मीठा जहर : पंचकूला-मोहाली में मैन्यूफैक्चरिंग, चंडीगढ़ में सप्लाई

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 10:43 AM

sweets in diwali season

दीवाली पर खाई मिठाई आपकी सेहत खराब कर सकती है। बेशक खाते समय आपको मिठाई की मिठास का अहसास हो सकता है, लेकिन खाने के बाद संभव है कि आपके पेट का मिजाज पूरी तरह गड़बड़ा जाए। कम से कम पंचकूला-मोहाली की फैक्टरियों में बन रही मिठाईयों का असल सच तो यही है।

चंडीगढ़(ब्यूरो) : दीवाली पर खाई मिठाई आपकी सेहत खराब कर सकती है। बेशक खाते समय आपको मिठाई की मिठास का अहसास हो सकता है, लेकिन खाने के बाद संभव है कि आपके पेट का मिजाज पूरी तरह गड़बड़ा जाए। कम से कम पंचकूला-मोहाली की फैक्टरियों में बन रही मिठाईयों का असल सच तो यही है। 

 

इन फैक्टरियों में स्वास्थ्य से जुड़े सभी नियम-कायदों को ताक पर रखकर बड़े पैमाने पर मिठाईयां बनाई जा रही हैं। यही मिठाई चंडीगढ़ सहित पंजाब, हरियाणा व हिमाचल तक सप्लाई हो रही हैं। कुछ समय पहले तक मिठाईयों का बड़ा कारोबार चंडीगढ़ में हो रहा था लेकिन प्रशासनिक सख्ती के कारण काफी कारोबार अब पंचकूला व मोहाली में पलायन कर गया है। 

 

खासतौर पर मोहाली के जीरकपुर क्षेत्र सहित इंडस्ट्रीयल एरिया में मिठाईयों का कारोबार जोर-शोर से फल-फूल रहा है। चूंकि अब दीवाली नजदीक है तो इन फैक्टरियों में 24 घंटे मजदूर मिठाई बनाने में व्यस्त हैं। मिठाई बनाने की होड़ के चलते ही इन फैक्टरियों में स्वास्थ्य नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। अमूमन फैक्टरियों में साफ-सफाई का पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। उस पर मिठाई बनाने वाले कारीगर भी साफ-सफाई के नियमों से पूरी तरह अनजान बनकर काम कर रहे हैं। इससे पहले चंडीगढ़ में एक टीम गठित हुई थी कि जो नाके लगाती थी पर अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। 

 

पतीसा, लड्डू का बड़ा कारोबार :
इन फैक्टरियों में बड़े पैमाने पर पतीसा, लड्डू, डोडा बर्फी, मिल्क केक, कलाकंद, सोन पापड़ी, बर्फी जैसी मिठाईयां तैयार की जा रही हैं। फैक्टरी में काम करने वाले कारीगरों की मानें तो दीवाली में मिठाईयों की डिमांड इतनी होती है कि किसी भी सामान्य हलवाई के लिए डिमांड के मुताबिक मिठाई तैयार कर पाना संभव नहीं है। 

 

इसलिए आमतौर पर हलवाई इन फैक्टरियों को ऑर्डर दे देते हैं और मिठाई की सप्लाई मिलने के बाद अपनी दुकान के नाम से उसे बाजार में बेचते हैं। हलवाईयों के ऑर्डर की वजह से ही फैक्टरियों में ज्यादा से ज्यादा मिठाई बनाने की होड़ रहती है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी नियमों का टूटना सामान्य बात है, क्योंकि अगर स्वास्थ्य के सभी नियमों का पालन करेंगे तो हलवाईयों को समय पर मिठाई सप्लाई ही नहीं हो पाएगी।

 

महज दिखावे की जांच-पड़ताल :
स्वास्थ्य विभाग या जिन अधिकारियों पर इन मिठाई निमार्ताओं की जांच-पड़ताल का अहम जिम्मा है, वह महज खाना-पूर्ति करने पर उतारू हैं। मोहाली इंडस्ट्रीयल एरिया की बात करें तो सैक्टर-82 में गोयल स्वीट्स पर एस.डी.एम. के स्तर पर छापेमारी की गई। सैंपल तक भरे गए लेकिन न तो दूषित मिठाईयां जब्त की गई और न ही उन्हें डिस्ट्रॉय किया गया। 

 

जांच टीम के जाते ही एक बार फिर फैक्टरी में जोर-शोर से काम जारी हो गया, जबकि कायदे से नियमानुसार अगर दूषित मिठाईयां मिलती हैं तो उन्हें जब्त करने के साथ-साथ मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को सील करने का प्रावधान है। गोयल स्वीट्स का दौरा करने पर पाया गया कि यहां पर लड्डू बनाने वाले कारीगर तक सिर पर टोपी के बिना ही गर्मी में काम कर रहे थे। जाहिर है कि पसीने से तर-बत्तर यह मिठाई बनाने वाले कितनी शुद्ध मिठाई बनाएंगे, देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है। 

 

वहीं, बात जांच अधिकारियों की करें तो सैंपल की जांच रिपोर्ट आने में कई दिन लग जाते हैं, तब तक दीवाली का त्यौहार चला जाएगा और मिठाईयों की सप्लाई मार्कीट में पहुंच जाएगी। साफ है कि जब तक जांच रिपोर्ट आएगी, तब तक बिना साफ-सफाई व नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई मिठाईयां खाने वाले के पेट में होंगी व उसके दुष्प्रभाव भी खाने वाले पर पड़ चुके होंगे।

 

डोडा बर्फी का गोदाम :
जीरकपुर के पभात गांव में बड़े पैमाने पर डोडा बर्फी का कारोबार भी नियम-कायदों को पूरी तरह ताक पर रखकर किया जा रहा है। यहां चल रही फैक्टरी में जो डोडा बर्फी तैयार की जा रही है, उसे ढंकना तक जरूरी नहीं समझा जा रहा। यूनिट में काम कर रहे कारीगरों की मानें तो उनका मुख्य काम तो केवल मिठाई तैयार करना है। अगर फैक्टरी मालिक उन्हें पूरे संसाधन उपलब्ध नहीं करवाता है तो वह जैसे-तैसे तरीके से मिठाई तैयार कर उपलब्ध करवा देंगे।
 

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