इन लोगों पर न दें ध्यान, भविष्य में समस्याओं को पैदा करती हैं इनकी बातें

Edited By ,Updated: 05 Oct, 2015 09:17 AM

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हमें मिलने वाले सुख-दुख, हमारे ही कर्मों का फल होते हैं। जाने-अनजाने हम कई बार ऐसे काम कर देते हैं जो भविष्य में समस्याओं को पैदा करते हैं।

हमें मिलने वाले सुख-दुख, हमारे ही कर्मों का फल होते हैं। जाने-अनजाने हम कई बार ऐसे काम कर देते हैं जो भविष्य में समस्याओं को पैदा करते हैं। यदि हम आने वाले समय में सुखी और खुश रहना चाहते हैं तो वर्तमान में ही इसकी तैयारी करनी होगी। वर्तमान को सुधारने के लिए अन्य लोगों से किस प्रकार का व्यवहार किया जाना चाहिए, यह बात भी ध्यान रखने योग्य है।

श्री रामचरितमानस में बताया गया है कि किन लोगों की बातों पर हमें ध्यान नहीं देना चाहिए। यदि कोई पेट दर्द से तड़प रहा हो तो उस समय वह कुछ भी सोच विचार कर बोलने की अवस्था में नहीं होता। ऐसी हालत में यदि कोई व्यक्ति उससे बात करेगा तो उसे उलटा जवाब ही मिलेगा। अत: ऐसे समय में उससे बात करने से बचना चाहिए।
 
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस में शिवजी और पार्वती के संवाद का प्रसंग बताया है। इस प्रसंग में जब पार्वती जी श्री राम को पहचान नहीं पाती हैं तब शिवजी समझाते हैं कि वह माया और मोह के कारण श्री राम को पहचान नहीं सकी हैं। पार्वती मोहवश थीं और इसी वजह से शिवजी माता पार्वती की बातों पर ध्यान नहीं दे रहे थे। शिवजी ने पार्वती के मोह और अज्ञान को दूर करने के लिए ऐसे लोगों के विषय में बताया जिनकी बातों पर हमें ध्यान नहीं देना चाहिए। अन्यथा हमें भी विपरीत जवाब मिल सकता है।
 
शिव जी कहते हैं कि 
बातुल भूत बिबस मतवारे। ते नहिं बोलहिं बचन बिचारे।।
जिन्ह कृत महामोह मद पाना। तिन्ह कर कहा करिअ नहिं काना।।
 
इस दोहे के अनुसार पहला व्यक्ति वह है जो वायु रोग यानी गैस से पीड़ित है। वायु रोग में असहनीय पेट दर्द होता है। जब पेट दर्द हद से अधिक हो जाता है तो इंसान कुछ भी सोचने-विचारने की अवस्था में नहीं होता है। ऐसी हालत में पीड़ित व्यक्ति कुछ भी बोल सकता है, अत: उस समय उसकी बातों का बुरा नहीं मानना चाहिए। अधिकांश परिस्थितियों में वायु रोग से पीड़ित व्यक्ति से बात करने पर उलटा जवाब ही मिलता है।
 
इस दोहे में अगले व्यक्ति के बारे में लिखा है कि यदि कोई व्यक्ति भूत ‘बिबस’ हो यानी भूत के वश में हो तो उसकी बातों पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए। भूत के वश में होने का आशय यह है कि यदि कोई व्यक्ति पागल हो जाए, सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाए तो वह कभी भी हमारी बातों का सीधा उत्तर नहीं देता है। वह हमेशा उलटी बात ही करेगा। बातुल भूत बिबस मतवारे। 
 
मतवारे यानी जो लोग नशे में चूर हैं। यदि कोई व्यक्ति नशे में डूबा हुआ है तो उससे ऐसी अवस्था में बात करने का कोई अर्थ नहीं निकलता है। 
 
जब नशा हद से अधिक हो जाता है तो व्यक्ति का खुद पर कोई नियंत्रण नहीं रहता, उसकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है, ऐसी हालत में वह कुछ भी कर सकता है, कुछ भी बोल सकता है, अत: ऐसे लोगों से दूर ही रहना श्रेष्ठ है। अन्यथा हमें ही अपमान झेलना पड़ सकता है।
 
चौथा व्यक्ति वह है जो मोह-माया में फंसा हुआ है, जिसे झूठा अहंकार है, जो स्वार्थी है, जो दूसरों को तुच्छ समझता है, ऐसे लोगों की बातों पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए। यदि इन लोगों की बातों पर ध्यान दिया जाएगा तो निश्चित ही हमारा अहित होगा। अहंकारी लोग दूसरों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। अत: ऐसे लोगों से भी बचना चाहिए।

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