Edited By ,Updated: 13 Feb, 2015 11:04 AM
कुछ व्यक्तियों को शकुनों के प्रति अनेक प्रकार की शंकाएं हैं। उसका कारण शकुनों के निश्चित फलों में परिवर्तन दिखाई देना है। एक ही शकुन के निश्चित फलों में परिवर्तन दिखाई देना है।
कुछ व्यक्तियों को शकुनों के प्रति अनेक प्रकार की शंकाएं हैं। उसका कारण शकुनों के निश्चित फलों में परिवर्तन दिखाई देना है। एक ही शकुन के निश्चित फलों में परिवर्तन दिखाई देना है। एक ही शकुन का फल किसी के मत में शुभ है तो किसी के मत में अशुभ है। उसके अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे अनुभव की विपरीतता, देश-काल का प्रभाव, मनुष्य की अर्जित आत्मशक्ति की सबलता-निर्बलता आदि।
शकुनों की सार्थकता में आज के बुद्धिजीवी लोग विश्वास नहीं करते और उन्हें व्यर्थ का मनोविकार बताते हैं। कुछ लोग सार्थकता और निरर्थकता के खिंचाव के कारण मध्य मार्ग का अनुसरण किए हुए हैं। वे न तो उन्हें सार्थक कहते हैं, न व्यर्थ ही मानते हैं।
अनेक व्यक्ति शकुनों पर विश्वास न करके भी उन्हें मानते अवश्य हैं। अनेक व्यक्तियों का अनुभव है कि अपशकुनों की परवाह न करने के कारण उन्हें बहुत क्षति उठानी पड़ी।
हर तरह के अपशकुन से बचने का मंत्र
मन्त्र- ऊँ ह्रौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्रयम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुच्च्टिवर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात ऊँ स्व: भुव: भू: ऊँ स: जूं ह्रौं ॥ऊँ॥