चाणक्य नीति: विद्यार्थियों को पढ़ाई के दिनों में नहीं करने चाहिए ये काम

Edited By ,Updated: 18 Oct, 2016 09:11 AM

chanakya niti

शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी का अच्छा भविष्य बन सकता है। शिक्षा ही विद्यार्थियों को सही दिशा प्रदान करती है। पढ़ाई के दिनों में उनका ध्यान

शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी का अच्छा भविष्य बन सकता है। शिक्षा ही विद्यार्थियों को सही दिशा प्रदान करती है। पढ़ाई के दिनों में उनका ध्यान भटकने से उनका पूरा जीन प्रभावीत हो सकता है। जिसके कारण विद्यार्थियों को अध्ययन के समय में कुछ सावधानिया रखनी चाहिए। आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों को कुछ ऐसे कार्यों से अवगत करवाया है, जिन्हें न करने से उनकी भलाई है।

 

चाणक्य कहते हैं-
काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।

 

इस श्लोक में ऐसी बातों का उल्लेख किया गया है, जिनसे विद्यार्थियों को सदैव दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

 

कामवासना 
विद्यार्थी को कामवासना से दूर रहना चाहिए। इस प्रकार के विचारों से विद्यार्थी अध्ययन में मन नहीं लगा पाता। ऐसे विचार विद्यार्थी के मन को भटकाते हैं। इसलिए छात्र-छात्राअों को इस प्रकार के विचारों से बचना चाहिए।

 

क्रोध
गुस्से को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। क्रोध के कारण व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है इसलिए व्यक्ति को इससे बचना चाहिए।

 

लालच
लालच सबसे बुरी बला है। छात्र-छात्राअों को किसी बात के लिए लालच नहीं करना चाहिए।

 

स्वाद
चाणक्य के अनुसार आजकल विद्यार्थी संतुलित आहार की अपेक्षा स्वादिष्ट भोजन अधिक खाते हैं। जिसका विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। वहीं संतुलित भोजन खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।

 

श्रंगार
छात्र-छात्राअों को जरुरत से अधिक श्रृंगार नहीं करना चाहिए। आवश्यकता से अधिक  साज-श्रृंगार करने वाले विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में नहीं लगता। जिसके कारण परीक्षा में अच्छे परिणाम नहीं मिलते है।

 

मनोरंजन
आज के समय में विद्यार्थी अपना अधिकतर समय मनोरंजन में व्यर्थ करते हैं। जिससे उनके पास अध्ययन करने के लिए उपयुक्त समय नहीं बचता। आवश्यकता से अधिक खेल-तमाशे नुक्सानदायक हो सकते हैं। जिसके कारण विद्यार्थियों को टीवी, फिल्म आदि से दूर रहना चाहिए, जिससे उन्हें उत्तम फल प्राप्त होते हैं। 

 

नींद
स्वस्थ शरीर के लिए 6 से 8 घंटे की नींद पर्याप्त होती है। इससे अधिक समय की नींद लेने वाले विद्यार्थियों को आलस्य अौर समय के अभाव जैसी परेशनियों का सामना करना पड़ता है। 

 

सेवा
किसी व्यक्ति की सेवा में भी आवश्यकता से अधिक समय देने से भी विद्यार्थियों के पास अध्ययन के लिए समय नहीं रहता। विद्यार्थी वर्ग को इस बात से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

 

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