Edited By ,Updated: 13 Feb, 2016 02:42 AM
उत्तर भारत के अनएडिड और ए.आई.सी.टी.ई. से मान्यता प्राप्त कालेजों ने प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटीज में दाखिलों की सीमा निर्धारित करने की मांग उठाई है।
चंडीगढ़, (ब्यूरो/रश्मि): उत्तर भारत के अनएडिड और ए.आई.सी.टी.ई. से मान्यता प्राप्त कालेजों ने प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटीज में दाखिलों की सीमा निर्धारित करने की मांग उठाई है। कालेजों का शिष्टमंडल पंजाब अनएडिड कालेजिस एसोसिएशन (पुक्का) के नेतृत्व में ए.आई.सी.टी.ई. के चेयरमैन प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धि से मिलने पहुंचा था। प्रो. सहस्रबुद्धि को कालेजों की अन्य समस्याओं से जुड़ा एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
शिष्टमंडल में पुक्का के अध्यक्ष डा. अंशु कटारिया, हरियाणा की सैल्फ फाइनांस इंस्टीच्यूशन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. प्रदीप कुमार, राजस्थान इंजीनियरिंग सोसायटी के सचिव श्रीधर सिंह और दिल्ली से ललित शामिल थे।
डा. प्रदीप ने बताया कि राज्यों में ठोस नियम नहीं होने के चलते प्राइवेट यूनिवर्सिटी बिना रोक-टोक भारी संख्या में दाखिले कर लेती हैं। श्रीधर सिंह ने बताया कि कुछ राज्यों में सरकार रैगुलेटरी संस्था के गठन में देरी कर रही हैं, जिसके चलते छोटे अनएडिड कालेज बंद होने के कगार पर हैं जबकि हिमाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों में यूनिवर्सिटी में सीटें बढ़ाने या नए कोर्स शुरू करने के लिए रैगुलेटरी संस्था से मंजूरी लेनी पड़ती है।
हाल ही में जोधपुर नैशनल यूनिवर्सिटी की 38000 डिग्रियों में से 25003 फर्जी मिली थीं, जो दिखाता है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी बिना नियंत्रण के डिग्रियां बेच रही हैं। यह मनमर्जी रोकने के लिए ए.आई.सी.टी.ई. या राज्य सरकार की निगरानी जरूरी है। प्रो. सहस्रबुद्धि ने यह मुद्दा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया।