प्राइवेट हॉस्पिटल्स प्लेटलैट एफ्रेसिस के नाम पर वसूल रहे मोटी फीस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 08:20 AM

private hospital

ट्राईसिटी में डेंगू के मरीजों को ब्लैक में ब्लड मिल रहा है। नैशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन कौंसिल की गाइडलाइंस की अनदेखी करते हुए हॉस्पिटल डेंगू मरीज से प्लेटलेट एफ्रेसिस प्रक्रिया के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं।

चंडीगढ़(अर्चना) : ट्राईसिटी में डेंगू के मरीजों को ब्लैक में ब्लड मिल रहा है। नैशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन कौंसिल की गाइडलाइंस की अनदेखी करते हुए हॉस्पिटलडेंगू मरीज से प्लेटलेट एफ्रेसिस प्रक्रिया के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल जहां डेंगू मरीजों से एफ्रेसिस के दोगुना से ज्यादा दाम वसूल रहे हैं वहीं सरकारी अस्पतालों में महंगी एफ्रेसिस किट्स मरीजों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। एक किट की कीमत 8500 से लेकर 12000 रुपए है। किसी मरीज को अगर प्लेटलेट एक यूनिट चढ़ा तो किट के दाम मरीज व डोनर ब्लड स्क्रीनिंग के दाम से जुड़ जाएंगे। अगर यूनिट दो से तीन चढऩी है तो मरीजों को 3-3 किट्स खरीदनी पड़ रही हैं। 

 

कौंसिल का नियम कहता है कि एफ्रेसिस की फीस 11000 रुपए से ज्यादा नहीं वसूली जा सकती और इसी फीस में डोनर ब्लड स्क्रीनिंग भी शामिल है। हालांकि प्राइवेट हॉस्पिटल एफ्रेसिस के लिए 15,000 से लेकर 20,000 रुपए वसूल रहे हैं। डोनर ब्लड स्क्रीनिंग के लिए अतिरिक्त 2000 से लेकर 6300 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। 

 

‘पंजाब केसरी’ ने हॉस्पिटल में की गई पड़ताल के दौरान मरीजों के बिल भी एकत्रित किए हैं। यह भी सामने आया कि वह मरीज जिन्हें डोनर की मदद के बिना प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं उसके गवर्नमैंट हॉस्पिटल मेंउतने ही दाम वसूले जा रहे हैं। 15000 से अधिक प्लेटलेट वाले गवर्नमैंट हॉस्पिटल के मरीज से प्रति यूनिट प्लेटलेट के सिर्फ 300 रु ही वसूले जा रहे हैं। 15000 से कम प्लेटलेट्स वाले को महंगी किट खरीदकर इलाज करवाना पड़ रहा है। नैशनल वैक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल विभाग के मुताबिक चंडीगढ़ में इस सीजन में डेंगू के 701 मरीज सामने आ चुके हैं।

 

केस-1
यमुनानगर से आए 31 वर्षीय मरीज ने मोहाली में सैक्टर-62 के प्राइवेट हॉस्पिटल में डेंगू का ट्रीटमैंट लिया। नवेंदु सैनी पेशेंट को कई दिनों से तेज बुखार था और प्लेटलेट चैक किए जाने पर प्लेटलेट्स काऊंट जब 28000 मिला तो मरीज को मोहाली के अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया। मरीज के भाई सुशांत ने बताया कि हॉस्पिल ने उनके भाई को प्लेटलेट्स एफ्रेसिस के लिए 17,550 रुपए लिए जबकि हॉस्पिटल में डेंगू ट्रीटमैंट का खर्च 1 लाख 17 हजार 747 रुपये आया।

 

केस-2 
बलौंगी की एक महिला मरीज का मोहाली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डेंगू का इलाज हुआ। मरीज की मौत के बाद परिवार से मरीज को चढ़ाए गए एफ्रेसिस के दम चढ़ाए गए प्लेटलेट्स के लिए 16000 रुपए लिए गए। हॉस्पिटल के पास खुद का ब्लड बैंक नहीं है। यह मरीज के डोनर को सोहाना हॉस्पिटल ले जाता है। वहां डोनर के ब्लड से प्लेटलेट निकाले जाते हैं और प्लेटलेट्स को लाकर मरीज के खून में चढ़ा दिया जाता है।

 

केस-3 
पी.जी.आई. में डेंगू का इलाज करवाने आने वाले मरीजों को प्लेटलेट्स एफ्रेसिस के लिए किट्स खरीदनी पड़ती हैं। यहां किट्स दो किस्म की हैं। पहली किट का रेट 1200 रुपए है, जिसे छूट के बाद 8500 रुपए में लगाया जाना चाहिए और दूसरी के दाम 8500 रुपए हैं जिसे 7468 रुपए में मरीज को दिया जाना चाहिए। 

 

पी.जी.आई. में ये किट्स मनमाने दाम पर बेची जा रही हैं, जिस कारण प्लेटलेट एफ्रेसिस के दाम भी नियमों को पार कर रहे हैं। पी.जी.आई. के ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक्सपर्ट डॉ. सुचेत सचदेव का कहना है कि डेंगू मरीजों को प्लेटलेट कंसंट्रेट चढ़ाना है या किट्स के दम पर डोनर की प्लेटलेट्स देनी है, यह फैसला क्लीनिशियन मरीज की की हालत देखकर तय करता है।

 

केस-4 
जी.एम.सी.एच.-32 में ब्लड ट्रांसफ्यून डिपार्टमैंट की इंचार्ज डॉ. रवनीत कौर ने बताया कि में डेंगू मरीजों को दो किस्म का इलाज दिया जा रहा है। जिस मरीज के प्लेटलेट ज्यादा कम नहीं हैं उसे 300 रुपए प्रति यूनिट प्लेटलेट दी जा रही है जबकि उस मरीज को जिसकी प्लेटलेट संख्या 28000 से कम है उसे किट्स की मदद से प्लेटलेट दी जा रही है। 

 

किट्स के दम पर डोनर के फ्रैश ब्लड से प्लेटलेट को अलग किया जाता है और ब्लड को वापस डोनर को चढ़ा दिया जाता है, जबकि प्लेटलेट मरीज को दे दी जाती हैं। पहले से लिए गए ब्लड की शैल्फ लाइफ सिर्फ पांच दिन होती है और वह तेजी से प्लेटलेट्स की संख्या नहीं बढ़ा सकती है। हॉस्पिटल में मरीज को 7500 से लेकर 8500 रुपए की किट्स बेची जा रही हैं।

 

यह है प्लेटलेट एफ्रेसिस :
यह एक प्रक्रिया है जिसमें ब्लड डोनर के खून से प्लेटलेट निकाला जाता है और एफ्रेसिस किट खून में से प्लेटलेट निकाल लेती है। बचा हुआ ब्लड वापस डोनर के शरीर में चला जाता है जबकि अलग प्लेटलेट्स मरीज के ब्लड में चढ़ा दिए जाते हैं। प्लेटलेट्स छोटे-छोटे सैल फ्रेगमेंट्स होते हैं, ब्लड में घूमते रहते हैं और इनका काम ब्लीडिंग रोकना होता है।    

 

नहीं चार्ज कर सकते हैं ज्यादा दाम :
चंडीगढ़ प्रशासन के हैल्थ ऑफिसर डॉ.गौरव का कहना है कि नियम तो यही कहते हैं कि ब्लड बैंक प्लेटलेट एफ्रेसिस के लिए 11,000 रुपए से अधिक नहीं वसूले जा सकते हैं। अगर कोई ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल जो खुद का ब्लड बैंक भी चला रहे हैं उन पर भी यह नियम लागू होता है कि वह प्लेटलेट एफ्रेसिस के लिए 11,000 रुपये से ज्यादा नहीं वसूल सकते हैं। 

 

ऐसा हॉस्पिटल जिसमें ब्लड बैंक नहीं है वह किट्स के दम पर अगर मरीज को प्लेटलेट दे रहा है तो भी उसके चार्जेस 11,000 रुपए से ज्यादा नहीं होने चाहिए क्योकि किट्स के दाम 7500 से लेकर 8500 रुपए हैं। किट्स के दाम के अलावा अगर डेंगू स्क्रीनिंग या फिर प्लेटलेट्स काऊंट आदि देखना है तो भी प्लेटलेट एफ्रेसिस के दाम 11,000 से ज्यादा नहीं लिए जा सकते हैं। चंडीगढ़ के हॉस्पिटल में इस बाबत चंडीगढ़, जबकि मोहाली के हॉस्पिटल पर ड्रग कंट्रोलर पंजाब को चैक करना चाहिए ताकि मरीजों से ज्यादा दाम न वसूले जाएं।

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