रिसर्च की रिपोर्ट का खुलासा, मोटे लोगों की हड्डियां पतलों के मुकाबले होती हैं मजबूत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Nov, 2017 11:53 AM

report of research

हड्डियों की मजबूती के मामले में मोटे लोग फिट पाए गए हैं। यही नहीं किसी दुर्घटना में उनकी हड्डियों को पतले व कमजोर लोगों के मुकाबले कम नुक्सान पहुंचता है। यह बात पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजी विभाग की एक ताजा रिसर्च में सामने आई है।

चंडीगढ़(अर्चना) : हड्डियों की मजबूती के मामले में मोटे लोग फिट पाए गए हैं। यही नहीं किसी दुर्घटना में उनकी हड्डियों को पतले व कमजोर लोगों के मुकाबले कम नुक्सान पहुंचता है। यह बात पी.जी.आई. के एंडोक्रायनोलॉजी विभाग की एक ताजा रिसर्च में सामने आई है। 

 

चंडीगढ़ के 500 स्वस्थ लोगों पर 18 महीने में किए गए कम्युनिटी रिसर्च के बाद इसका खुलासा हुआ है। रिसर्च ने साबित किया कि मोटे व थुलथुले लोगों को मसल मास इंडेक्स (एम.एम.आई.) अच्छा था, उनकी मांसपेशियां भी मजबूत थी जबकि दुबले लोगों की मांसपेशियां व हड्डियां इनके मुकाबले कमजोर थी। एंडोक्रायनोलॉजी रिसर्च कहती है कि दुबलों की हड्डियां फ्रैक्चर का ज्यादा शिकार हुई। रिसर्च की मानें तो मोटे लोगों की हड्डियां शरीर की तरह पावरफुल होती हैं। 

 

सीनियर रैजीडेंट डाक्टर रिमेश पाल ने सैक्टर-15, सैक्टर-38 और इंदिरा कालोनी के स्वस्थ लोगों का मसल मास इंडेक्स लिया और उनकी बोन फ्रैक्चर का रिकार्ड भी हासिल किया। रिसर्च के दौरान पाया गया कि जिन पुरुषों का मसल मास इंडेक्स 0.6 से कम और जिन महिलाओं का मसल मास इंडेक्स 0.4 से कम था उनकी हड्डियों में ज्यादा फ्रैक्चर आए। जबकि 0.6 से अधिक एम.एम.आई. वाले पुरुषों और 0.4 से अधिक एम.एम.आई. वाली महिलाओं में बोन फैक्चर का रिकार्ड नहीं था।  

 

प्रो.भंसाली और प्रो.बडाडा के नेतृत्व में किया रिसर्च :
चंडीगढ़ में बोन डिसआर्डर के पेशैंट्स की हड्डियों के फ्रैक्चर की वजह से देखने के लिए एंडोक्रायनोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो.अनिल भंसाली के नेतृत्व में रिसर्च किया गया। 

 

एंडोक्रायनोलॉजी एक्सपर्ट डॉ.भंसाली और डॉ.संजय बडाडा के दिशा निर्देश में डॉ.रिमेश पॉल ने पाया कि दुबले पतले लोगों को मसल मास इंडेक्स सामान्य से भी बहुत कम था, जबकि मोटे लोगों का मसल मास इंडेक्स अच्छा था। दुबले लोगों की मांसपेशियां भी कमजोर थी और उनकी हड्डियां हलके से झटके से भी टूट जाती थी। 

 

रिसर्च में देखा गया कि दुबले लोगों की मांसपेशियों की कमजोरी की वजह यह भी थी कि वह बॉडी को फिट रखने के लिए किसी तरह का व्यायाम भी नहीं करते थे। पी.जी.आई. की यह स्टडी रिपोर्ट रविवार को मैटाबोलिक बोन डिसीजेज पर आयोजित संगोष्ठी में प्रस्तुत की जाएगी। पायलट फेज में आगे के रिसर्च के लिए सेक्टर-52 के लोगों को अध्ययन का हिस्सा बनाया जाएगा। 

 

ऐसे किया अध्ययन :
शोधकर्ता डॉ.रिमेश पॉल ने बताया कि अध्ययन के दौरान हेलदी लोगों के शरीर की तीन हड्डियों को ध्यान में रखा गया। स्पाइनल बोन(रीढ़), रेडियल बोन(बाजू), फिमरल बोन(टांग)की हड्डी को मसल मास इंडेक्स के साथ जोड़ कर देखा गया। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों का मसल मास इंडेक्स 0.6 से कम था उनकी रेडियल बोन भी कमजोर थी। अन्य दो टांग व रीढ़ की हड्डियों का मसल मास इंडेक्स के साथ कोई संबंध नहीं देखा गया। अध्ययन में पुुरुष व महिलाएं बराबर संख्या में शामिल किए गए। उनका कहना है कि नार्थ इंडिया के लोगों में विटामिन डी की कमी देखने को मिलती है। 

 

अध्ययन कहते हैं कि चंडीगढ़ के लोगों में भी विटामिन डी का लेवल बहुत कम है। एक व्यक्ति को दिन भर में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है जबकि देखने में आया है कि यहां के लोग एक दिन में 400 मिलीग्राम से ज्यादा कैल्शियम नहीं लेते हैं। कैल्शियम का अभाव हड्डियों को कमजोर कर देता है। ऐसे पेशेंट जिनकी शुगर लंबे समय तक अनियंत्रित रहती है उनमें भी हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है। 

 

डॉ.रिमेश ने कहा कि स्टडी के पायलट फेज में 500 लोगों को शामिल किया गया है जबकि आगे के अध्ययन में 1000 लोगों को शामिल किया जाएगा ताकि इंडियन लोगों का एवरेज मसल मास इंडेक्स तय हो सके। अब तक देश में वेस्टर्न मानकों के आधार पर मसल मास इंडेक्स को आधार बनाया जाता रहा है परंतु अध्ययन के बाद नार्थ इंडिया के लोगों का एवरेज मसल मास इंडेक्स तय हो सकेगा। कमजोर व दुबले पतले लोगों का अलग से रिकार्ड बनेगा और मोटे लोगों का मसल मास इंडेक्स अलग रहेगा। 


 

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