Edited By ,Updated: 28 Aug, 2016 04:35 PM
अतिथि देवो भवः अर्थात घर आया मेहमान भगवान के समान होता है। घर आए मेहमान का आदर सत्कार करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण
अतिथि देवो भवः अर्थात घर आया मेहमान भगवान के समान होता है। घर आए मेहमान का आदर सत्कार करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में अतिथि के सत्कार से संबंधित ऐसी बातें बताई गई हैं जिनको ध्यान में रखने से पुण्य मिलता है।
साफ मन
कहा जाता है कि जिस व्यक्ति का मन शुद्ध नहीं होता उसे अपने शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती। घर आए मेहमान को भोजन करवाते समय मन में गलत भाव नहीं लाने चाहिए। उस समय मन में गुस्सा, द्वेष, हिंसा आदि भावना लाने से कर्मों का फल नहीं मिलता।
मधुर वाणी
घर आया मेहमान देवस्वरुप होता है इसलिए उसका अपमान नहीं करना चाहिए। घर आए अतिथि का अपमान करने वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है। प्रत्येक व्यक्ति को घर आए अतिथि का मधुर वाणी के साथ स्वागत करना चाहिए।
शुद्ध हो शरीर
घर आया अतिथि भगवान समान माना जाता है। भगवान की अशुद्ध शरीर से सेवा नहीं की जाती। उसी प्रकार अतिथि की भी अशुद्ध शरीर से सेवा न करें। अतिथि या पारिवारिक सदस्यों को भोजन करवाने से पहले व्यक्ति को स्नान करके, साफ वस्त्र पहनने चाहिए। अशुद्ध शरीर से सेवा करने पर उसको शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती।
भेंट अवश्य दें
अतिथि को भोजन करवाने के पश्चात भेंट स्वरुप अवश्य कुछ देना चाहिए। उपहार सदैव अच्छी भावना से देने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है।