Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 09:56 AM
प्राइमरी शिक्षा की बात करें तो उसमें दाखिले को लेकर चंडीगढ़ के आंकड़े बेशक सुधरे हुए हैं लेकिन आगे की शिक्षा में इन आंकड़ों का ग्राफ एकदम से नीचे आ गिरता है।
चंडीगढ़ (रोहिला): प्राइमरी शिक्षा की बात करें तो उसमें दाखिले को लेकर चंडीगढ़ के आंकड़े बेशक सुधरे हुए हैं लेकिन आगे की शिक्षा में इन आंकड़ों का ग्राफ एकदम से नीचे आ गिरता है। शिक्षा विभाग से आर.टी.आई. के जरिए मांगी गई रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि आठवीं के बाद बच्चे तेजी से स्कूल छोड़ रहे हैं। शिक्षा के अधिकार (आर.टी.ई.) के तहत सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों के लिए शिक्षा व मिड-डे मील का प्रबंध किया था। साथ ही शिक्षा के अधिकार का कानून इसलिए लागू किया था, ताकि आर्थिक तौर से कमजोर परिवार भी बच्चों को शिक्षा दे पाएं।
हालांकि इस योजना में सफलता भी मिली व जिसमे सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों के आंकड़ों में वृद्धि हुई लेकिन यह आंकड़े भी शिक्षा के अधिकार कानून की तरह ही आठवीं तक ही बढ़ते नजर आए। चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों के आंकड़ों के अनुसार पिछले 4 साल में आठवीं कक्षा के बाद 10,039 छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि स्कूल ड्रॉप करने वाले छात्रों में लड़कियों से ज्यादा लड़के हैं। 2015-16 में जहां स्कूल छोडऩे वाले लड़कों की संख्या 2118 रही वहीं, आठवीं के बाद स्कूल छोडऩे वाली लड़कियों की संख्या 1792 रही।
मजबूरी में छोड़ रहे स्कूल
सरकारी स्कूलों से ड्रॉप आऊट छात्रों की संख्या में वर्ष 2011 से 2014 तक काफी सुधार देखा गया था। स्कूल ड्रॉप करने वाले आंकड़ों में गिरावट आ रही थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में फिर से ड्रॉप आऊट छात्रों का डाटा बढऩा शुरू हो गया है। गवर्नमैंट टीचर्स यूनियन की प्रधान संतोष ढुल का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले वाली छात्र ऐसे हैं जो स्कूल के बाद बाजारों में काम करते आम देखे जाते हैं। इनमें से कोई मूंगफली की रेहड़ी तो कोई सब्जी की रेहड़ी लगाए खड़ा नजर आता है।