Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 10:48 AM
एथलीट्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को स्पोर्ट्स पॉलिसी में बदलाव करना चाहिए। सरकार द्वारा जो भी पॉलिसी बनाई जाती हैं उसा लाभ खिलाडिय़ों को नहीं मिल पाता।
चंडीगढ़(लल्लन) : एथलीट्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को स्पोर्ट्स पॉलिसी में बदलाव करना चाहिए। सरकार द्वारा जो भी पॉलिसी बनाई जाती हैं उसा लाभ खिलाडिय़ों को नहीं मिल पाता। ऐसे में खिलाडिय़ों के लिए सबसे पहले सरकार को स्पोट्र्स पॉलिसी में बदलाव करना होगा। यह कहना है मैराथन एशियन गोल्ड मैडलिस्ट सुनीता गोदारा का। वह पंजाब मैराथन के दौरान खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए चंडीगढ़ क्लब।
सुनीता के मुताबिक देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। खिलाडिय़ों और सरकार के बीच बिचौलियों को खत्म कर सीधे तौर पर बेहतरीन खिलाडिय़ों को राशि मिलने चाहिए। इस बार केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से काफी खिलाडिय़ों को उम्मीदें हैं। साथ ही गोदरा ने कहा कि कई बार तो फैडरेशन की तरफ से से विजेता खिलाडिय़ों की विनर राशि भी कम कर दी जाती है। जब तक खिलाडिय़ों की जरूरते पूरी सरकार नहीं करेगी तब तक आप बेहतर रिजल्ट की कामना नही कर सकते। उन्होंने कहा कि किसी भी खेल के स्तर को बढ़ाने के लिए प्रो-लीग शुरू करना जरूरी है।
जमीनी स्तर पर खेल को प्रोत्साहित करने की जरूरत :
बकौल सुनीता जब तक आप किसी भी खेल को जमीनी स्तर पर नहीं निखारोगे तब तक उस खेल का स्तर बढ़ नहीं पाएगा। स्कूलो में प्रतिभा की कोई कमी नहीं, लेकिन उसे बेहतर बनाने की जरूरत है। जब तक हम ग्रास रूट को नहीं सुधारेंगे तब तक ओलिम्पिक और अन्य चैपियनशिप में पदक की उम्मीद नहीं की जा सकती। सुनीता ने कहा कि सरकारी स्कूलों में सरकार ने खेल को प्रोत्साहित कनरे के लिए जीरो पीरियड शुरू करने का आदेश दिया है पर अभी तक इस पर अमल नहीं हो पाया है।
लीग शुरू होने से कबड्डी हुई लोकप्रिय :
सुनीता गोदरा ने कहा कि किसी भी खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रो-लीग का होना जरूरी है। प्रो-कबड्डी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होने कहा की एक समय ऐसा था कि जब कबड्डी का खेल लुप्त होता दिख रहा था पर इस लीग के शुरू होने से कबड्डी का खेल काफी लोकप्रिय हुआ है। वहीं खिलाड़ी भी आॢथक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
देश की प्रतिभा को निखारने की जरूरत :
सुनीत के मुताबिक हमारे देश में टैलेंट की कमी नही हैं। देश के करीब 10 लाख लोगों में प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है लेकिन इनमें से काफी लोग सुविधा से वंचित रह जाते हैं। मुकाबलों के लिए सिर्फ 10 हजार की ही चयन हो पाता है और इनमें से महज 1 हजार खिलाड़ी ही मैडल जीत पाते हैं। ऐसे में सरकार को अपनी नीति में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर विदेशों की बात करें तो वहा यूनिवर्सिटी का एथलीट भी वर्ल्ड चैम्पियन होता है। ऐसे में हमें स्कूल, कालेज, नैशनल आदि सभी स्तर की प्रतियोगिताओं को लेकर मंथन करना चाहिए।
नन्हें खिलाडिय़ों का होगा फायदा :
सुनीता ने कहा कि सरकार ने एक योजना बनाई हैं जो खेलो इंडिया के नाम से हैं। इसके जरिए ग्रास रूट पर बेहतर खिलाड़ी उभरकर सामने आने की संभावना हैं। उन्होने कहा कि सरकार इस मुकाबले को लेकर काफी गंभीर हैं और इसका आयोजन जल्द दिल्ली में होने वाला है।