Edited By ,Updated: 11 Mar, 2017 01:31 PM
ग्वालों का एक नन्हा-सा लड़का चर्च के नजदीक खुली जगह में अपनी बकरियों को चारा देने के लिए घूम रहा था।
ग्वालों का एक नन्हा-सा लड़का चर्च के नजदीक खुली जगह में अपनी बकरियों को चारा देने के लिए घूम रहा था। रविवार की सुबह थी। लोग समूह प्रार्थना के लिए चर्च में आ रहे थे। उस लड़के ने अपने परिवारजनों से भगवान के बारे में तो सुना था किन्तु चर्च या समूह प्रार्थना के बारे में कभी कुछ नहीं सुना था। लिहाजा सुबह-सुबह इस तरह से जनसमूह को एक ही इमारत में जाते देख वह आश्चर्यचकित हो गया। कौतूहलवश उसने वहां से गुजर रहे एक आदमी से पूछा कि सब लोग कहां जा रहे हैं? उसे जवाब मिला, ‘‘सब लोग इस चर्च में ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए जा रहे हैं।’’
उस लड़के की हैरानी और बढ़ गई, उसने फिर पूछा, ‘‘प्रार्थना का क्या मतलब होता है?’’
उत्तर में उस आदमी ने कहा, ‘‘प्रार्थना, मतलब भगवान से कहे जाने वाले वे शब्द जिनसे हम भगवान के प्रति हमारी आस्था, विश्वास और हमसे हुई गलतियों के लिए हमारा पछतावा सब कुछ व्यक्त कर सकते हैं।’’
चर्च में बैल की आवाज आने लगी। वह लड़का रोमांचित हो गया। इतने सारे लोग एक साथ भगवान से प्रार्थना करेंगे। यह सोचते ही उसे भी प्रार्थना की तीव्र इच्छा होने लगी परंतु उसे प्रार्थना का मतलब नहीं मालूम था। प्रार्थना करना उसे नहीं आता था। फिर भी वह घुटनों के बल बैठ गया। हाथ जोड़ लिए और फिर अपनी कक्षा में सिखाई जाने वाली ‘ए बी सी डी’ जोर-जोर से बोलने लगा। वहां से गुजर रहे एक आदमी ने यह सुनते ही पूछा, ‘‘तुम क्या कर रहे हो?’’
‘‘भगवान से प्रार्थना कर रहा हूं।’’
उस लड़के ने बाल सहज भोलेपन से उत्तर दिया। उस आदमी ने पूछा, ‘‘किन्तु तुम तो ए बी सी डी बोल रहे हो। ऐसा क्यों?’’
लड़के का जवाब था, ‘‘मुझे प्रार्थना करना नहीं आता इसलिए ए बी सी डी’ बोल रहा हूं। मुझे जो कहना है वह मैं शब्दों के जरिए कह नहीं पाता, किन्तु भगवान तो सब जानते हैं। वह ए बी सी डी में से योग्य शब्दों को चुन कर योग्य स्थानों पर उनका उपयोग कर मेरी प्रार्थना स्वीकार कर लेंगे।’’
प्रश्र करने वाला वह आदमी कुछ क्षणों के लिए सोच में पड़ गया। उसकी आंखें भर आईं। वह भी चर्च के अंदर जाने के बदले उसी लड़के के पास घुटनों के बल बैठ गया और हाथ जोड़कर ए.बी.सी.डी. बोलने लगा। प्रार्थना शब्दों से नहीं, भाव से करनी चाहिए।