भारतीय विश्वविद्यालयों ने किया चीनी विवि. से समझौता

Edited By ,Updated: 26 May, 2016 04:25 PM

indian universities and chinese universities agreement

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत और चीन 21वीं सदी में ‘‘महत्वपूर्ण और रचनात्मक’’ भूमिका...

बीजिंग : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत और चीन 21वीं सदी में ‘‘महत्वपूर्ण और रचनात्मक’’ भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इस बीच उनकी यात्रा के दौरान 10 भारतीय विश्वविद्यालयों ने शिक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए चीनी विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। समझौतों पर पीकिंग विश्वविद्यालय में मुखर्जी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। 
 
राष्ट्रपति ने भारत तथा चीन के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों की गोलमेज सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और चीन 21वीं सदी में महत्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। जब भारतीय और चीनी वैश्विक चुनौतियों के हल के लिए तथा अपने साझा हितों के आधार पर साथ आते हैं, तो दोनों संयुक्त रूप से जो हासिल कर सकते हैं, उसकी कोई सीमाा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चीन की तरह भारत की प्राचीन शैक्षणिक उपलब्धियां पूरी दुनिया में प्रसिद्ध रही है।

मुखर्जी ने कहा कि छठी शताब्दी के दौरान उच्च शिक्षा के संस्थानों जैसे- नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमपुरा और उदंतपुरी ने विद्वानों को आकर्षित किया। इस क्षेत्र तथा इससे बाहर के अन्य देशों में स्थित प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों के साथ संबंधों को विकसित किया और शैक्षिक आदान-प्रदान किए। 
 
उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों में तक्षशिला सबसे अधिक संपर्क वाला विश्वविद्यालय था जो भारतीय, फारसी, यूनानी और चीनी सभ्यताओं का मिलन स्थल था। अनेक विख्यात लोग तक्षशिला आए जिनमें पाणिनी, सिकंदर, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, चरक, और चीनी बौद्ध भिक्षुओं फाहियान और ह्वेनसांग जैसी हस्तियां शामिल हैं।  
 

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