PGI के कई विभागों में गैरकानूनी तरीके से चल रहा काम, लिफ्ट ऑपरेटर भी कर रहे फाइल वर्क

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 09:56 AM

unlawful work in many departments of pgi

टैक्निशयन का काम मशीनों व इलैक्ट्रिकल उपकरणों की देख रेख करना है लेकिन पी.जी.आई. सुपरिंटैंडिंग हॉस्पिटल इंजिनियरिंग विभाग में टैक्निशियंस से क्लर्क का काम लिया जा रहा है।

चंडीगढ़ (रवि) टैक्निशयन का काम मशीनों व इलैक्ट्रिकल उपकरणों की देख रेख करना है लेकिन पी.जी.आई. सुपरिंटैंडिंग हॉस्पिटल इंजिनियरिंग विभाग में टैक्निशियंस से क्लर्क का काम लिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो पिछले तीन वर्षो से पी.जी.आई. के कई विभागों में गैरकानूनी तरीके से कई कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है जिन कर्मियों को  टैक्निशयंस का काम दिया जाना चाहिए, उन कर्मियों से एक क्लर्क का काम लिया जा रहा है। 

 

इसके साथ ही विभाग में एच.ई. (हॉस्पिटल इंजिनियरिंग) की एक पोस्ट सैक्शन है जिसका काम सिविल वर्क देखना है। वहीं जे.ई. (यूनियर इंजिनियरिंग) की भी एक पोस्ट सैंक्शन है। इसके बावजूद इस पद पर बॉयोमैडीकल विभाग से 2 व्यक्ति व सिविल से 1 व्यक्ति को जे.ई. की पोस्ट पर नियुक्त कर रखा है जिसके पास कॉर्डियक का एडिशनल चार्ज दिया गया है। जबिक नियमों के मुताबिक विभाग में सिर्फ एक ही अधिकारी जे.ई. की  पोस्ट पर कार्यरत होना चाहिए। ए.ई.(अस्सिटंट इंजीनियरिंग) का भी एक पद है जिसका काम अस्पताल में इलैक्ट्रिकल के काम की देखरेख करना है। 


 

टैक्निशियंस से करवा रहे कई विभागों में क्लर्क का काम
पी.जी.आई. स्टाफ की मानें तो जिन टैक्निशियंस को फील्ड में होना चाहिए उनमें से पिछले तीन वर्षो से क्लर्क का काम लिया जा रहा है। इस्टैब्लिशमैंट विभाग में एक रैगुलर पोस्ट सैक्शन है लेकिन यहां भी रैगुलर कोई कर्मी नहीं है। उनकी जगह लिफ्ट ऑपरेर्टस व टैक्निशियंस से क्लैरिकल वर्क लिया जा रहा है। इस्टैब्लिशमैंट विभाग का काम अस्पताल में इलैक्टिकल इंजियनिंरग विभाग में मैनपावर व कर्मियों की प्रोमोशन देखना है। जो काम एक क्र्लक को देखना चाहिए वो काम टैक्निशयंस से लिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इलैक्ट्रिकल डिवीजन में तीन लोग लगाए हैं, जिसमें लिफ्ट ऑपरेर्टस व इलैक्ट्रिशन शामिल है। 

 

इस विभाग के कर्मियों का काम अस्पताल में इलैक्ट्रिकल सप्लाई देखना व जिस इलैक्ट्रिकल दिक्कतों को दूर करने का है अकेले नेहरु अस्पताल में रोजाना 25 से 30 इलैक्ट्रिकल कंप्लेंट आती है इसके बावजूद इन कर्मियों से क्लर्क का काम करवाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इलैक्ट्रिकल डिवीजन की तरह ही सब डिवीजन में भी टैक्निशयंस को नियुक्त किया है, जिनका असल में काम एस.डी.ओ. लैवल का है जो कर्मियों के रिकार्ड को मैनटेन करने कसाथ ही इलैक्ट्रिकल उपकरणों की भी देखरेख करते हैं। इंजियनिरिंग विभाग के मानें तो सिविल विभाग में भी 4 से 5 सैक्शन पोस्ट पर प्लम्बर्स व मशीन ऑपरेर्टस व टैक्निशियंस से काम लिया जा रहा है। वहीं बॉयोमैडीकल विभाग में भी टैक्निशियंस से फाइलों का काम करवा जा रहा है इस विभाग में 7 कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। 

 

एयर कंशीनर डिपार्टमैंट के कर्मी भी कर रहे फाइल वर्क
अकेले नेहरु अस्पताल में 400 से 500 के करीब एयर कंडीशनर लगे हुए हैं। इसमें 350 पुराने हैं। ऐसे में इन ए.सी. में या ए.सी. प्लांट में अक्सर कोई न कोई खामी आती रहती है लेकिन जिस स्टाफ को एयर कंडीशर्नस ठीक करने चाहिए उन कर्मियों से भी फाइल वर्क करवाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इस विभाग में 7 से 8 कर्मी इस वक्त काम कर रहे हैं।     


 

इलैक्ट्रिकल इंजिनियरिंग विभाग पर बोझ
इलैक्ट्रिकल इंजिनियरिंग विभाग में इतनी बड़ी संख्या में पोस्ट खाली है जिन पर टैक्निशियंस से काम लिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो विभाग कई बार प्रशासन से इन पोस्टों पर सही कर्मचारी नियुक्त करने के लिए कह चुका है ताकि मौजूद टैक्निशियंस पर बढ़ रहे काम के बोझ को कम किया जा सके। इसके बावजूद इन पोस्ट पर टैक्निशियंस से ही काम लिया जा रहा है जिसकी वजह से मौजूदा कर्मियों पर काम का बोझ तो बढ़ता ही है साथ ही काम की क्वालिटी भी इससे प्रभावित होती है अकेले नेहरू अस्पताल में हर महीने 2 या 3 आग के हादसे होते है ऐसे में टैक्निशियंस को क्वालिटी से समझौता करना पड़ रहा है। वही कर्मियों को छुट्टी लेने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।     

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