेशन डिपार्टमैंट से परमिशन मांगी थी लेकिन लगभग तीन महीने गुजर जाने के बावजूद कमेटी को परमिशन नहीं मिल पाई। इस कारण इस दीवाली एक बार फिर चंडीगढ़ में पुराने ढर्रे से ही पॉल्यूशन की जांच की गई। 

 

कमेटी की प्लानिंग थी कि दीवाली से पहले यह मशीन इंस्टॉल कर दी जाए जिससे कि यह जानकारी हासिल की जा सके कि चंडीगढ़ की हवा में कितने पॉल्यूटैंट्स मौजूद हैं और वह कितनी मात्रा में है? इससे कि पहले से ही इसकी रोकथाम के लिए प्रोपोजल तैयार करके मिनिस्ट्री को भेजा जा सके लेकिन एजुकेशन डिपार्टमैंट से परमिशन न मिलने की वजह से दीवाली में इस मशीन का इस्तेमाल नहीं हो पाया।

 

केवल तीन पॉल्यूटैंट्स की हुई जांच :
इस साल फिर से दीवाली के मौके पर केवल तीन ही पॉल्यूटैंट्स ऐसे हैं जिनका डाटा सी.पी.सी.सी. के पास पहुंच पाया। दरअसल अभी तक कमेटी केवल शहर में कई जगह छोटी मशीनों को लगाकर काम चला रहा है। 

 

जिसमें केवल रेस्पिरेबल सस्पेंडिड पर्टिकुलर मेटर (आर.एस.पी.एम.), सल्फर डाईऑक्साइड (एस.ओ.2 ) और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एन.ओ.2) की ही जांच हो पाती है। पिछले साल प्रशासन ने इन पुरानी मशीनों को रिप्लेस करके नई मशीनें तो लगा दी लेकिन इसमें भी केवल पी.एम. 2.5 ही नया फीचर शामिल किया गया है। फिर भी कईं पॉल्यूटैंट्स ऐसे हैं जिनकी पहचान कर उसकी मात्रा का कोई डाटा नहीं रखा जा सकता है।

 

क्यों जरूरी है मशीन?
एनवायरमैंट कंट्रोल एजैंसियां भी लगातार शहरों को रियल टाइम एंबियंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने की सिफारिश कर रही हैं। दरअसल इस मशीन के जरिए सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड, हाईड्रोजन क्लोराइड, एयरबोर्न पर्टिकुलेट मेटर, मर्करी, वॉलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाऊंड और ऑक्सीजन सहित कुल 15 गैसों की पहचान कर हवा में उनकी मात्रा की जानकारी एकत्रित की जा सकती है। इसके अतिरिक्त इस मशीन के जरिए वायु प्रवाह और आद्रता की भी सटीक जानकारी मिलती है।

 

जरूरी है यह मशीन :
प्रशासन इसलिए भी इस मशीन को जल्द से जल्द लगवाने के प्रयास कर रहा है क्योंकि लगातार बढ़ रही इंडस्ट्री और वायु प्रदूषण की वजह से हवाएं जहरीली होती जा रही हैं। यह एक ऐसी मशीन है जो सैंट्रलाइज्ड तरीके से काम करेगी। इसका पूरा डाटा बोर्ड के पास जमा होगा। जब तक बोर्ड को यह जानकारी नहीं मिलेगी कि चंडीगढ़ में कौन सा पॉल्यूटैंट बढ़ रहा है तब तक उसकी रोकथाम के लिए कोई प्लानिंग नहीं की जा सकती है।

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