अंबाला-चंडीगढ़ के नए रेलवे ट्रैक की अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटैक्शन मशीन से होगी टैस्टिंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 09:28 AM

railway track

अंबाला-चंडीगढ़ के बीच बने 45.16 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक को अब रेलवे विभाग की ओर से अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटेक्शन(यू.एस.एफ.डी.) मशीन की टैस्टिंग के बाद ही इस पर तेजस चलाने की परमिशन दी जाएगी। रेलवे द्वारा नए उपकरण भी खोजे जा चुके हैं जो ट्रैक के बीच के...

चंडीगढ़(लल्लन) : अंबाला-चंडीगढ़ के बीच बने 45.16 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक को अब रेलवे विभाग की ओर से अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटेक्शन(यू.एस.एफ.डी.) मशीन की टैस्टिंग के बाद ही इस पर तेजस चलाने की परमिशन दी जाएगी। रेलवे द्वारा नए उपकरण भी खोजे जा चुके हैं जो ट्रैक के बीच के बारीक गैप व खामियों को भी आसानी से तलाश सकता है। 

 

साथ ही गर्मी व सर्दी के दिनों में रेलवे की पटरियों के सिकुडऩे तथा फैलने के बारे में भी अधिकारियों को इस मशीन से जानकारी मिल जाएगी। इसके साथ ही रेलवे अधिकारियों का कहना हैं कि चंडीगढ़-अंबाला रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण का कार्य पूरा हो गया है। अब सिर्फ इलैट्रिशियन का कार्य चल रहा हैं। इसके बाद ही यू.एस.एफ.डी.मशीन से ट्रैक की चैकिंग की जाएगी। अंदाजा है कि शहरवासियों को नए साल पर तेजस का तोहफा मिल सकता हैं। 
 

 

338.54 करोड़ की लागत से पूरा हुआ ट्रैक का दोहरीकरण : 
अंबाला-चंडीगढ़ रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का का काम 338.54 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा है। यह रेलवे ट्रैक 45.16 किलोमीटर के लंबा है। ट्रैक पर 10 बड़े और 33 छोटे पुलों का निर्माण हुआ हैं। अंबाला से दप्पर तक का निर्माण हो चुका है। दप्पर से चंडीगढ़ 27.9 किलोमीटर के ट्रैक को बनाने का निर्माण भी पूरा हो चुका है। इस संबंध में अधिकारियों का कहना हैं कि अब सिर्फ रेलवे ट्रैक की टैस्टिंग बाकी हैं। जैसे ही इलैक्ट्रिक का कार्य पूरा होगा, इस पर से ट्रेनों का आवागमन शुरू हो जाएगा। 

 

विंटर शैड्यूल में भी तेजस की घोषणा : 
रेलवे की ओर से विंटर शैड्यूल में तेजस ट्रेन को शामिल किया गया है। यह ट्रेन सप्ताह में 6 दिन चलाने की घोषणा की गई थी लेकिन उस समय भी ट्रेन चलाने की तारीख के बारे में कोई जानकारी नही दी गई थी। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि नए साल में शहरवासियों को तेजस मिल सकती है।  

 

यह काम है यू.एस.एफ.डी. मशीन का :
यह मशीन अल्ट्रासाऊंड वेवज की सहायता से रेल ट्रैक की उन बारीक से बारीक कमियों को देखने में सक्षम होती है जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। जिस प्रकार अल्ट्रासाऊंड मशीन द्वारा मानव शरीर की भीतरी जांच संभव है, उसी प्रकार यू.एस.एफ.डी. मशीन भी रेलवे ट्रैक की कमियों को चिन्हित कर सकती है ताकि बाद में रेल ट्रैक में किसी भी प्रकार की अवांछनीय विफलता न हो। अधिकारियों का कहना है कि यह रेलवे के लिए काफी महत्वपूर्ण मशीन है, जिसके प्रयोग से हादसों को रोका जा सकता है।

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