बर्बादी से बचने के लिए याद रखें आचार्य चाणक्य का गुरु मंत्र

Edited By ,Updated: 24 Jun, 2016 08:38 AM

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आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति ग्रंथ की रचना की है। इस ग्रंथ में जीवन-सिद्धांत, जीवन-व्यवहार, आदर्श और यथार्थ के सुन्दर समन्वय के दर्शन होते हैं।

आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति ग्रंथ की रचना की है। इस ग्रंथ में जीवन-सिद्धांत, जीवन-व्यवहार, आदर्श और यथार्थ के सुन्दर समन्वय के दर्शन होते हैं। इसमें जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए गए हैं। जिन पर अमल करने से व्यक्ति खुशहाल जीवन यापन कर सकता है।

 

बर्बादी से बचने के लिए याद रखें आचार्य चाणक्य का गुरु मंत्र

* किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे पहले काटे जाते हैं और बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं। 

 

* अगर कोई सांप जहरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोडऩा चाहिए। उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।

 

* सबसे बड़ा गुरु मंत्र: कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ सांझा मत करो, यह प्रवृत्ति तुम्हें बर्बाद कर देगी। 

 

* हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है लेकिन यही सत्य है।

 

* अपने बच्चे को पहले 5 साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले 5 साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए लेकिन जब बच्चा 16 साल का हो जाए तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। बड़े बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। दिल में प्यार रखने वाले लोगों को दुख ही झेलने पड़ते हैं। 

 

* दिल में प्यार पनपने पर बहुत सुख महसूस होता है, मगर इस सुख के साथ एक डर भी अंदर ही अंदर पनपने लगता है, खोने का डर, अधिकार कम होने का डर आदि-आदि। मगर दिल में प्यार पनपे नहीं, ऐसा तो हो नहीं सकता। तो प्यार पनपे मगर कुछ समझदारी के साथ। संक्षेप में कहें तो प्रीति में चालाकी रखने वाले ही अंतत: सुखी रहते हैं। 

 

* ऐसा पैसा जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोडऩे पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। 

 

* नीच प्रवृत्ति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश हो जाते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। जिस तरह से रेत के टीले को अपनी बांबी समझकर सांप घुस जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है, उसी तरह से ऐसे लोग भी अपनी बुराइयों के बोझ तले मर जाते हैं। 

 

* असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं। बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं।

 

 * संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें, लेकिन अपनी आत्मा की हिफाजत हमें अपने परिवार और धन को भी दाव पर लगाकर करनी चाहिए। 

 

* भाई-बंधुओं की परख संकट के समय और अपनी स्त्री की परख धन के नष्ट हो जाने पर ही होती है। कष्टों से भी बड़ा कष्ट दूसरों के घर पर रहना है।

 

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