Edited By ,Updated: 18 Jun, 2016 08:02 AM
आचार्य चाणक्य ने आनंदमय और उत्कृष्ट जीवन के लिए बहुत सारी नीतियां बताई हैं, कुछ लोग इन पर अमल करके चिंताअों से मुक्त हो सकते हैं।
आचार्य चाणक्य ने आनंदमय और उत्कृष्ट जीवन के लिए बहुत सारी नीतियां बताई हैं, कुछ लोग इन पर अमल करके चिंताअों से मुक्त हो सकते हैं। आधुनिक समय में बहुत सारे लोग इन नीतियों का पालन कर रहें हैं। चाणक्य नीति में उन्होंने ऐसे लोगों अौर चीजों के बारे में बताया है, जिनके मध्य से गुजरना अनुचित होता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
“विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:। अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्य च।।“
अर्थात: इस श्लोक में ऐसी 5 चीजों के बारे में बताया गया है, जिनके मध्य से नहीं निकलना चाहिए।
दो ज्ञानी लोग
दो ब्राह्मण या ज्ञानी व्यक्ति वार्तालाप कर रहे हों तो कदापि उनके मध्य से न निकलें। एक पुरानी कहावत है, ज्ञानी से ज्ञानी मिलें करें ज्ञान की बात अर्थात जब दो ज्ञानी व्यक्ति एक-दूसरे से मिलते हैं तो वह ज्ञान विद्या की ही बात करते हैं। उस वक्त उनके मध्य से निकलने पर उनकी वार्तालाप में विघ्न पड़ सकता है इसलिए ऐसा न करें।
ब्राह्मण और अग्नि
किसी जगह पर पंडित आग के समीप बैठा दिखाई दे तो उनके मध्य से भी नहीं निकलना चाहिए। ऐसी स्थिति में पंडित हवन या यज्ञ कर रहा होगा तो उनके पूजन में बाधा उत्पन्न होने से उनकी पूजा अपूर्ण रह सकती है।
मालिक और नौकर
जब मालिक और नौकर के मध्य वार्तालाप हो रही हो तो उनके बीच से नहीं गुजरना चाहिए। मालिक अपने नौकर को कोई महत्वपूर्ण कार्य समझा रहा होगा तो उनके बीच से निकलने पर उनकी बातचीत में बाधा पैदा हो सकती है।
पति और पत्नी
किसी जगह पर दंपति जोड़ा खड़ा या बैठा हो तो उनके मध्य से निकलना अनुचित होगा। वे पारिवारिक मसलों पर या व्यक्तिगत बात कर रहे होंगे तो हमारे जाने से उनके निजी पल बाधित हो सकते हैं।
हल और बैल
हल और बैल इकट्ठे नजर आने पर यदि उनके मध्य से निकलने की कोशिश करेंगे तो चोट लगने का भय रहता है इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखेें।