चाणक्य नीति सूत्र: अकेले व्यक्ति के लिए सफलता की गारंटी है ये सीख

Edited By ,Updated: 18 Jan, 2016 12:48 PM

chanakya niti

एक अकेला पहिया नैकं चक्रं परिभ्रमयति। जिस प्रकार गाड़ी में दो पहियों की जरूरत होती है और

एक अकेला पहिया

नैकं चक्रं परिभ्रमयति।

जिस प्रकार गाड़ी में दो पहियों की जरूरत होती है और उसे एक पहिया नहीं खींच सकता उसी प्रकार राज्य संचालन में एक अकेला राजा कुछ नहीं कर सकता। उसे प्रबुद्ध, योग्य, चतुर और राजनीतिक विशारदों की जरूरत पड़ती है। उनकी सहायता से ही वह राज्य का सुचारू रूप से संचालन कर पाता है।

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मनुष्य अकेला जन्म लेता है, शुभ-अशुभ कर्मों को भोगता है, अकेला नरक में गिरता है और अकेला ही मोक्ष को प्राप्त करता है लेकिन मगध में न चाणक्य अकेला कुछ कर सकता था और न ही चन्द्रगुप्त। आप किसी कारोबार का संचालन अकेले नहीं कर सकते। आपको अपने सकारात्मक सुधार के लिए सहायक ढूंढ़ने चाहिए।  

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