अफसर डकार गए लाखों की सबसिडी

Edited By ,Updated: 28 Sep, 2016 11:27 AM

the official belching millions subsidies

पंजाब के किसानों को सबसिडी पर बीज मुहैया करवाने वाली पंजाब स्टेट बीज निगम लिमिटिड (पनसीड) में बीज बेच किसानों की लाखों की सबसिडी डकारने तथा कार्पोरेशन में सीनियर रैंक पर अफसर भर्ती कर नियमों की अनदेखी का पर्दाफाश हुआ है।

मोहाली (नियामियां) : पंजाब के किसानों को सबसिडी पर बीज मुहैया करवाने वाली पंजाब स्टेट बीज निगम लिमिटिड (पनसीड) में बीज बेच किसानों की लाखों की सबसिडी डकारने तथा कार्पोरेशन में सीनियर रैंक पर अफसर भर्ती कर नियमों की अनदेखी का पर्दाफाश हुआ है। मंगलवार को जिला प्रैस क्लब में पंजाब अगेंस्ट करप्शन संस्था के अधिकारी सतनाम सिंह दाऊं, रिटायर्ड अधिकारी जे.एस. राय, एडवोकेट तेजिंदर सिद्धू, एडवोकेट गमदूर सिंह तथा एडवोकेट विक्रमजीत सिंह ने प्रैस कांफ्रैंस कर इस घोटाले का पर्दाफाश किया। उन्होंने कहा कि अगर पनसीड निगम में बीज बेचने तथा सबसिडी देने के मामलों की सी.बी.आई. या अन्य किसी एजैंसी से जांच करवाई जाए तो बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं। निगम में बीते समय में सरकार के मंत्रियों की मिलीभगत से गलत तरीके से उच्चाधिकारी भर्ती किए गए। 

वी.आर. एस. स्कीम लागू न होने पर निगम ने 18 कर्मियों को कर दिया रिटायर
यहां तक कि एक बीज का व्यापार करने वाला व्यक्ति प्रोडक्शन अफसर भर्ती कर लिया गया जबकि नियमानुसार बीज का व्यापार करने वाले किसी भी व्यक्ति को निगम में बतौर अधिकारी भर्ती नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में निगम के मैनेजिंग डायरैक्टर तथा अन्य उच्चाधिकारियों ने निगम में 18 कर्मियों को जबरदस्ती रिटायर कर दिया जबकि तब वी.आर.एस. स्कीम लागू नहीं थी। 

सरकार द्वारा उन कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने के लिए भले ही कोई मंज़ूरी नहीं दी परंतु इसके बावजूद अधिकारियों ने उन कर्मचारियों को निगम के फंड में से 3 करोड़ 27 लाख का भुगतान कर जबरन रिटायर कर दिया। सात वर्ष बाद वर्ष 2008 में उन्हीं 18 कर्मचारियों को नए पे-स्केलों पर निगम में फिर रख लिया। इसके अलावा निगम के पटियाला, लुधियाना और अबोहर में बीज की खोज करने वाले तीन क्षेत्रीय कार्यालय भी बंद कर दिए गए। यह कार्यालय बंद करने से बीज की प्रोडक्शन कम हो गई और किसानों का काफी नुक्सान हुआ। 

किसानों को नहीं मिला 76 लाख 44 हजार 200 रुपए सबसिडी का लाभ 
उन्होंने बताया कि वर्ष 2009-10 में मानसा सेल सैंटर में महिला सेल्समैन अधिकारियों की मिलीभगत से किए हजारों क्विंटल बीज घोटाले में फंस गई थी। यह भी बताने योग्य है कि बेचे गए बीज की राशि सेल सैंटर द्वारा दूसरे दिन ही निगम के पास जमा करवानी होती है पर राशि 25 मार्च 2010 को जमा करवाई गई। मानसा के किसानों की शिकायत पर महिला के खिलाफ मानसा पुलिस थाने में एफ.आई.आर. दर्ज तो हो गई लेकिन उस घोटाले में बड़े अधिकारी खुद को बचाकर रखने में सफल हो गए। 

निगम के चंडीगढ़ बैठे अधिकारियों द्वारा मानसा पुलिस को कोई सहयोग न देने के कारण केस कमजोर हो गया और बाद में वही महिला केस में से बरी हो गई जबकि मानसा पुलिस ने लिखित तौर पर निगम के पास से सहयोग भी मांगा था। उन्होंने बताया कि 9 मार्च 2010 को उस समय निगम के मैनेजिंग डायरैक्टर द्वारा मानसा सेल सेंटर का बिल वैरीफाई किए बगैर ही 76 लाख 44 हजार 200 रुपए की सबसिडी निकलवा ली गई। मतलब ये कि यह 76 लाख 44 हजार 200 रुपए सबसिडी का लाभ किसानों को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पनसीड निगम में बेचे जा रहे बीज की उच्च स्तरीय जांच करवा कर पंजाब सरकार किसान हितैषी होने का सबूत दे।

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