हमेशा किसी न किसी मुश्किल-परेशानी से घिरे रहते हैं, जानें कारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 12:40 PM

always be surrounded by some difficulties know why

पुराने समय में एक राजा था। वह अक्सर अपने दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था। एक दिन राजा ने अपने 3 मंत्रियों को दरबार में बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाएं और वहां से

पुराने समय में एक राजा था। वह अक्सर अपने दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था। एक दिन राजा ने अपने 3 मंत्रियों को दरबार में बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाएं और वहां से अच्छे-अच्छे फल तोड़ कर लाएं। तीनों मंत्री एक-एक थैला लेकर अलग-अलग बाग में गए। वहां जाकर एक मंत्री ने सोचा कि राजा के लिए अच्छे-अच्छे फल तोड़ कर ले जाता हूं जो उन्हें पसंद आएं। उसने चुन-चुन कर अच्छे-अच्छे फलों को अपने थैले में भर लिया।  दूसरे मंत्री ने सोचा कि राजा को कौन-सा फल खाने हैं, वह तो फलों को देखेगा भी नहीं। ऐसा सोचकर उसने अच्छे और सड़े-गलेे जो भी फल थे, जल्दी-जल्दी इकट्ठा करके अपना थैला भर लिया। तीसरे मंत्री ने सोचा कि समय क्यों बर्बाद किया जाए, राजा तो मेरा भरा हुआ थैला ही देखेंगे। ऐसा सोचकर उसने घास-फूस से अपने थैले को भर लिया। अपना-अपना थैला लेकर तीनोंं मंत्री राजा के पास लौटे। राजा ने बिना देखे ही अपने सैनिकों को उन तीनों मंत्रियों को एक महीने के लिए जेल में बंद करने का आदेश दे दिया और कहा कि इन्हें खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाए। ये अपने फल खाकर ही अपना गुजारा करेंगे।


अब जेल में तीनों मंत्रियों के पास अपने-अपने थैलों के अलावा और कुछ नहीं था। जिस मंत्री ने अच्छे-अच्छे फल चुने थे, वह बड़े आराम से फल खाता रहा और उसने बड़ी आसानी से एक महीना फलों के सहारे गुजार दिया। जिस मंत्री ने अच्छे और सड़े-गले फल चुने थे वह कुछ दिन तो आराम से अच्छे फल खाता रहा लेकिन उसके बाद सड़े-गले फल खाने की वजह से वह बीमार हो गया। उसे बहुत परेशानी उठानी पड़ी और बड़ी मुश्किल से उसका एक महीना गुजरा। लेकिन जिस मंत्री ने घास-फूस से अपना थैला भरा था, वह कुछ दिनों में ही भूख से मर गया।


यह तो एक कहानी है। लेकिन इस कहानी से हमें बहुत अच्छी सीख मिलती है कि हम जैसा करते हैं, हमें उसका वैसा ही फल मिलता है। यह भी सच है कि हमें अपने कर्मों का फल जरूर मिलता है। इस जन्म में नहीं, तो अगले जन्म में कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। एक बहुत अच्छी कहावत है कि जो जैसा बोता है वह वैसा ही काटता है। अगर हमने बबूल का पेड़ बोया है तो हम आम नहीं खा सकते। हमें सिर्फ कांटे ही मिलेंगे। मतलब कि अगर हमने कोई गलत काम किया है या किसी को दुख पहुंचाया है या किसी को धोखा दिया है या किसी के साथ बुरा किया है, तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते। हमेशा किसी न किसी मुश्किल-परेशानी से घिरे रहेंगे।
 

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