Edited By ,Updated: 26 Sep, 2016 01:56 PM
एक 90 वर्षीय महिला से किसी ने पूछा कि अगले जन्म में आप क्या बनना चाहेंगी और क्यों? उस महिला ने जवाब दिया, ‘‘मैं अपनी जिंदगी में सफल रही, मेरी जिंदगी बहुत अच्छे से गुजरी और अगले जन्म में भी यही स्वरूप लेकर पैदा होना चाहूंगी। कारण यह है कि
एक 90 वर्षीय महिला से किसी ने पूछा कि अगले जन्म में आप क्या बनना चाहेंगी और क्यों? उस महिला ने जवाब दिया, ‘‘मैं अपनी जिंदगी में सफल रही, मेरी जिंदगी बहुत अच्छे से गुजरी और अगले जन्म में भी यही स्वरूप लेकर पैदा होना चाहूंगी। कारण यह है कि मैंने इस जन्म में बहुत सी ऐसी चिंताएं और डर पाले, जो कभी घटित ही नहीं हुए या यूं कहें कि उनके घटने की संभावनाएं न्यूनतम थीं। इन चिंताओं के कारण मैंने अपनी जिंदगी में बहुत-सी चीजों का मजा नहीं लिया, बहुत-सी चीजें नहीं सीखीं। मैं अगले जन्म में और उन चीजों का सुख उठाना चाहती हूं। इस जन्म की कुछ चिंताएं मुझे रहती थीं कि यदि मैं रोलर-कोस्टर में बैठी तो मैं गिरकर मर जाऊंगी। यदि मैं कार चलाऊंगी तो किसी को दबा दूंगी। बेबुनियादी चिंता के कारण बहुत सी चीजों से मैं वंचित रही।’’
कहीं ऐसा तो नहीं हम भी अपनी जिंदगी की ढलान पर जब पलटकर देखें तो हमें भी कहीं ऐसा न महसूस हो कि बेकार की चिंता ने हमारे बहुत से सुनहरे पल हमसे छीन लिए थे। सचमुच हम इतनी सारी चिंताएं पाल लेते हैं कि हमें जिंदगी साफ नहीं दिखाई देती। इस वजह से हम खुलकर अपने कार्यों को गति नहीं दे पाते। हमारे सिर पर भय का बोझ, हमारी सोचने की क्षमता और कार्य की गतिशीलता बहुत कम कर देता है।
जिंदगी में कुछ ऐसे लोग मिलतेे हैं, जिनमें अपार क्षमताएं थीं, साथ ही अपार शंकाएं भी थीं। वे अपनी क्षमता के अनुसार न व्यापार में ऊंचाई पर पहुंच पाए और न ही जिंदगी के मजे ले पाए। ठीक इसके विपरीत आत्मविश्वास से सराबोर एक व्यक्ति के सामने बड़ी-बड़ी समस्याएं बौनी दिखाई देती हैं। ऐसे व्यक्ति यदि कम पढ़े-लिखे भी हों तो बहुत सफल व्यापारी कहलाते हैं। बहुत से निराश लोग उनके पास जाते हैं और वे अपनी बातचीत और समझ से उनकी अनावश्यक चिंताओं को दूर कर परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत पैदा कर देते हैं।