Bad luck को Good luck में बदलने के लिए मानें आचार्य चाणक्य की आठ बातें

Edited By ,Updated: 11 Jul, 2016 10:07 AM

chanakya niti

आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन से सीख लेकर बहुत सारी नीतियों का निर्माण किया है, जिनका अनुसरण करने से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने

आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन से सीख लेकर बहुत सारी नीतियों का निर्माण किया है, जिनका अनुसरण करने से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने ऐसी बातें बताई हैं, जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अपना ले तो दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है।

 

* सोने को घिस, काट, गरम अौर पिट कर उसकी परख की जाती है वैसे ही किसी भी व्यक्ति की परख करने के लिए ध्यान रखें कि वह कितना त्याग कर सकता है, उसका व्यवहार किस प्रकार का है और उसमें कौन-कौन से गुण विद्यमान हैं।

 

* एक ही पेड़ से पैदा हुए सभी बेर एक जैसे नहीं होते, उसी प्रकार एक ही गर्भ या नक्षत्र में जन्म लेने वाले सारे बच्चे एक समान नहीं होते।

 

* जो लोग मूर्ख होते हैं वे बुद्धिमान व्यक्ति से, कुमार्ग पर चलने वाली महिलाएं पवित्र स्त्रियों से अौर कुरूप महिलाएं सुंदर महिलाओं से ईर्ष्या भाव रखती हैं।

 

* जिन लोगों के हाथ स्वस्थ हैं, वे कार्य नहीं करना चाहते। अपनी कामनाअों पर विजय प्राप्त करने वाला शारीरिक श्रृंगार में रुचि नहीं दिखाता, जिसे पूर्ण ज्ञान न हो वह मधुर स्वर नहीं बोलता अौर स्पष्ट बात करने वाला किसी के साथ छल नहीं कर सकता।

 

* इंसान इस धरती पर अकेले आता है अौर अंत समय में अकेले जाता है। अपने अच्छे-बुरे कर्मों का फल भी उसे अकेले ही भोगना पड़ता है। वह अकेले ही नर्क की यातनाएं झेलता है या सद्‍गति की प्राप्ति करता है।

 

* यात्रा के समय ज्ञान, घर में पत्नी, रोगी के लिए दवा, मृत्यु पश्चात जीवन में प्राप्त किए पुण्य ही हमारे सच्चे मित्र होते हैं।

 

* बारिश के पानी जैसा कोई पानी नहीं, अपनी ताकत के समान कोई शक्ति नहीं, आंखों की ज्योति की तरह दूसरा प्रकाश नहीं एवं अन्न से बढ़कर दुनिया में कोई धन-संपति नहीं है।

 

* प्रत्येक व्यक्ति के पांच माता-पिता होते हैं, जिनके लिए उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। 

 

व्यक्ति के पांच पिता-

1. जिसने हमें जन्म दिया। 

2. जिन्होंने हमारा पालन-पोषण किया

3. जिनसे हमें ज्ञान की प्राप्ति हुई

4. जिन्होंने हमें भोजन दिया

5. बुरे समय में साथ देने वाले

 

व्यक्ति की पांच माताएं-

1. अपनी खुद की माता

2. गुरु की धर्मपत्नी भी माता समान होती है।

3.पत्नी की माता को भी अपनी माता की तरह समझना चाहिए।

4. राजा की पत्नी

5. पति की मां भी अपनी माता होती है।

 

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