Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Jan, 2022 09:01 AM
आज पौष माह की पूर्णिमा को शाकम्भरी देवी का प्रगट उत्सव शाकम्भरी जयंती के रूप में मनाया जाएगा। वनस्पति की देवी शाकंभरी की आराधना की जाएगी। दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के
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Shakumbhari Devi Jayanti 2022: आज पौष माह की पूर्णिमा को शाकम्भरी देवी का प्रगट उत्सव शाकम्भरी जयंती के रूप में मनाया जाएगा। वनस्पति की देवी शाकंभरी की आराधना की जाएगी। दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के स्वरूप का वर्णन है जिसके अनुसार इनका वर्ण नीला है, नील कमल के सदृश ही इनके नेत्र हैं। ये पद्मासना हैं अर्थात कमल पुष्प पर ही ये विराजती हैं। इनकी एक मुट्ठी में कमल है और दूसरी मुट्ठी में बाण।
पौराणिक व्रतांत के अनुसार आदिशक्ति के अवतारों में से एक देवी शाकंभरी की कालांतर में भूलोक पर दुर्गम नामक दैत्य के प्रकोप से लगातार सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण प्रजा त्राहिमाम करने लगी। दुर्गम नामक दैत्य ने देवताओं से चारों वेद चुरा लिए थे। देवी शाकंभरी ने दुर्गम नामक दैत्य का वध कर देवताओं को पुनः वेद लौटाए थे। देवी शाकंभरी के सौ नेत्र हैं अतः इन्हें शताक्षी भी कहते हैं। शताक्षी ने जब नजर उठाई तो धरती हरी-भरी हो गई। नदियों में जल धारा बह चली। वृक्ष-औषधियों से परिपूर्ण हो गए। देवी ने शरीर से उत्पन्न शाक से धरती का पालन किया। इसी कारण इनका नाम शाकंभरी पड़ा। इनके विशेष पूजन व उपाय से बीमारियों से मुक्ति मिलती है, जीवन में संपन्नता आती है व गरीबी दूर होती है।
Maa Shakambari Purnima Puja Vidhi पूजन विधि: शाकंभरी का विधिवत पूजन करें। नारियल तेल का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गौरोचन से तिलक करें, मेहंदी अर्पित करें, पालक के पत्ते व लौकी चढ़ाएं व मिष्ठान का भोग लगाएं। किसी माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग गाय को खिला दें।
Shakambari devi mantra पूजन मंत्र: ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति शाकंभरी स्वाहा॥
आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर: हरा।
आज का गुडलक दिशा: पूर्व।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ महाकुण्डलिन्यै नमः॥
Maa Shakambari Purnima Importance आज के विशेष उपाय: रोगों से मुक्ति हेतु शाकंभरी पर चढ़े मूंग पक्षियों को डालें।
संपन्नता के लिए शाकंभरी पर चढ़ी 11 इलायची तिजोरी में रखें।
गरीबी से मुक्ति पाने हेतु शाकंभरी पर चढ़ी पालक काली गाय को खिलाएं।