Edited By ,Updated: 02 Nov, 2015 10:58 AM
विनयस्य मूलं वृद्धोपसेवा। वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है।......
विनयस्य मूलं वृद्धोपसेवा।
वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है।
जो राजा अपने पूर्वजों, वृद्धों और ज्ञानियों का सम्मान करने तथा उनके दुख-सुख में उनकी सहायता करने का संकल्प कर लेता है, उसके स्वभाव और व्यवहार में विनम्रता सहज ही उत्पन्न हो जाती है। बिना विनम्रता के वह उनकी सेवा करने के लिए प्रवृत्त हो ही नहीं सकता। प्रबुद्ध और ज्ञानी पुरुषों से विनम्र होकर ही ज्ञान प्राप्त करना संभव है और ऐसा ज्ञानवान राजा राज्य में विज्ञजन और कलाकारों का सम्मान करना भी जान लेता है।