संतों-हरिभक्तों का दिल अक्षर देहरी, अनगिनत लोग यहां आकर त्याग चुके हैं व्यसन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 12:43 PM

akshar dehri countless people have come here and have abandoned the addiction

सौराष्ट्र (गुजरात) के राजकोट जिला के कस्बे गोंडल में स्थित अक्षरदेहरी, बोचासन वासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था का प्रतीक है। संस्था के तीसरे आध्यात्मिक मुखिया शास्त्री जी महाराज ने अक्षरब्रह्मा गुणातीतानंद के समाधिस्थल पर अक्षर देहरी का...

सौराष्ट्र (गुजरात) के राजकोट जिला के कस्बे गोंडल में स्थित अक्षरदेहरी, बोचासन वासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था का प्रतीक है। संस्था के तीसरे आध्यात्मिक मुखिया शास्त्री जी महाराज ने अक्षरब्रह्मा गुणातीतानंद के समाधिस्थल पर अक्षर देहरी का निर्माण किया था। उसके जीर्णोद्धार के बाद गत दिनों आयोजित 150वें स्थापना दिवस (सार्ध शताब्दी) महोत्सव में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद पधारे। स्वामीनारायण सम्प्रदाय के संत सैंकड़ों बार इस पावन स्थल के दर्शन करने आ चुके हैं। शास्त्री जी महाराज व योगी जी महाराज जिन कमरों में निवास किया करते थे, वे अब भी सुरक्षित हैं।


फरवरी 2016 में विश्ववंदनीय संत प्रमुख स्वामी जी महाराज ने अक्षर देहरी सार्ध शताब्दी महोत्सव के रूप में 2 वर्ष तक चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की थी। उन कार्यक्रमों का समापन छठे मुखिया महंत स्वामी जी के सान्निध्य में हो रहा है।
महंत स्वामी जी का कथन है कि अक्षर देहरी ऐसा पावन स्थल है जहां नतमस्तक होकर एवं प्रदक्षिणा करके लाखों हरिभक्त अपनी शुभ भावनाओं को साकार करने का लाभ ले चुके हैं।


अक्षर मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि पैदल चलने वालों को इस पूजा स्थल के शिविर से आते देखा जा सकता है। मंदिर में स्थापित घनश्याम जी महाराज की मूर्ति दर्शकों से बातचीत करती जान पड़ती है।


देश विभाजन से पूर्व गोंडल जिन राजाओं-महाराजाओं की राजधानी थी उनके वंशज अब भी मौजूद हैं और मंदिर महोत्सव में सम्मिलित होते हैं। अनुभव पुस्तिका पढऩे से पता चलता है कि कई कट्टरपंथियों का हृदय परिवर्तन हुआ। हजारों लोगों को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक विषमताओं से राहत मिली। अक्षर देहरी की सेवा सामान्य नहीं कही जाती, यह भगवान स्वामीनारायण व गुणातीतानंद स्वामी की सेवा है। अनगिनत लोग यहां आकर व्यसन त्याग चुके हैं। यात्रियों को गौशाला में भी सेवा करके अद्भुत शांति की अनुभूति होती है।


अक्षर देहरी के समीप ही अब योगीजी महाराज स्मृति मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ है। योगी जी की अंत्येष्टि भी उनकी इच्छानुसार यहीं हुई थी। उन्होंने जनवरी 1971 में भौतिक संसार को अलविदा कहा। यहां मूल स्मारक का उद्घाटन 1975 में प्रमुख स्वामी जी द्वारा सम्पन्न हुआ। अब नए स्मृति मंदिर का निर्माण जैसलमेर से लाए पत्थरों से करके उस पर आकर्षक स्थापत्य कला की छाप छोड़ी गई है।


अक्षर पुरुषोत्तम महाराज एवं योगी जी महाराज की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चारण से करते हुए महंत स्वामी जी ने कहा कि इनके दर्शन करने वालों को आंतरिक शांति की अनुभूति होगी। इस प्रकार गोंडल कस्बे का महत्व और भी बढ़ गया है।
 

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