विश्व धरोहर के प्राचीन अवशेषों की हो रही बेकद्री

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 12:09 PM

world heritage

पिंजौर अपनी समृद्व एतिहासिक परम्परा एंव विश्व प्रसिद्व मुगल उद्यान के कारण सदैव इतिहासविद् एंव पर्यटन के आर्कषण का केन्द्र रहा है।

पिंजौर(तरसेम) : पिंजौर अपनी समृद्व एतिहासिक परम्परा एंव विश्व प्रसिद्व मुगल उद्यान के कारण सदैव इतिहासविद् एंव पर्यटन के आर्कषण का केन्द्र रहा है। प्राचीन नगर पिंजौर आदि मानव का उद्गम स्थल था परन्तु इस स्थल को अधिक महत्व पांडवों द्वारा अज्ञातवास का अंतिम वर्ष गुजारने के कारण ही दिया गया, इसलिए संभवत पांच पांडवों से इस स्थान को जोडऩे के कारण प्राचीन शिलालेखों में भी इस स्थान का नाम पंचपुर ही मिलता है जो आज पिंजौर के नाम से जाना जाता है। 

 

वर्ष 1974 में भीमा देवी वाले स्थान की खोज के पश्चात पुरातत्व विभाग ने इसे राज्य सुरक्षा में लेकर वैज्ञानिक सफाई का कार्य करवाना शुरू किया। इसके परिणाम स्वरूप इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले। इसके अलावा 9वीं से 11वीं शताब्दी के पंचायतन शैली के मंदिर के चबूतरों के रूप में भी अवशेष मिले हैं, जिन्हें खुदाई से निकालकर विभाग ने वही पर रख दिया। 

 

कई वर्षों बाद हरियाणा सरकार ने उसी स्थान का सौंद्रयीकरण करके करीब 82 लाख रुपए की लागत से वहीं पर म्यूजियम बनाया गया, जिसमें विभाग ने अवशेषों को बहुमूल्य धरोहर मानते हुए उनमें सजा दिया गया। बाकी अवशेष काम्पलैक्स के अन्दर ही सजाए गए। 

 

विभाग ने उन अवशेषों का तो कम्पलैक्स में सुरक्षित रख कर विभाग का कार्य पूरा कर लिया परन्तु विभाग की आज तक उन अवशेषो पर नजर ही नहीं गई जो पिंजौर की गली-कुच्चों में रूल रहे हैं। लोगों द्वारा इनको गन्दी नालियों पर रखकर आम पत्थर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें बहुत से ऐसे अवशेष हैं जो कि भीमा देवी काम्पलैक्स में पड़े अवशेषों के ही हिस्से हैं। 

 

लोग नालियों पर रखकर आम पत्थर की तरह कर रहे इस्तेमाल :
विभाग ने उन अवशेषों का तो कम्पलैक्स में सुरक्षित रख कर विभाग का कार्य पूरा कर लिया परन्तु विभाग की आज तक उन अवशेषों पर नजर ही नहीं गई जो पिंजौर की गली-कुच्चें में रूल रहे हैं। लोगों द्वारा इनको गन्दी नालियों पर रखकर आम पत्थर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।  

 

नहीं समेटा तो मिट्टी में मिल जाएगा इतिहास :
इसके अलावा कई प्राचीन मूर्तिया लोगों के घरों और प्रागंण में लगी है। एक तरफ विभाग लाखों रुपए खर्च कर इन्हें सुरक्षित रख अपना काम पूरा कर रहा है परन्तु दूसरी ओर गलियों में रूल रही इस प्राचीन धरोहर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। 

 

गौरतलब है कि करीब 6 वर्ष हो गए युनैस्को की टीम ने यादविन्द्रा गार्डन और भीमा देवी मंदिर का सर्वे करके इसे विश्व धरोहर में शामिल किया गया था। अगर जल्द ही विभाग ने गलियों में रूल रही इस प्राचीन और विश्व धरोहर अंशों को नही समेटा तो वे कहीं मिट्टी में ही न मिल जाए। 

 

गौरतलब है कि गत पांच वर्ष पहले भीमा देवी म्यूजियम का उद्घाटन मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा ने किया था। उस समय भी पुरातत्व विभाग को गलियों में रूल रहे इन अवशेषों के बारे में पूछा गया था। उस समय उन्होंने इस पर जल्द कार्रवाई करने के लिए कहा था परन्तु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!