नगर निगम ने इस बार भी बजट में स्टडी टूर के लिए रखे 50 लाख रुपए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Feb, 2018 08:08 AM

study tour

नगर निगम के पार्षद वित्त वर्ष 2018-19 में फिर से स्टडी टूर पर जाने को तैयार हैं व इस बार इसके लिए बजट में 50 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

चंडीगढ़(राय) : नगर निगम के पार्षद वित्त वर्ष 2018-19 में फिर से स्टडी टूर पर जाने को तैयार हैं व इस बार इसके लिए बजट में 50 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे पूर्व कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सी. एंड ए.जी.) ने  वर्ष 2016-17 की अपनी रिपोर्ट में चंडीगढ़ नगर निगम के अध्ययन दौरों पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्टडी टूर में अनियमितताओं के चलते अब तक आम जनता के लाखों रुपए बर्बाद किए जा चुके हैं। जबकि टूर से कोई भी नया प्रोजैक्ट शहर को नहीं मिला है, जिससे कि शहरवासियों को कोई फायदा मिल सकें। 

 

उल्लेखनीय है कि 27 सितम्बर 2016 की हाऊस मीटिंग में अध्ययन दौरों की नियम व शर्तों के संबंध में स्पष्ट किया गया था कि टूर से लौटने के बाद 10 दिन में टीम को स्टडी किए गए प्रोजैक्ट्स के संबंध में एक रिपोर्ट देनी होगी। बावजूद इसके किसी भी टूर की रिपोर्ट 10 दिन में नहीं दी जा रही है। कई टूर की रिपोर्ट तो कई महीने बीत जाने के बाद भी नहीं सबमिट की जाती है। 

 

सैक्रेटरी लोकल गवर्नमैंट द्वारा भी 3 जनवरी 2017 को इस संबंध में गाइडलाइंस जारी की गई थी। इन निर्देशों के बाद पूर्व मेयर आशा जसवाल ने गत वर्ष 17 अप्रैल से 21 अप्रैल तक अलग-अलग दलों में अध्ययन दौरों पर अलग-अलग स्थानों पर गए पार्षदों की रिपोर्ट के लिए निगम सदन की विशेष बैठक भी बुलाई थी।  इनमें मेयर के नेतृत्व में मुम्बई, वरिष्ठ उपमहापौर राजेश गुप्ता के नेतृत्व में विशाखापट्टनम व पूर्व मेयर अरुण सूद के नेतृत्व में पुणे के दौरे पर पार्षद गए थे। 

 

पार्षद और अधिकारी परिवार के सदस्यों को भी साथ ले गए थे :
वर्ष 2014-15 में टूर पर पार्षद और अधिकारी अपने परिवार के सदस्यों को भी साथ में ले गए थे, जिसके बाद निगम हाऊस में भी इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। इस टूर पर गए परिवार के सदस्यों की ऑडिटर ने जानकारी मांगी थी, जिसे मुहैया न करवाने पर साथ ले गए परिवार के सदस्यों का खर्च संबंधित पार्षदों से वसूलने के निर्देश दिए गए थे व निगम ने 9 पार्षदों के इस मामले को लेकर वेतन में से पैसे भी काट लिए थे। 

 

1.53 करोड़ रुपए हो चुके हैं खर्च :
निगम की अपनी एक रिपोर्ट के अनुसार निगम गत एक दशक से पार्षदों व अधिकारियों के अध्ययन दौरों पर 1.53 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। यह जानकारी निगम की लेखा विभाग की रिपोर्ट में भी है। लेखा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004 के बाद से नगर निगम द्वारा वर्ष 2011 तक 20 अध्ययन दौरों का आयोजन किया जा चुका है। 

 

इस दौरान पार्षद विदेश का दौरा भी कर आए थे। 2011 में कोयम्बटूर के दौरा आज तक का सबसे महंगा दौरा रहा। इसके लिए सरकारी खजाने को रुपए 16,39,700 रुपए खर्च किए गए थे। वर्ष 2010 में निगम पार्षद व अधिकारी सिक्किम भी गए। उस 16,07,791 14 खर्च किए गए। इस दौरे पर 14 पार्षद व दो अधिकारी गए थे। 

 

अब तक के टूर पर खर्च का ब्यौरा :
वर्ष 2007 में सिंगापुर और बैंकॉक के लिए 15 पार्षद गए थे। मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार इस दौरे 15,10,560 रुपए व्यय किए गए थे। इस वर्ष निगम ने अध्ययन दौरों पर ही 58,07,023 रुपए खर्च कर डाले। विदेश के दौरे पर 15 पार्षद गए थे। 

 

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 में निगम पार्षदों के तीन अध्ययन दौरों पर 38,49,188 रुपए खर्च किए गए। 16,39,700 बैंगलूर और कोयम्बटूर के दौरे पर खर्च किए गए, 22,09,488 रुपए चेन्नई, पांडिचेरी, मदुरै और कोयम्बटूर के दौरे पर खर्च किए गए। 

 

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 में 7,51,108 रुपए जामनगर, सोमनाथ, जूनागढ़, गिर, भावानगर, द्वारका व दियू के दौरे पर खर्च हुए। वर्ष 2012 में निगम ने अध्ययन दौरों का आयोजन नहीं किया। इसके बाद वर्ष 2014 में चेन्नई, कोलकत्ता व पोर्टब्लेयर के दौरे पर लगभग 25 लाख रुपए खर्च हुए। 

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