ब्लड डोनेट करने आये युवक के उड़े होश, निकला HIV के पेशैंट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 08:30 AM

young man arriving from blood donation  hiv patient

चंडीगढ़ मे ब्लड डोनेशन का ग्राफ बढ़ रहा है। ब्लड डोनेशन के बूते ही ऐसी बीमारी भी सामने आ सकी है जिसके बारे में डोनर्स को पता ही नहीं था।

चंडीगढ़ (अर्चना) : चंडीगढ़ मे ब्लड डोनेशन का ग्राफ बढ़ रहा है। ब्लड डोनेशन के बूते ही ऐसी बीमारी भी सामने आ सकी है जिसके बारे में डोनर्स को पता ही नहीं था। खुद ब्लड डोनेट करने गए तो ब्लड टैस्ट में सामने आया कि वह एड्स पेशैंट हैं। ब्लड में एच.आई.वी. इंफैक्शन सामने आते ही चंडीगढ़ स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने उन्हें ट्रीटमैंट देना शुरू कर दिया। विभागीय आंकड़ों की मानें तो बीते 6 सालों के दौरान 220 के करीब एच.आई.वी. मरीज सामने आ चुके हैं। 

 

बेशक ब्लड में एच.आई.वी. इंफैक्शन से ग्रस्त लोगों की संख्या घट रही है परंतु ब्लड डोनेट करने की वजह से लोगों को न सिर्फ एच.आई.वी. बल्कि हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया और सिफलिस जैसी बीमारियों की जानकारी भी मिल रही है। आंकड़ों की मानें तो डोनेशन में एकत्रित किए गए  ब्लड में से 2012 -13 में 0.08 प्रतिशत (करीब 60), 2013-14 में 0.05 प्रतिशत (43), 2014-15 में 0.06 प्रतिशत (43), 2015-16 में 0.05 प्रतिशत(45), 2016-17 में 0.03 (25)प्रतिशत एचआईवी पेशेंटस सामने आए। 

 

ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक्सपट्र्स का कहना है कि ब्लड डोनेशन की वजह से डोनर्स के पांच टैस्ट निशुल्क हो जाते हैं। डोनेशन की वजह से गंभीर बीमारियों की डायग्नोसिस हो जाती है और ट्रीटमैंट भी शुरू हो जाता है। बेशक ब्लड में इंफैक्शन की वजह से एक प्रतिशत ब्लड को डिस्कार्ड करना भी पड़ता है परंतु लोगों को समय रहते इलाज शुरू हो पाता है इसलिए लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए बढ़ चढ़कर आगे आना चाहिए।

 


नॉर्थ रीजन में नैगेटिव ब्लड ग्रुप होते हैं दुर्लभ
पी.जी.आई. के ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक्सपर्ट डॉ. सुचेत सचदेव का कहना है कि चंडीगढ़ और पंजाब बैल्ट में नेगेटिव ब्लड ग्रुप दुर्लभ है। यहां के अधिकतर लोगों का ब्लड ग्रुप ओ और बी पॉजीटिव होता है परंतु आसपास के राज्यों से भी पेशैंट्स इलाज के लिए आते हैं ऐसे में नेगेटिव ब्लड ग्रुप खोजना चुनौतीपूर्ण रहता है। ब्लड डोनेशन कैंप की मदद से ही ब्लड की कमी को दूर किया जाता है। पी.जी.आई. की मोबाइल ब्लड वैन की वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग ब्लड डोनेशन के लिए आगे आ रहे हैं। 

 

पी.जी.आई. में एक महीने में 5000 यूनिट्स जबकि साल में 60,000 ब्लड यूनिट्स की जरूरत होती है। सैक्टर-16 के गवर्नमैंट मल्टीस्पैशिएलिटी हॉस्पिटल ब्लड बैंक को महीने में 300 ब्लड यूनिट्स, जबकि गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 को महीने में 1200 ब्लड यूनिट्स की जरूरत होती है। सैक्टर-16 ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. सिमरत ने बताया कि वह महीने में उतना ही ब्लड एकत्रित करते हैं, जितनी उन्हें जरूरत होती है।


 

6 वर्ष में इतनों ने किया ब्लड डोनेट 
वर्ष                 टोटल ब्लड          वॉलंट्री ब्लड
2017         14581            13581        
2016-17            94667          86144
2015-16            91567          80876    
2014-15           88873         76293
2013-14         86029         75662 
2012-13         81649         71597

 

एक महीने में ब्लड की जरूरत 
संस्थान                    ब्लड की जरूरत
पी.जी.आई.                     5000 यूनिट्स
जी.एम.एस.एच.-16             300 यूनिट्स
जी.एम.सी.एच.-32              1200 यूनिट्स


 

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