बेहतर लाइफ स्टाइल से 6 माह में ठीक हुई सिंड्रोम से ग्रस्त महिलाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 01:41 PM

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बेहतर लाइफ स्टाइल से महिलाओं में बढ़ रही पी.सी.ओस को कम किया जा सकता है। अब तक यही माना जाता था कि जिन महिलाओं को यह समस्या होती है उन्हें सिर्फ दवाईयों से ठीक किया जा सकता है लेकिन पी.जी.आई. कम्यूनिटी मैडीसन की डाक्टर ईश्वर प्रीत की रिसर्च में...

चंडीगढ़(पाल) : बेहतर लाइफ स्टाइल से महिलाओं में बढ़ रही पी.सी.ओस को कम किया जा सकता है। अब तक यही माना जाता था कि जिन महिलाओं को यह समस्या होती है उन्हें सिर्फ दवाईयों से ठीक किया जा सकता है लेकिन पी.जी.आई. कम्यूनिटी मैडीसन की डाक्टर ईश्वर प्रीत की रिसर्च में सामने आया है कि लाइफ स्टाइल न सिर्फ इस समस्या को कम करता है बल्कि महिलाओं में पी.सी.ओस. की वजह से होने वाली इंफर्टलिटी को भी घटाता है। 

 

रिसर्च में शामिल 40 पी.सी.ओस. सिंड्रोम से ग्रस्त महिलाओं की अनहैल्दी लाइफ स्टाइल को 6 माह में हैल्दी लाइफ स्टाइल में बदला गया। इसके बाद पाया कि 40 में से 26 महिलाओं की पीरियड्स संबधी समस्याएं तो दूर हुई है साथ ही मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का वजन कम हुआ। वहीं सालों से इंर्फटीलिटी की समस्या से परेशान कुछ महिलाओं ने नेचरूली कंसीव भी किया है। रिसर्च डाक्टर ईश्वर प्रीत की मानें तो यह रिजल्ट सिर्फ 6 माह में सामने आ पाए हैं। 

 

अगर पी.सी.ओस. की समस्या से परेशान मरीज लंबे समय तक या हमेशा के लिए अपनी लाइफ को हैल्दी रखें तो न सिर्फ उनकी यह बीमारी दूर होगी। बल्कि इससे होने वाली दूसरी बीमारियों से भी बचा जा सकता है। पी.जी.आई. में पी.सी.ओस की समस्या को लेकर आने वाली महिलाओं को इस रिसर्च में शामिल किया था जिन्हें 6 महीने तक अच्छी डाइट व शारीरिक व्यायाम बताया गया है। इसके बाद पाया गया कि 6 माह के भीतर इन महिलाओं में काफी इंम्प्रूवमैंट हुआ है।  

 

क्या है पी.सी.ओस. :
पी.सी.ओस. सिंड्रोम में महिला के शरीर में मेल हारमोन्स बढऩे लगते हैं। इससे शरीर में बाल, दाढ़ी मूंछे उगने लगती है। साथ ही आवाज भारी होने लगती है। बीमारी में पीरियड्स कम होना या न होना, कंसीव न कर पाना, प्रैगनेंसी में शुगर होना या ब्लड प्रैशर, प्रिमैच्यौर डिलीवरी व बार-बार गर्भपात होना जैसी समसयाओं का समाना करना पड़ता है। डाक्टर्स की मानें तो 15 वर्ष की उम्र से लेकर बड़ी उम्र की महिलाओं को यह समस्या हो सकती है। 

 

दवाईयों का साइड इफैक्ट्स :
अब तक पी.सी.ओस. के मरीजों को डाक्टर्स दवाईयां प्रिसक्राइब करते थे, लेकिन जब तक मरीज दवाईयों का सेवन करता था तब तक वह ठीक रहता था। दवाई बंद करने के साथ ही परेशानी फिर बढ़ जाती थी। 

 

वहीं पी.जी.आई. इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की डाक्टर रमा वालिया की मानें तो पी.सी.ओस में दी जाने वाली दवाईयां लाभ तो देती हैं लेकिन इनके कई साइड इफैक्ट्स भी सामने आते हैं। बेहतर लाइफ स्टाइल से बिना दवाईयों के इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। 

 

ज्यादातर महिलाए पीरियड्स में होने वाली अनियमितताओं को अनदेखा कर देती हैं लेकिन यह अनदेखी महिलाएं में पी.सी.ओस सिन्ड्रोम की प्रॉब्लम को बढ़ा देता है। अभी तक ज्यादा उम्र की महिलाओं में यह समस्या पाई जाती थी लेकिन पी.जी.आई. में इन दिनों किशोरवास्थ्य लड़कियां भी इस प्रॉब्लम को लेकर आ रही है। 

 

मैडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया की भागीदारी :
मैडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सहयोग से पी.सी.ओस. सिंड्रोम को लेकर सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें पी.जी.आई. समेत कई दिल्ली से कई डाक्टर्स ने हिस्सा लिया। इस मौके पर पी.जी.आई. स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ के डाक्टर अमरजीत सिंह, गॉयनी विभाग की हैड डा. वनीता सुरी, मोलाना आजाद मैडीकल कॉलेज से डा. सुनीता गर्ग के साथ डाक्टर्स मौजूद रहे।

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