Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 09:09 AM
रेलवे की ओर से चंडीगढ़-अम्बाला के बीच बनाए गए डबल रेलवे ट्रैक पर वीरवार को शताब्दी एक्सप्रैस पहली बार 105 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ी।
चंडीगढ़ (लल्लन): रेलवे की ओर से चंडीगढ़-अम्बाला के बीच बनाए गए डबल रेलवे ट्रैक पर वीरवार को शताब्दी एक्सप्रैस पहली बार 105 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ी। दिल्ली हैड ऑफिस से आए रेलवे सेफ्टी कमीशन के डैलीगेशन ने बुधवार को ही नए ट्रैक पर ट्रेन चलाने की परमीशन दे दी थी।
इसके बाद अम्बाला मंडल की ओर से बुधवार देर रात पैसेंजर ट्रेन इस ट्रैक पर चलाई गई। इसी के साथ नए रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों का आवागमन शुरू हो गया। इसके बाद आज पहली बार कालका-शताब्दी एक्सप्रैस को 105 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से नए ट्रैक पर दौड़ाया गया। हालांकि अभी नए ट्रैक पर कुछ कार्य बचे हुए हैं, जिसका काम चल रहा है।
देर रात दौड़ी शताब्दी एक्सप्रैस
ट्रैक का कार्य 11 वर्षों से लटका था। चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से देर रात इस ट्रैक पर शताब्दी एक्सप्रैस को चलाया गया। शताब्दी चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से चलने वाली सबसे तेज रफ्तार की ट्रेन है। शताब्दी जैसी ट्रेन के बड़े आराम से इस ट्रैक पर चलने से साफ है कि इस ट्रैक पर ट्रेन आसानी से चल सकती है। इसके बाद वीरवार को सभी डाऊन ट्रेनों को अम्बाला से इसी नवनिर्मित ट्रैक पर चलाया गया।
पहले 90-95 थी स्पीड
चंडीगढ़-अम्बाला रेलवे ट्रैक पर पहले शताब्दी एक्सप्रैस की स्पीड 90 या फिर 95 कि.मी. प्रति घंटा होती थी। अम्बाला के आगे ही इसे इसकी निर्धारित स्पीड पर चलाया जाता था मगर बुधवार देर रात शताब्दी एक्सप्रैस को चंडीगढ़-अम्बाला के बीच 110 से 115 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया गया। अब अनुमान है कि चंडीगढ़ से जाने वाली अधिकतर ट्रेनें नए रेलवे ट्रैक पर ही चलेंगी।
चल रहा सिग्नलिंग का काम
नए रेलवे ट्रैक के बनने के साथ ही चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर नया सिग्नलिंग सिस्टम भी बनाया जा रहा है, जिसका कार्य अभी तक चल रहा है। 25 मार्च तक इसका कार्य खत्म हो जाएगा। रेलवे की ओर से देशभर में सिग्नल सिस्टम को बेहतर करने की कड़ी में ही यहां नया सिग्नल सिस्टम इंस्टॉल किया गया है।
कल मिली थी हरी झंडी
बुधवार को इंस्पैक्शन करने आई टीम को 11 घंटे से ज्यादा का समय चंडीगढ़-अंबाला रेलवे ट्रैक की जांच करने में लगा। इंस्पैक्शन का काम अम्बाला रेलवे स्टेशन से शुरू हुआ और फिर टीम दप्पर पहुंची, जहां ट्रैक की जांच करने के बाद टीम फिर घग्गर पहुंची।
टीम को सबसे ज्यादा समय घग्गर में लगा, जहां पुल का पूरा मुआयना किया गया कि यह ट्रैक ट्रेन की स्पीड के मुताबिक है या नहीं। फिर टीम ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर इंस्पैक्शन खत्म की और ट्रैक को हरी झंडी दे दी।