अजब-गजब: गणेश चतुर्थी पर बप्पा नहीं बल्कि मूषक की मूर्ति करते हैं स्थापित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Aug, 2017 10:11 AM

ajab gajab on ganesh chaturthi

गणेश चतुर्थी आने को कुछ दिन शेष हैं। बप्पा को घर लाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की बेंगलुरु के मैसूर में अजब-गजब परंपरा का निर्वाह किया जाता है।

गणेश चतुर्थी आने को कुछ दिन शेष हैं। बप्पा को घर लाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की बेंगलुरु के मैसूर में अजब-गजब परंपरा का निर्वाह किया जाता है। यहां पर बप्पा नहीं बल्कि मूषक की मूर्ति स्थापित करने का चलन है। यहां पर कुछ परिवार पिछली पांच पीढ़ियों से गणेश चतुर्थी पर गणपति जी के वाहन मूषक का पूजन करने के उपरांत उन्हें अपने घर में स्थापित करते हैं।


मूषक पूजा के संदर्भ में जब यहां के स्थानीय निवासियों से जानने चाहा तो उन्होंने बताया मैसूर में लगभग दो दर्जन से अधिक परिवार गणेशोत्सव पर मूषक महोत्सव मनाते हैं। उनके परिवार में ये पूजन पांच पीढ़ियों से हो रहा है। ये भी कहा जाता है की इन परिवारों का संबंध आर्य समुदाय से है।


एक व्यक्ति ने कहा कि इस प्रथा के विषय में उसे उसके दादा जी ने एक कहानी सुनाई थी। जिसके अनुसार पांच पीढ़ियों से पहले तक अन्य स्थानों की तरह यहां पर भी मूषक को नहीं गणेश जी को घर लाकर विराजित किया जाता था। 10 दिन तक उनका विधि-विधान से पूजन कर श्रद्धाभाव से विर्सजन किया जाता था। गणेश पूजा को लेकर किसी के मन में कोई खोट नहीं था, फिर भी सुख-शांति नहीं थी। एक रात बप्पा अपने भक्त के सपने में आए और कहा केवल मेरी उपासना से लाभ नहीं होगा। मेरे साथ-साथ  मेरे प्रिय वाहन मूषक की भी पूजा करें। तभी से भगवान गणेश के साथ उनके मूषक की भी अराधना होने लगी। 


जहां गणेश उत्सव पर गणपति के सुंदर-सुंदर स्वरूप देखने को मिलते हैं, वहीं यहां के श्रद्धालुओं की इस भक्ति भावना को देखते हुए मूर्तिकार बप्पा के वाहन की सुंदर मूर्तियों का निर्माण करते हैं।

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