औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों का निगम करेगा सर्वे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Oct, 2017 11:00 AM

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नगर निगम का फायर एंड एमरजंैसी विभाग ने गत दिवस औद्योगिक क्षेत्र में आगजनी की घटना के बाद अब शहर के दोनों औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित हजारों उद्योगों का सर्वे करवाने का फैसला लिया है।

चंडीगढ़(राय) : नगर निगम का फायर एंड एमरजंैसी विभाग ने गत दिवस औद्योगिक क्षेत्र में आगजनी की घटना के बाद अब शहर के दोनों औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित हजारों उद्योगों का सर्वे करवाने का फैसला लिया है। 

 

फायर विभाग द्वारा शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में बने बड़े-बड़े शापिंग मॉल व वाहनों के शोरुमों की तो चैकिंग की जाती है पर विभाग के रिकार्ड के अनुसार यहां स्थापित अन्य उद्योगों में हो रहे भवन उपनियमों व फायर सेफ्टी के वायलेशन की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। 

 

औद्योगिक क्षेत्र स्थित फायर आफिस में तैनात स्टेशन फायर ऑफिसर बलजिंदर सिंह का भी कहना था कि उन्होंने बड़े उद्योगों की तो नियमित तौर पर चैकिंग की है पर छोटे व मध्यम उद्योगों की चैकिंग करनी बाकी है। बलजिंदर सिंह के मुताबिक वह कुछ माह पहले ही यहां आए हैं। 

 

फायर सेफ्टी एक्ट का नहीं ध्यान :
औद्योगिक क्षेत्र स्थित फायर विभाग के कार्यालय से कुछ ही मीटर दूरी पर स्थापित धूप की फैक्टरी में भीषण आग लगी व फायर विभाग को इलम तक नहीं था कि उसमें फायर सेफ्टी एक्ट की पूर्ण रूप से उल्लंघना की गई थी। फैक्टरी में फायर एक्ट के अनुसार प्रवेश के लिए व बाहर निकलने के लिए अलग-अलग द्वार ही नहीं थे। 

 

अत: जे.सी.बी. से आगे की दीवार तोड़ कर सामान निकालना पड़ा। इस पर भी स्टेशन फायर आफिसर का कहना था कि यह तो भवन उपनियमों का मामला है। अगर बेसमैंट होता तो फायर एक्ट का मामला बनता था। कमोबेश पूरे औद्योगिक क्षेत्र में यही आलम है व फायर विभाग बेखबर है। फायर विभाग के ही कर्मियों का कहना है कि पूरा औद्योगिक क्षेत्र आग के ढेर पर है। 

 

1000 भवनों को फायर सेफ्टी एक्ट के उल्लंघन का नोटिस :
फायर विभाग के एक वरिष्ट अधिकारी का कहना था कि इन दिनों शहर के सार्वजनिक भवनों, विशेषकर शैक्षणिक भवनों, का सर्वे कर रहा है। इन भवनों में लगे फायर सेफ्टी उपकरणों व फायर सैफ्टी एक्ट के उल्लंघन की जांच की जा रही है। इससे पूर्व विभाग द्वारा शहर लगभग 1000 ऐसे सार्वजनिक, निजी व सरकारी भवन हैं जिन्हें फायर सैफ्टी एक्ट के उल्लंघन के नोटिस दिए गए हैं। 

 

इस सूची में शहर के प्रसिद्ध होटल, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान आदि शामिल हैं। विभाग के सूत्रों का कहना था कि उनके रिकार्ड में शहर के अधिकतर होटलों व रेस्टोरेंटस में आग से सुरक्षा के उपयुक्त प्रबंध नहीं किए हैं। चंडीगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र में बने कई होटलों ने अपने गार्डनों का इस कदर विस्तार कर लिया है कि वहां फायर टैंडरों की मूवमैंट ही नहीं हो सकती। आई.टी. पार्क में भी बने विशाल भवनों में फायर एक्ट के उल्लंघन के अनेक मामले विभाग की नजर में हैं। 

 

डिजाइन अप्रूव में फायर विभाग की हो अहम भूमिका :
फायर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि चंडीगढ़ प्रशासन जब बिल्डिंग प्लान व रिवाईज्ड प्लान की मंजूरी देता है तो उसमें फायर एंड एमरजैंसी विभाग की मंजूरी को अनिवार्य नहीं माना जाता। 

 

उनका कहना था कि जबकि बिल्डिंगों को डिजाईन अप्रूव करने में फायर विभाग की अहम भूमिका होनी चाहिए ताकि भवन निर्माण से पहले लोगों को बताया जा सके कि फायर सेफ्टी एक्ट के तहत उन्हें क्या करना है। इसके बाद आक्यूपेशन सर्टिफिकेट देने से पहले भी फायर विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र अनिवार्य होना चाहिए। उनका कहना था कि यह व्यवस्था व्यवसायिक, आवासीय तथा औधोगिक भवनों पर लागू होनी चाहिए। 

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